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क्या 2025 बर्बादी का साल है? Punjab से Afghanistan तक हाहाकार !

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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

क्या 2025 तबाही का साल है? क्या 2025 बर्बादी का साल है? हर सुबह अखबार खोलो तो बस बर्बादी और तबाही की खबरें हैं। टीवी देखो तो बर्बादी और तबाही के वीडियोस दिखाई पड़ते हैं। हर रात सोने से पहले इस बात का डर होता है कि पता नहीं सुबह भगवान कौन सी आपदा आ जाए। पंजाब डूब रहा है। अफगानिस्तान कांप रहा है। सूडान में मलबा बरस रहा है। हिमाचल बह रहा है। गुड़गांव तैर रहा है। और माता वैष्णो देवी का धाम वहां तो आस्था भी मलबों में दब गई है। अब इन सारी तस्वीरों को देखने के बाद सवाल उठता है कि लोग जाए तो जाएं कहां? कुंभ नहाने गए तो वहां भगदड़ में मर गए। रेलवे लाइन पर पहुंचे तो कुचल गए। मैच का जश्न मना रहे थे तो हादसों में उलझ गए। प्लेन पर चढ़े तो आसमान में जलकर स्वाहा हो गए। घर में बैठे उत्तराखंड में तो दीवारें ढह गई और भगवान के दर पर पहुंचे तो वहां भी मौत पीछा नहीं छोड़ी। हर रात सोने से पहले इस बात का डर है कि क्या कल हम जिंदा होंगे? प्रकृति 2025 में तू कितने इम्तिहान लेगी। प्रकृति तू तो मां है हमारी जीवन दायनी। तेरा हर रूप हरीभरी वादियां उफलती नदियां शान पहाड़ जो सुकून देते थे। लेकिन 2025 में यह रौद्र क्यों? यह क्रोध क्यों? यह तबाही क्यों? यह सजा क्यों? यह बेरहम कहर क्यों? कहीं पर भूकंप, कहीं चीखें, कहीं सैलाब, कहीं भूस्खलन, कहीं मलबा, कहीं आस्था की राह पर मौत। और आज इसीलिए हम कह रहे हैं 2025 बस कर। बस कर क्योंकि हम थक चुके हैं। हम हार चुके हैं। जो मर गए वो खौफ में मरे और जो जिंदा है वो पल-पल डर कर मर रहे हैं। और आज इस मौत की कहानी की शुरुआत हम पंजाब से करेंगे। डूबता हुआ पंजाब। पंजाब भारत का वह प्रदेश है जिसे अन्न का भंडार वाला प्रदेश कहते हैं। लेकिन आज पंजाब पानी के सैलाब में डूबा हुआ है। अफसोस यह है कि पंजाब की तस्वीरें देश के लोगों को जगा नहीं पा रही हैं। देश की मीडिया में प्रमुखता से वह चल नहीं रही हैं। सतलुज से लेकर ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं। अगस्त सितंबर 2025 में भारी बारिश और भाड़ा, पोंग और रणजीत सागर डैम से छोड़े गए पानी ने तबाही मचा कर रख दी है। गुरदासपुर से लेकर कपूरथला, फिरोजपुर, होशियारपुर, तरनारण और फजि जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। 1300 से ज्यादा गांव ऐसे हैं जो पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। 3 लाख एकड़ से ज्यादा फसलें बर्बाद हो गई हैं। 30 लोगों की मौत हो चुकी है। ढाई लाख से ऊपर लोग हैं जो बेघर हो गए हैं। लोग अपने घरों खेतों को छोड़कर गुरुद्वारों में अस्थाई शिविरों में शरण ले रहे हैं। वो किसान जो दिनरा मेहनत करके देश का पेट पाल रहे थे। आज वो भूखे हैं। उसका खेत पानी में डूबा है। घर बह गया है। एक किसान ने कहा कि हमारे साल भर की कमाई इन खेतों में लगी थी। अब सब कुछ बह गया है। अभी सामने मौत दिख रही है। लेकिन जब यह जाएगी तब भी मन में सवाल होगा कि बच्चे भूखे हैं। उन्हें मेरे पास देने को कुछ नहीं है। आज यह सिर्फ पंजाब का दर्द नहीं है। सिर्फ एक किसान का दर्द नहीं है। उन लाखों लोगों का दर्द है जिनका सब कुछ इस बाढ़ ने छीन लिया। खराब ड्रेनेज सिस्टम, अतिक्रमण, जलवायु परिवर्तन ने इस आपदा को भयावह बना दिया। सेना एनडीआरएफ ने लोगों को बचाया लेकिन लाखों लोग ऐसे हैं जो अभी भी पानी में फंसे हैं। भूख ठंड से जूझ रहे हैं और पंजाब इस वक्त कहर में है। हालांकि पंजाब के सितारे जो हैं वह सामने आए हैं। लेकिन सितारों से अकेले काम नहीं चलेगा। प्रकृति को भी अपना रौद्र रूप दिखाना बंद करना होगा। सरकारों को ध्यान बढ़ाना होगा। मीडिया को इसे दिन रात दिखाना होगा। तब जाकर पंजाब के लोगों की सही मदद हो पाएगी। लेकिन मदद की गुहार में अफगानिस्तान भी है। क्योंकि अफगानिस्तान में जमीन कांप रही है। उम्मीदें टूट रही हैं। अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जो पहले से ही युद्ध, गरीबी, अस्थिरता से जूझ रहा है। अब प्रकृति की मार भी झेल रहा है। तालिबान के शासन के बाद दुनिया ने अफगानिस्तान से मुंह मोड़ लिया था। दुनिया ने उनको साथ देना, पैसा देना बंद कर दिया था। लेकिन सितंबर 2025 में जो छ रिक्टेर स्केल पर भूकंप आया उसने तबाही मचा दी। भूकंप का केंद्र जो है वो 10 कि.मी. नीचे था जिसने विनाशकारी शक्ति को और बढ़ाया और हालत यह है कि हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ढाई हजार से ज्यादा लोग जो है वो घायल हैं। दुनिया के बाकी किसी देश में अगर इतनी बड़ी आपदा त्रासदी आए तो दुनिया मदद के लिए सामने आती है। लेकिन इस बार कहानी अफगानिस्तान की है। इसलिए मदद उस बड़ी संख्या में नहीं आई। भारत ने दिल दिखाया लेकिन क्या वह काफी है यह सोचने वाली बात है। अफगानिस्तान के पास रिसोर्सेज नहीं है। अफगानिस्तान से लोग मदद मांग रहे हैं। अफगानिस्तान में जो आंकड़े हम आपको बता रहे हैं वो सिर्फ एक आंकड़े नहीं है। हर आंकड़े के पीछे एक कहानी है। एक मां जो अपने बच्चे को बचाने के लिए मलबे में दब गई। एक पिता जो अपने परिवार के लिए रोटी कमाने को निकला था, वो घर में डह गया। जिस जगह पर यह भूकंप आया था, वो मिट्टी के इलाके थे। पूरे उलटपुलट हो गए। परिवार के परिवार खत्म हो गए। गांव मलबे में तब्दील हो गए। अफगानिस्तान की फौ्ट लाइन, खराब बुनियादी ढांचा पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था ने इस आपदा को और भयानक बना दिया। राहत कार्य चल रहा है लेकिन सड़कें, बिजली, संचार व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। लोग ठंडी रातों में खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। बिना खाने, बिना पानी भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया। लेकिन चुनौतियां इतनी बड़ी हैं कि राहतकार फिलहाल वहां बौने पड़ गए हैं। लोग वहां कह रहे हैं कि सब खत्म हो गया। लोगों ने अपने बच्चों को अपनी आंखों के सामने मलबे में दबते हुए देखा। अब शब्द नहीं बचे हैं। यह दर्द आज सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि उस देश का है। उस अफगानिस्तान का है जो दुनिया से पहले ही कट चुका था। अब वो टूट रहा है। और आज वो प्रकृति से सवाल पूछ रहा है कि हे प्रकृति हे ऊपर वाले हे अल्लाह इतना गुस्सा क्यों? अफगानिस्तान से इतनी ज्यादा नाइंसाफी क्यों? वैसे नाइंसाफी सूडान में भी हुई है। सूडान में गृह युद्ध और भुखमरी पहले से ही लोगों को तोड़ रही थी। 2025 में भारी बारिश ने भूस्खलन का कहर बरपाया। पहाड़ी इलाकों में मलबा गिरने से गांव के गांव तबाह हो गए। आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो हजार से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो मलबे में दब कर मर गए। एक गांव पूरा का पूरा तबाह हो गया। उस गांव में सिर्फ एक व्यक्ति जिंदा बचा। आप सोचिए एक ऐसा गांव जहां हजारों सैकड़ों लोग थे। हंसते खेलते बच्चे, मेहनत करते किसान, उम्मीदों से भरे परिवार। लेकिन पल भर में सूडान में सब खत्म हो गया। तस्वीरें ऐसी हैं कि कलेजा मुंह को आ जाए। मलबे के नीचे दबे लोग चीखते रहे। लेकिन उनकी आवाजें धीरे-धीरे खामोश हो गई। एकमात्र बचे इंसान की कहानी दिल दहला देती है। वो इंसान कहता है कि मैं खाना खा रहा था। अचानक जमीन हिली और सब कुछ तबाह हो गया। मैं तो बच गया लेकिन मेरे बीवी, बच्चे, दोस्त, परिवार वाले, गांव वाले सब खत्म हो गए। आज सूडान में एक व्यक्ति कहानी सिर्फ उस व्यक्ति कहानी नहीं है बल्कि पूरे समुदाय का दर्द है जो सिर्फ यादों में बचा है। सूडान में कमजोर बुनियादी सुविधाएं, खराब सड़कें, राहत कार्यों में देरी ने इस आपदा को भयावह बना दिया। लोग मलवे में फंसे रहे, मदद नहीं पहुंची। जलवायु परिवर्तन, अवैध खनन ने पहाड़ों को कमजोर किया जिससे भूस्खलन की तीव्रता बढ़ी और सवाल यही कि प्रकृति इतनी बेरहमी क्यों? वैसे सवाल जिस भगवान से हम पूछते हैं अगर उस भगवान के दर पर भी घटनाएं हो जाए तो क्या करें? क्योंकि आस्था पर मलबे कहर वैष्णो देवी माता के दर पर दिखाई पड़ा। जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में वैष्णो देवी मार्ग पर 26 अगस्त को भूस्खलन हुई और इसने आस्था को मलबे में तब्दील कर दिया। अर्ध कुंवारी के पास इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास भारी बारिश चलते पहाड़ से मलबा पत्थर गिरा। उस समय सैकड़ों श्रद्धालु जय माता आदि करते हुए माता वैष्णो देवी के धाम जा रहे थे। लेकिन अचानक से इसमे में 34 लोगों की मौत हो गई। 18 महिलाएं थी। 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। कई मलबे में फंसे हो सकते हैं। परिवार के परिवार खत्म हो गए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि मैं दर्शन करके लौट रहा था। लोग चिल्ला रहे थे। मैंने देखा पहाड़ से बड़े-बड़े पत्थर गिर रहे थे। मैं तो बच गया लेकिन मेरे पीछे कई लोग मलबे में दब गए। यह हादसा नहीं बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए सदमा है जो आस्था के साथ मां के दर्शन करने आते हैं। मृतकों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र के कई लोग शामिल थे। जम्मू कश्मीर में रिकॉर्ड बारिश हो रही है। 380 मीटर बारिश जो 1910 के बाद सबसे ज्यादा थी। नदियों को तूफान मिला दिया। झेलम, तवी, चेनाब, नदियां आज खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। जम्मू कटरा हाईवे बंद हैं। 58 ट्रेनें रद्द हैं। कई पुल बह गए हैं। वैष्णो देवी की यात्रा स्थगित कर दी गई है। और श्रद्धालु जम्मू रेलवे स्टेशन पर फंसे हुए हैं। एक यात्री ने कहा, हम दो दिन से कटरा फंसे हमसे कहा गया जम्मू से ट्रेन मिलेगी लेकिन कोई साधन नहीं है। जो बचे हैं वह घर कैसे लौटे उन्हें यह तक पता नहीं है। यही कहानी हिमाचल की भी है। वो सुंदर सा प्रदेश जहां भारी बारिश और बादल फटने घटनाओं ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया। हिमाचल में फिलहाल रेड अलर्ट है। जून से लेकर सितंबर 2025 तक 91 फ्लैश फ्लड। 45 बार बादल फटने घटनाएं। 95 बड़े भूस्खलन दर्ज हुए। मनाली लेह हाईवे बह गया। 666 सड़कें बंद हैं। 4000 से ज्यादा घर नष्ट हो चुके हैं। कुल्लू सबसे ज्यादा प्रभावित है। अगस्त में 1948 के बाद सबसे ज्यादा बारिश हुई है। घर, होटल, परिवार, गांव सब बह रहे हैं। लोग बेघर हैं। मौसम विभाग कह रहा है अभी भी बारिश होगी। राहत बचाओ कार्य चल रहे हैं। लेकिन इलाका पहाड़ी है इसलिए संसाधन पहुंचाना मुश्किल है। कैसे बचेंगे कुछ नहीं पता। जिंदगियां थम गई हैं। प्रकृति अपनी सबसे चरम मार दे रही है। हालांकि पहाड़ी इलाके ही नहीं शहर भी डूब रहे हैं। गुड़गांव वो शहर जिसे आधुनिक भारत का प्रतीक माना जा रहा था। वो गुड़गांव जहां पर सैकड़ों करोड़ रुपए में घर मिलते हैं। आज वहां नदियां बह रही हैं। बाढ़ ने कहर बरपाया है। यमुना हिडन नदियों का जलस्तर बढ़ने से गुड़गांव जो है वो पानीपानी हो गया है। लोग कह रहे हैं घरों में पानी है। कार सड़कों पर तैर रही है। रात से लोग छतों पर बैठे हैं। खराब ड्रेनेज सिस्टम अतिक्रमण ने शहर को बाढ़ में धकेल दिया है और चारों तरफ सिर्फ गुड़गांव में तबाही के निशान हैं। वो गुड़गांव जो आधुनिक भारत का प्रतीक था। आज अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। गुड़गांव में वो लोग जो सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च कर कर गए थे, आईटी हब मान रहे थे, वो आज कह रहे हैं यह कैसा विकास है जिसने विनाश का इंतजाम कर दिया है। सच कहें तो 2025 एक ऐसा साल भरकर उभरा जिसका इतिहास शायद तबाही का साल कहकर याद किया जाएगा। यह साल ना केवल प्राकृतिक आपदाओं को गवाह बना बल्कि मानवता के लिए कठोर सबब बन गया। पंजाब की बाढ़, अफगानिस्तान का भूकंप, सुडान का भूस्खलन, हिमाचल का सैलाब, गुड़गांव का डूबना, माता वैष्णो देवी की आस्था पर मलबे का प्रहार। यह सारी घटनाएं एक के बाद मानो प्रकृति के क्रोधित होने का संकेत दे रही हैं। हर घटना ने ना सिर्फ जिंदगियां छीनी बल्कि लाखों लोगों की उम्मीदें से अपने विश्वास को भी मलबे में तब्दील कर दिया। ये आपदाएं केवल संयोग नहीं है। इसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं। वो जलवायु परिवर्तन, जंगलों की कटाई, अवैध खनन, अनियोजित शहरीकरण, बेतहाशा विनाश विकास के नाम पर वो पंजाब का किसान जिसके खेत अब पानी कब्र बन गए हैं। अफगानिस्तान में गरीब जो युद्ध के बाद प्रकृति की मार से टूटा है। सूडान का ग्रामीण जिसके गांव में सिर्फ एक व्यक्ति जिंदा बचा। वैष्णो देवी का श्रद्धालु जो मां के दर्शन करने की उम्मीद से मलबे में दब गया। यह सारी कहानियां सिर्फ एक सत्य की तरफ इशारा करती हैं कि प्रकृति आज बर्दाश्त नहीं कर रही। प्रकृति अपना कहर बरपा रही है। 2025 ने हमें सिखाया कि लापरवाहियां कितनी भारी पड़ सकती हैं। और अब यह साल हमें बता रहा है कि सुधर जाओ इंसान वरना प्रकृति अपने पर आई तो सब कुछ बर्बाद कर देगी। लालच छोड़ दो। पर्यावरण को बचा लो। प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठा लो। प्रकृति हम भी आपसे कहेंगे कि बस कर दे। सुधरने का मौका दे। हमें जीने का मौका दे। 2025 को और सजा मत दे। थक चुके हैं हम। बहुत हुआ। अब इस डर में जिया नहीं जाता। कब खत्म होगी 2025 की तबाही? यह सवाल हर सुबह, हर रात परेशान करता है। हमें हमारे अपनों को लेकर हर रोज, हर रात, हर दोपहर। 2025 को लेकर आप क्या सोचते हैं? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा।

43 Comments

  1. प्राकृति को हम सभी लोग बहुत परेशान किया है उसी की सजा है हम लोगों में दया खत्म हो गई परम संत बाबा जय गुरुदेव जी महराज ने कहा है आगे 50 50 मील पर एक आढ़े लोग बचेंगे सब मरेंगे क्यों कि पाप बहुत बढ़ गया है इसी लिए सभी संत नो के खा शाकाहारी हो जाओ और सुधार जाओ तो बच जाओगे अपने पापों की माफी मांग लो नहीं बहुत बुरी हालत होने वाली है जय गुरुदेव

  2. Comming 2026, आज की इंसान की इंसानियत मर चुकी हैं, फ़िर प्रकृति को दोष देते हो

  3. Kuch varsho baad pure world me ese hi hahakar our tabahi hogi…bs bahot ho gaya manav ka khel ab prakriti ki baari….😢😢😢

  4. प्रकृति मां है ठीक बात है
    कभी बात करते हो पर्यावरण प्रदूषण पर climate change पर

  5. प्राकृतिक से खेलवाड़ में ए सब हो गया है ❤❤❤❤❤

  6. Ped pode kat kr building bnaoge polution felaoge krchra felaoge to parkti ulta reaction dijhaygi 5 sal bad 10 bad ya fir 15 sal bad itne salo s ye sb hota aa rha h usi ka ntiza h

  7. अगर पृथ्वी पर ऐसे ही पाप बढ़ता रहा तो प्राकृति कभी माफ नहीं करेगी और आने वाले साल में सूर्य देवता के किरण से आदमी को कैंसर होने लगेगा और आदमी खत्म होता रहेगा आने वाला समय बहुत खतरनाक है इसलिए सभी से विनम्र निवेदन है की सुधर जाओ मांस मदिरा का त्याग कर दो और आने वाले समय में जीवित वही लोग बचेंगे जो मांस और मदिरा का सेवन नहीं करते हैं
    जय श्री राम

  8. हे खुदा रहम कर हर शख्स का घर पक्का नहीं होता है😢🤲

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