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Inside Story: How Nepal Burned in 38 Hours | GenZ Protest | PM Oli Resigns

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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

एक तरफ काठमांडू की सड़कें खून से लाल हैं तो दूसरी तरफ युवाओं की चीखें आसमान छू रही हैं। एक तरफ युवाओं के फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को मारना सही था? यह सवाल उठ रहे हैं कि मंत्रियों को नंगा कर मारना सही था? संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास को जलाना सही था? तो दूसरी तरफ उनकी वीर गाथाएं सुनाई जा रही हैं। यह कहा जा रहा है कि इतिहास की यह पहली क्रांति है जहां बिना किसी नेता के जिनजी ने सत्ता को हटा कर रख दिया। 36 38 घंटों में सरकार बदल कर रख दिया। सोशल मीडिया पर मीम्स और वीडियोस डालने वाली जिनजी आज क्रांति का प्रतीक बन चुकी है। दुनिया में कई जगह युवाओं को इंस्पायर कर रही है। वो सरकार जो सोशल मीडिया को बैन करके इन्हें कमजोर कर रही थी जिनजी उसे सत्ता से ही उखाड़ फेंकती है। 38 घंटों के अंदर प्रधानमंत्री कुर्सी गर्त में समा जाती है। लेकिन सवाल यह है कि वो आंदोलन जो शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ था वो कैसे असाधारण विद्रोह में तब्दील हो गया? क्या वजह रही? यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि जब आप जड़ में जाएंगे तो आपको दिखाई पड़ेगा कि वो जजी जो हाथों में तख्तियां लेकर प्रोटेस्ट कर रहे थे वो जो कह रहे थे कि सोशल मीडिया को बैन ना कीजिए वो आज उग्र थे। उनका गुस्सा उग्र था और यह गुस्सा यूं ही नहीं था। ये 38 घंटे में जो सरकार बदली है यह यूं ही नहीं है। इसमें भ्रष्टाचार भी है, बेरोजगारी भी है, भाई भतीजावाद भी है, जजी की खूनी जंग भी है। और यह सब मिलाकर उस नेपाल को जो कभी शांति का प्रतीक था आज अस्थिरता में डाल दिया। नेपाल क्यों जला, कैसे जला, इसे अगर आपको समझना है तो 4 सितंबर से कहानी शुरू करना पड़ेगा। जब एक बैंड ने चिंगारी जलाई थी बाद में जिसे पुलिस की गोलियों ने आग में तब्दील कर दिया। एक ऐसी आग जो आज नेपाल के हर जिले में जल रही है। एक ऐसी आग जिसमें झुलसकर पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी मर चुकी हैं। एक ऐसी आग जिसमें झुलस कर सारी सरकार बाहर हो चुकी है और एक ऐसी आग जिसने नेपाल को अस्थिरता के दौर में डाल दिया है। इस कहानी को शुरू से शुरू करते हैं और यह समझते हैं कि नेपाल में जो बच्चे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, वह गुस्से में आकर अपने ही देश की संपत्ति को नुकसान क्यों पहुंचाने लगे। कहानी 4 सितंबर से शुरू होती है। 4 सितंबर 2025 को ओली सरकार ने Facebook, Instagram, YouTube, WhatsApp, एक्स समेत 26 प्लेटफार्म बैन कर दिए। कहा रजिस्ट्रेशन नियम तोड़ रहे हैं। बच्चे जो थे वो यहां परेशान हुए क्योंकि उन्हें लगा कि नेता का लड़का जो है वो तो आलीशान जिंदगी जी रहा है और यहीं से नेपो किड्स और नेपो बेबीस हैशटग शुरू किया गया। नेपाल की आबादी में जो लाखों करोड़ों बच्चे थे वो सड़कों पर उतर आए। स्कूल यूनिफार्म में उतरे। हाथों में किताब थी, नारे लगाते, शांतिपूर्ण प्रदर्शन था। वो मांग कर रहे थे कि उनकी बात मान ली जाए। शुरुआत में आंदोलन में कॉलेज के बच्चे किताब का बैनर लेकर थे। भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म को लेकर आवाज उठा रहे थे। लेकिन सत्ता कई बार अंधकार में चली जाती है। सत्ता अभिमान में चली जाती है। सत्ता को लोगों से कनेक्शन खत्म हो जाता है और नेपाल में भी यही हुआ। नेपाल की सरकार अपने ही बच्चों को दुश्मन समझने लगी। नेपाल की सरकार यह भूल गई कि यह उनके बच्चे हैं। उनके मुल्क के बच्चे हैं। और 8 सितंबर को पुलिस ने काठमांडू में इन बच्चों पर गोलियां चला दी। 20 बच्चे मारे गए। 300 जरा घायल हुए। किसी की छाती पर गोली लगी, किसी के पैर पर, किसी की आंख के नीचे। एक 22 साल का बच्चा संसद के बाहर नारा लगाते हुए पैर में गोली खा गया। एक और वीडियो आया जिसमें बच्चे कह रहे थे कि छाती पर गोली खाइए। नेपाल का खून है। एक जूता दिखाई पड़ा जो खून से सना हुआ था। मृत छात्र का सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। लोगों ने हैशटग चलाया ब्लडी शू नेपाल और यह#शटैग की तस्वीरें दुनिया भर में ट्रेंड की। यह वो तस्वीर थी जिसने नेपाल के लोगों के मन में गुस्सा भर दिया। यह वो तस्वीर थी जिसने दुनिया को दिखाया कि नेपाल की सरकार ने कैसे नेपाली बच्चों के साथ दमन किया। यह वो तस्वीर थी जिसके बाद इन बच्चों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को छोड़ दिया और फिर जो कुछ हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था। राजीव गांधी साहब ने एक बार इंदिरा गांधी जी की मौत के बाद कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती रहती है। 20 बच्चों की मौत हुई थी। ये बच्चे अपना आपा खो बैठे और फिर फायरिंग का आदेश देने वाले डीजीपी को प्रदर्शनकारियों ने मार दिया। वो मीडिया चैनल जो बच्चों के हित की बात नहीं दिखा रहे थे। जो सरकार के भोपू बने बैठे थे उन चैनलों पर हमला कर दिया गया। टीवी स्टेशन को आग लगा दिया गया। मंत्रियों को निशाना बना दिया गया। नेपाल के वित्त मंत्री विष्णु पड़ेल को गली में पीटा गया। दौड़ा दौड़ा कर कच्छा पहन के उनका वीडियो वायरल हो रहा है। नेपाल के ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का के घर से लाखों रुपए हवा में उड़ा दिए गए। पूर्व पीएम शेर बहादुर देवबा और उनकी पत्नी पर हमला हुआ। पत्नी झुलस कर मर गई। शांतिपूर्ण प्रदर्शन जो था वो खूनी क्रांति में तब्दील हो गया। हालांकि यह सब रुक सकता था अगर नेपाल के प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी से मुंह छोड़ देते क्योंकि सबको पता था कि जब बच्चों पर गोलियां चली तब प्रदर्शन उग्र हो गया था। नेपाल के प्रधानमंत्री चाहते तो आज यह घटनाएं रुक सकती थी। क्योंकि नेपाल जब जल रहा था तब भी ओली कुर्सी का मुंह पकड़े बैठे थे। कुर्सी नहीं छोड़ रहे थे। 20 मौत के बाद भी जिद थी। इस्तीफे से पहले सेना से सुरक्षा मांगी। हालांकि फिर सेना ने कहा कि पहले कुर्सी छोड़ दो। ओली के घर पर हमला हुआ तो वह तो हेलीकॉप्टर से भाग गए। शायद दुबई भाग गए। उनका सियासी सफर 14 साल की उम्र से शुरू हुआ था। कभी राजशाही के खिलाफ आंदोलन, कम्युनिस्ट पार्टी, जेल जाना, 10 साल में चार बार प्रधानमंत्री हालांकि कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर पाए। चीन के करीबी आधा दर्जन मंत्री का भी इस्तीफा हुआ। लेकिन इन सबके बीच में नेपाल जलता रहा। और नेपाल जला क्यों? क्योंकि वह गोली मारी गई थी। वो बच्चे जो हाथों में किताब तख्ती लेकर थे उन्हें गोली मारी गई थी। बच्चे कहते रहे कि गोली पैर में लग सकती थी। अगर मारना ही था। दूसरे तरीके अपनाए जा सकते थे। पानी की बौछार का समय था। लेकिन बच्चों को मारने कदम नेपाल ने उठाया। फिर बच्चों ने नेपाल को तबाह कर दिया। 13 एकड़ का राष्ट्रपति भवन कब्जे में लिया गया। सुरक्षा बलों से हथियार छीन लिए गए। घर फूंक दिया गया। पीएम हाउस जो था ओली का घर, संसद सब आग के हवाले कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट आग के हवाले कर दिया गया। एयरपोर्ट बंद है, ट्रांसपोर्ट ठप है, कर्फ्यू लगा है। ये कहा जा रहा है कि आर्थिक नुकसान जो है अरबों में है। लेकिन इन सब से ऊपर यह सब तो दोबारा भी ठीक हो जाएगा। वो 20 निर्दोष जिंदगियां कहां से आई? अस्पताल घायलों से भरे हैं। पर्यटन व्यवस्था ठप है और युवा कह रहे हैं यह सत्ता को बदलने की है। हालांकि गोली के साथ-साथ कहानी और भी आती है भाई भतीजावाद की नेपो किड्स की। नेपाल में बीते कई समय से चल रहा है कि नेपाल में नेताओं के बच्चे मौज काट रहे हैं। सोशल मीडिया पर दिखाई पड़ता है। प्राइवेट जेट में घूमते हैं। विदेशी कारों में चलते हैं। महंगे वेकेशन जाते हैं। नेपो किड नेपो बेबी ये लगातार ट्रेंड हो रहे थे। 20 अमीरों के पास संपत्तियां हैं। 56% युवा चिल्लाए कि हमारे टैक्स पर यह मौज काटते हैं और यहीं से कहानी पर गई। भ्रष्टाचार जो था उसमें आग में घी का काम कर गया। ट्रांसपेरेंसी थी नहीं। नेपाल जो है वो दक्षिण एशिया का सबसे भ्रष्ट देश है। 2021 में बंधू घोटाला 54600 करोड़। 2023 में ओरिएंटल कोऑपरेटिव घोटाला 13600 करोड़। 24 में कोऑपरेटिव घोटाला 69600 करोड़। ओली पर भी चीनी डील से कमाई करने का आरोप लगा और युवाओं ने यही कहा बहुत हुआ सम्मान। बेरोजगार युवा जो थे वो सड़कों पर थे और बेरोजगारी भी एक बड़ी वजह थी। लगातार यहां से पलायन जो है एक बहुत बड़ी समस्या है और उस पलायन के बीच में जब आपने सोशल मीडिया बैन किया तो प्रदर्शन सड़कों पर उतरा और उसके बाद जब आपने गोलियां चला दी तब वो दमन की पराकाष्ठा को पार कर गया। इसीलिए आज जब आपको नेपाल की तस्वीरें देखकर गुस्सा आ रहा है कि वहां पर मंत्रियों को दौड़ाकर पीटा क्यों गया? कई घटनाएं ऐसी हुई हैं जो बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंसा नेपाल के बच्चों को भी समझना पड़ेगा कि किसी चीज का समाधान नहीं है। लेकिन फिर आपको यह भी देखना पड़ेगा कि 20 बच्चों को मार दिया गया। 20 बच्चों को मासूम बच्चे 18 से 28 साल के बच्चे वो बच्चे जो नेपाल के भविष्य थे और इसीलिए क्रांति अचानक नहीं फूटी। भाई भतीजावाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, सोशल मीडिया बैंड और फिर खून से लथपथ सड़कें, खून से सना जूता। नेपाल की जो हकीकत को दिखा रहा था वहां से इन घटनाओं ने सत्ता को हिलाया। हालांकि कीमत अभी भी भारी है। 20 जिंदगियों का नुकसान है। अरबों का नुकसान है। नेपाल का अनिश्चित भविष्य है। सेना कंट्रोल में ले चुकी है लेकिन हिंसा थमी नहीं है। सवाल यह कि क्या नेपाल को ये क्रांति नहीं सुबह देगी या अराजकता में डुबो देगी? दुनिया देख रही है। जजी कह रहे हैं हमारा समय आया। लेकिन सवाल यही है कि अभी नेपाल कितना और सहेगा? कितनी औरिंदगियां चुकानी पड़ेगी? ये सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है। और इसीलिए आज हम पूछ रहे हैं कि इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन? वो जजी जिन्होंने सत्ता उखाड़ फेंकी या वो नेता और सबसे बड़ा सवाल नेपाल का यहां से भविष्य क्या? सोचिएगा। [संगीत]

32 Comments

  1. हक मांगने से नहीं मिलाता बहुत अच्छा किया नेपाल के youth ने ❤

  2. जिस ओर जवानी चलति है उस ओर जबाना चलता है 🇳🇵🇳🇵🇳🇵 From Nepali

  3. Former pm jhalanath khanal wife is still alive. She is under observation of doctor in burning hospital.

  4. सुभांकर भाई आप बहुत बड़े वाले दलाल हो । आपको सवाल उठना चाहिए था जब पुलवामा हुआ ।सवाल उठना चाहिए था जब । पहलगाम हुआ । इस्तीफा तब मांगना चाहिए था गृह मंत्री से । तुम जैसे नीच पत्रकार कहने के लायक नही हो । जो चंद पैसे के लिए तुमने सवाल नही किया । बस दलाली ही करो

  5. 𝙽𝚎𝚝𝚊𝚊𝚘𝚗 𝚔𝚘 𝚢𝚎 𝚊𝚌𝚑𝚊𝚊 𝚜𝚎 𝚜𝚞𝚗𝚊𝚊𝚗𝚊 𝚌𝚑𝚊𝚑𝚒𝚢𝚎. 𝚈𝚞𝚟𝚊 𝚔𝚘 𝚔𝚊𝚖𝚓𝚘𝚛 𝚗𝚊 𝚜𝚊𝚖𝚓𝚑𝚎… ❤❤❤

  6. ये नेपाली थे इसलिये विरोध किया इंडिया मे तो अंधभक्त और दलाल है

  7. India mein bhi ane bale time mein yahi hoga tanhasah jis trah bjp bala kiye huye he😡😡😡😡

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