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Indresh Upadhyay’s Wedding: Society’s Hypocrisy Exposed | Shipra Sharma| Shubhankar Mishra

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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

Time Stamp

डायन भी दो-चार घर छोड़ देती है। दुश्मन भी होली, दिवाली, जन्मदिन पर ब्रेक ले लेता है। लेकिन सोचिएगा कि समाज के तौर पर हमारा आपका नैतिक पतन किस कदर हो गया है कि हमें दूसरों की खुशियां भी चुभने लगी है। इस कदर हमारी संवेदनाएं खत्म हो चुकी हैं कि अब इंसान दिखता ही नहीं, कंटेंट दिखता है। और इंद्रेश उपाध्याय जी की शादी इसी बेरहम सोच की भेंट चढ़ गई है। पिछले तीन दिन से जिस तरह से उनकी ट्रोलिंग हो रही है, एक्सपोज वो नहीं समाज के तौर पर हम और आप हुए हैं। हमारे भीतर की जलन, हमारी कड़वाहट, हमारा खोखलापन एक्सपोज हुआ है कि हम दूसरों के सुख में दुखी और दूसरों के दुख में खुश होना सीख गए। ऐसे तो नहीं थे हम लोग यार। स्मृति मनन्ना की शादी टूटी तो उनके पुराने वीडियोस लोग वायरल कर रहे हैं। देखो भैया नाच रही थी। बहुत खुश थी। बहुत दिखावा कर रही थी। अब देखें और इंद्रेश जी उनके साथ तो हम क्या ही कर रहे हैं। मतलब जो दिन उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल होना चाहिए था जिस दिन दुआएं आशीर्वाद बरसने चाहिए थे उस दिन हमने आपने उनका और उनके परिवार का जीना दुश्वार कर दिया है। और आज यह वीडियो उन लोगों के लिए है जिनके अंदर थोड़ी सी भी अंदर कॉन्शियसनेस बची है। संवेदनाएं। साहब जरा ठहर कर ईमानदारी से सोचिएगा कि इंद्रेश उपाध्याय कौन है? कोई फिल्मी सितारा है। कोई अरबपति, उद्योगपति, राजनेता नहीं ना। एक साधारण सा दिखने वाले सौम्य स्वभाव के कथावाचक जिनके पिताजी ने जीवन भर कथा कही वो उसी कथाओं में पले बढ़े और फिर शादी कर ली। और उनके नाम पर क्या तमाशा चल रहा है कि भैया देखो जिस आदमी ने जीवन भर कहा कि मोह माया से दूर रहना उसको देखो हेलीकॉप्टर उतर रहा है। महंगीमहंगी शादी की जा रही है। होटल का खर्चा इतना है। और ये पहली बार सवाल नहीं उठा है। इससे पहले भी अगर आप याद कीजिए जया किशोरी का बैग दिखा था। भाई साहब मोह माया दुनिया को कहती है। खुद देखिए। धीरेंद्र शास्त्री ने चश्मा लगाया था। भाई साहब देखिए उनको अगर आप किसी कथावाचक को अच्छे से उठते बैठते रहते देख लेते हैं तो समाज के तौर पर हमारे आपके पेट में दर्द होने लगता है। हम यह नहीं सोचते कि भाई साहब कथावाचक और संत महात्मा में अंतर होता है। साधु संत वो होते हैं जो कहते हैं कि भैया मोह माया से दूर रहो। यह कथावाचक हैं। गृहस्थ लोग हैं। गृहस्थ आदमी। इनके पिताजी भी इंद्रेश जी के गृहस्थ थे और यह नहीं कहते मोह माया से दूर रहो जंगल भाग जाओ सन्यास ले लो और मोह माया भी आप जानते हैं मोह माया का मतलब क्या होता है मोह माया का मतलब होता है सांसारिक चीज को प्रथम प्रायोरिटी दे देना इस कदर दे देना कि उसी को असल सत्य मान लेना उससे ऐसा जुड़ाव कर लेना कि इसके बिना जीवन नहीं है वो होती है मोह माया वो खाली पैसा से नहीं होती है लेकिन हम और आप यह चाहते हैं कि जो आदमी धर्म की बात करता है उसे इंसान होने का अधिकार छोड़ देना चाहिए। उसे अधिकार नहीं होना चाहिए कि वो अच्छी गाड़ी में बैठे, साफ कपड़ा पहने, मोबाइल रखे, शादी करे, परिवार बसाए, मुस्कुराए। नहीं उसका संवैधानिक मानवीय अधिकार हम और आप चाहते हैं खत्म हो जाए। वही धर्म का आदमी अगर आपको सड़क पर जाता दिख जाएगा तो आप कहोगे देखो फटहाल बाबा है। समस्या पता है क्या है? समस्या यह नहीं है कि इंद्रेश जी की शादी में हेलीकॉप्टर क्यों आया? डेकोरेशन शानदार क्यों था? खर्च क्यों था? यह समस्या नहीं है। समस्या यह है कि धर्म से जुड़ा व्यक्ति हमारी आंखों में खटकता है जब वह खुश दिखता है। क्योंकि इस देश के खिलाड़ी जब दो-दो तीन-तीन बीवी रख लेते हैं करोड़ों रुपए उड़ा लेते हैं। लाइव शो में आकर कहते हैं मैं बीती रात करके आया वो हमारे आइडल बन जाते हैं। शादी टूटी है। उसी बीच में एक नई गर्लफ्रेंड ले घूम रहे हैं। हमें वो हीरो लगता है। बॉलीवुड एक्टर्स जो फोहड़ता करते हैं, नंगई करते हैं, ड्रग्स, नशा सब करते हैं। जब वह महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। धर्म बदलकर कुछ उनमें से शादी कर लेते हैं। दो-दो बीवी रख लेते हैं। मल्टीपल गर्लफ्रेंड के साथ रहते हैं। ओपन रिलेशनशिप्स में रहते हैं। शादी में रहते हुए किसी और के साथ सोने की बातें करते हैं। हम उसे स्वैग मानते हैं। स्वैग। नेता करप्ट हो। लूट खाया हो। कोर्ट ने आदेश सुना दिया हो कि भाई साहब यह सजायाफ्ता है। उसके बाद भी वह हमारा हीरो होता है। लेकिन जैसे ही कोई व्यक्ति सनातन परंपरा से जुड़ा कथावाचक सामान्य जीवन से थोड़ा सा बेहतर दिख जाए हमारे हाथ में नैतिकता का डंडा आता है और यह मल्टीपल टाइम दिखा गया। जया किशोरी के बैग बागेश्वर के चश्मे इंद्रेश जी की शादी। यह चरित्र जो दोहरापन है यह संयोग नहीं है। यह मानसिक पक्षपात है और यह मानसिकता खतरनाक है। खतरनाक है। बहुत बहुत ज्यादा खतरनाक है। आज जो इंद्रेश जी के साथ हो रहा है वो कल किसी और के साथ भी हो सकता है। और अब आते हैं उस चीज पर जिसको लेकर लोगों ने तमाशा बना रखा है। सबसे जहरीला हमला उनकी पत्नी के निजी जीवन को लेकर। कहा जा रहा है उनकी बीवी की इससे पहले शादी हो गई थी। पुराना तलाक, अतीत इन शब्दों को हम ऐसे उछाल रहे हैं जैसे सामने कोई इंसान नहीं, कोई किरदार हो। क्योंकि हम और आप इतने ज्यादा अंदर से शून्य हो गए हैं। हमारी नैतिकता इस कदर मर गई है कि हमें हर चीज में कंटेंट चाहिए। हमें आपको कुछ सच नहीं पता। हमें नहीं पता कि इस खबर की सच्चाई क्या है। हम और आप नहीं जानते लेकिन हमें उसमें कंटेंट दिख रहा है क्योंकि पैसा मिलता है। और अगर मान भी लेते हैं ये सच है। मान लेते हैं पल भर को मुझे नहीं पता। लेकिन अगर मान लेते हैं यह सच है। तो हमें क्या इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि उस लड़की ने क्या-क्या झेला होगा? किन हालात से गुजरी होगी? कितना रोई होगी? किन-किन मजबूरियों में निर्णय लिया होगा? उस प्यारी सी बच्ची की भी उम्र कितनी है? हमें कुछ भी नहीं पता। लेकिन हम और आप जज वकील बन बैठे हैं। सजा भी सुना रहे हैं। अरे भाई साहब वो लड़की कोई अफवाह नहीं है। कोई हेडलाइन नहीं है। किसी की बेटी है, बहन है। और अब किसी की बीवी है जिसका तमाशा आप लोगों ने बना रखा है। मुझे नहीं पता क्या सच है उनके जीवन का और मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है उनके जीवन में। यह दो लोगों के बीच की व्यक्तिगत कहानी है। वह वह और उनका परिवार। आगे क्या होगा वह वह उनका परिवार उनके घर का मसला लेकिन अगर आप इस मामले को उछाल रहे हैं तो आपको एक बार सोचना चाहिए कि अगर उसने जीवन में कोई कठिन रिश्ता झेला और आज वह दोबारा भरोसा करना चाह रही है तो हम उसके भरोसे का स्वागत फूलों से नहीं पत्थरों से कर रहे हैं। हम और आप उस पर वैचारिक पत्थरबाजी कर रहे हैं। वह पत्थरबाजी उस वक्त कर रहे हैं जो उसके जीवन का सबसे सुखद लम्हा होना चाहिए था। जिस क्षण उसे अपने पति के साथ सबसे ज्यादा खुश होना चाहिए था। यह पत्थरबाजी हम इंद्रेश जी के ऊपर, उनकी पत्नी के ऊपर, उनके माता-पिता के ऊपर हर तरफ कर रहे हैं। उस लड़की के माता-पिता के ऊपर दोनों परिवारों के छाती पर मार रहे हैं। और इसीलिए मैं कह रहा हूं कि समाज के तौर पर हमारा आपका नैतिक पतन हो रहा है। इतना समझना क्यों मुश्किल है कि पहली बात हमें सच्चाई नहीं पता। दूसरी बात अगर सच भी हो तो यह उनका निजी विषय है। दो बालिग लोग, दो परिवारों की सहमति, कानूनी, सामाजिक रूप से वैध विवाह। हम और आप कौन होते हैं भाई साहब बीच में अदालत लगाने वाले? हमें आपको उस घर का चूल्हा जलाना है। हमें आपको उससे फर्क पड़ना है। हमें आपको उनकी जिंदगी का बोझ उठाना है। उनकी शादी करने से हमारी आपकी सेहत पे फर्क पड़ रहा है। फिर ये दिलचस्पी क्यों? बताएं क्यों? क्योंकि हमारे भीतर कुंठा है। हम अपनी नाकामियों, अपने अधूरेपन की फ्रस्ट्रेशन को किसी आसान शिकार पर निकालते हैं। सोशल मीडिया पर दिखने वाला कोई सरल सा चेहरा हमारी कुंठा का पंचिंग बैग है जिस पे हम अपनी भड़ास निकालते हैं। और यही काम हम और आप इंद्रेश जी की पत्नी के साथ कर रहे हैं। इंद्रेश जी के साथ कर रहे हैं। शर्म आनी चाहिए हमें। समाज के तौर पर, इंसान के तौर पर शर्म आनी चाहिए। मुझे नहीं पता सर क्योंकि हमने आपने इंद्रेश जी या उनके परिवार को एक्सपोज नहीं किया है। हमने अपने आप को एक्सपोज किया है। अपने भी गंदगी को और याद रखिए कर्मा है। आपको भी हिसाब किताब यही देना है इसी जीवन में। बाकी इंद्रेश जी के पुराने बयान वायरल किए जा रहे हैं। हां, कई बयान है जिसको लेकर आप सवाल पूछ सकते थे। लेकिन फिर मैंने कहा यार डायन मीना छोड़ देती है। दुश्मन मीना दुश्मनी होली दिवाली छोड़ देता है। जन्मदिन छोड़ देता है। हम और आप एक्सपेक्ट करते हैं ना हमारा बर्थडे होता है कि यार जन्मदिन के दिन तो खुश रखो यार। आज आज मत बोलना यार। इंद्रेश जी बचपन से कथा कर रहे हैं और पूरी जिंदगी में दो बयान निकालकर आप उसको ऐसे पेश कर रहे हो काट छांट कर जैसे वही पूरा सच हो और जितने ये हरिश्चंद्र हैं आज मेरा एक सवाल आप लोगों से है सब लोगों से क्या आपने या आपके मां-बाप ने या आपके बच्चों ने अपने जीवन में कभी कोई अपरिपक्व बात नहीं की क्या हमारी जिंदगी के पुराने ऑडियो पुराने मैसेज पुराने मजाक अगर आज बिना संदर्भ उछाल दिए जाए तो क्या हम और आप उस कसौटी पर खरे उतर पाएंगे जो इंद्रेश जी के लिए हम तय कर रहे हैं इंसान विचारों से बनता है। विचार समय के साथ बदलते हैं। परिपक्वता यही होती है कि आदमी अपनी पुरानी बातों को सुधार सके। अगर किसी के पुराने वाक्य को पकड़ कर आज आप किसी की पूरी जिंदगी का फैसला सुनाएंगे वो भी उस दिन जब उसे सबसे ज्यादा चैन मिला हो, खुशी मिली हो या आप उसे सबसे ज्यादा उस दिन आशीर्वाद दे सकते हो तो याद रखिएगा कि कल इस भीड़ में कोई सुरक्षित नहीं बचेगा। शादी एक नए अध्याय की शुरुआत होती है। आपको इंद्रेश जी से हिसाब किताब करना है। भविष्य में कुछ कहेंगे आप कह सकते थे। पर दो लाइन पकड़ के एक आदमी को पूरे इंटरनेट पर जलील कर डाला है। कमेंट सेक्शन उनके भर डाले हैं। मजा ले रहे हैं आप। पता है क्यों? क्योंकि आप अंदर से कमजोर हैं। खोखले हैं। अपनी फ्रस्ट्रेशन को इंद्रेश जी को आज पंचिंग बैग बना के ठोक रहे हैं। ऐसा हो सकता है कि उनकी बातें शायद उन्हें भी गलत लगती हो। हो सकता है कि कुछ शब्दों को शायद वह बेहतर ढंग से कह सकते हो और शादी के दिन आप ऐसे बिहेव करें जैसे इसके लिए उन्हें उम्र कैद की सजा मिल जानी चाहिए। सुधार परिवर्तन प्रायश्चित जैसे नई शुरुआत जैसे शब्द हमारे शब्दकोश सिट चुके हैं। अगर कोई लड़की टूटी नाव से निकलकर फिर से किनारे की ओर बढ़ रही है तो उस नाव में क्या हमारा काम उसको छेद करना है? अगर कोई पुरुष उस नाव में उसका साथ दे रहा है तो हमारा काम है कि हम उस पुरुष को अपमानित करें। अगर वह सच है। हम सब जज बन गए हैं। फैसला सुना रहे हैं, मजा ले रहे हैं। मीम मना रहे हैं। हा लेकिन याद रखिएगा स्क्रीन के उस पार आप भी किसी की मां होंगी, किसी के पिता होंगे, किसी के भाई होंगे, किसी के बहन होंगे। जो पल इंद्रीश जी के जीवन का सबसे सुंदर क्षण होना चाहिए था। आपने उसे जिंदगी की बदसूरत यादों में बदलने की कोशिश की है। याद रखिएगा ये जो आपकी कोशिश है ना दो सेकंड के मजे लेने की वो किसी के लिए पूरी उम्र का घाव बन सकते हैं। और ऐसा हो सकता है कि एक रोज आपके परिवार में भी जाने अनजाने कोई घटना घटित हो। खुद को वहां रख के देख लीजिएगा। समझ में आएगा। अच्छा सबसे विचित्र बात क्या है? सबसे विचित्र बात यह है कि इंद्रेश जी का मजाक उड़ाने वाले जो लोग हैं वो धर्म की दुहाई देकर मजाक उड़ा रहे हैं। मर्यादा की बात कर रहे हैं। संस्कृति का झंडा उठा रहे हैं। लेकिन व्यवहार में वही धर्म, वही मर्यादा, वही संस्कृति, वही सबसे पहले कुचल रहे हैं। हमें कथा वाचकों से उम्मीद होती है कि वह आदर्श हो। लेकिन हम खुद को किसी आदर्श की जरूरत से मुक्त कर लेते हैं। हमें दूसरों की गलती तो पहाड़ जैसी दिखती है और अपनी गलती रेत का कड़ सेलेक्टिव ईमानदार हम लोग हैं। नकली नैतिकता और यही समाज को खोखला कर रहे हैं। धर्म मंच से नहीं मरता। धर्म तब मरता है जब किसी की खुशी देखकर हमारे भीतर शांति नहीं बचती। जब किसी विवाह पर बधाई देने की जगह हम चरित्र हत्या करते हैं। जब किसी के नए जीवन की शुरुआत पर हम जहर उड़ेलते हैं, तब समझ लीजिए कि संकट इंद्रेश में नहीं संकट हमारे भीतर है। आज हमने उनकी शादी का तमाशा बनाया है। कल यही काम हम किसी और की बेटी के साथ करेंगे। ट्रोलिंग कभी खत्म नहीं होगी, बस चेहरा बदलेगी। और जिस दिन वो चेहरा आपका होगा उस दिन ये भीड़ आपके साथ खड़ी नहीं होगी। याद रखिएगा इंद्रेश उपाध्याय ना संत है ना सन्यासी गृहस्थ हैं कथावाचक हैं जया किशोरी बाबा बागेश्वर या और जितने कथावाचक हैं ये संत नहीं है ये कथावाचक है इनको भी खुश रहने अच्छा पहनने अच्छा खाने अच्छा फोन रखने सम्मान से जीवन जीने किसी स्त्री से उसकी सहमति और दोनों परिवारों की इच्छा करने से विवाह करने का वही अधिकार है जो आपको मुझे है और कथा कथावाचकों की जरूरत है समाज को क्योंकि वो समाज के अंतिम व्यक्ति तक अपना प्रभाव डालते हैं। कथावाचक आपसे पैसा नहीं लेते हैं। आप नहीं देते हो चंदा जिससे उनका घर चल रहा है। वो जया किशोरी का बैग आपने नहीं दिया था। बागेश्वर चश्मा आपने नहीं दिया था। इंद्रेश की शादी में हेलीकॉप्टर आपने नहीं उड़वाया था। व्यवस्था आपने नहीं करवाई थी। उनको पैसा यजमान दे रहा है जिसको वह कथा सुननी है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि कथा कहने वाले को उतना पुण्य नहीं मिलता जितना सुनने वाले को मिलता है। और जो कथावाचक ये कह रहे हैं वो खुद कई बार मंचों से कहते हैं कि हम 50 कथा सुनाएंगे हमारा उद्धार नहीं होगा। आप पांच सुन लोगे आपका जीवन उद्धार हो जाएगा। हमारे पुराणों में इसका जिक्र है। हम और आप फ्री में कथा सुनने जाते हैं। चाहे YouTube पर हो या सामने बैठ के। यजमान पैसा देता है और जिस यजमान को दिक्कत नहीं तो भाई तुमको काहे दिक्कत है यार तुम कौन होते हो मेरा पैसा मुझको कथा सुनना है मैं खर्चा कर रहा हूं कोई दारू पी के जन्मदिन उड़ा लेता है कोई विदेश जाकर घूम के आता है कोई अनाथ बच्चों को खिलाता है कोई कुत्ता खिलाता है कोई कथा करवाता है जिसकी जो मर्जी अपना पैसा वह चाहे जहां खर्च करे गरीब में बांटे जानवर को खिलाए विदेश जाकर उड़ाए दारू पी जाए बाकी हर जगह माय लाइफ माय चॉइस। लेकिन जब बात कथावाचकों की आती है तो नहीं नॉट योर चॉइस। तुम गरीब घूमो। तुमको बेरोजगार रहना है। तुम भीख मांगो। क्योंकि वो सनातन की बात कर रहे हैं। ये बात आप बाकी जगह नहीं कह सकते। इसीलिए कई बार मुझे लगता है कि हमारे अपने ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। समाज के तौर पर। अरे भाई आपको किसी कथावाचक किसी बात से दिक्कत है सहमति सहमति रखिए आलोचना करिए लेकिन निजी जीवन को चौपाल बनाकर उनके पत्नी के अतीत को मसाला बनाकर उनके माता-पिता की शांति छीनकर आप भी कोई धर्म नहीं बचा रहे हैं। आप सिर्फ अपनी गिरती हुई सोच का प्रदर्शन कर रहे हैं। और इसीलिए सवाल मेरा में सिर्फ इतना है कि अगर आप धर्म बचाना चाहते हैं या धर्म बचाने वालों को निशाना बनाना चाहते हैं यह आप स्पष्ट कर दीजिए। स्पष्ट कर दीजिए क्योंकि जो हो रहा है वह धर्म बचाने की कोशिश नहीं है। धर्म की बात करने वालों पर निशाना बनाने की कोशिश है। और फिर सवाल सोचिएगा कि क्या संवेदनाओं को इतना मार दिया है कि किसी की खुशी अपराध लगने लगी है? आज यदि इस आईने में खुद को देखने का साहस करेंगे तो शायद इंद्रेश उपाध्याय पर हुए यह वार पूरी तरह बेकार नहीं जाएंगे। कम से कम समाज अपनी आत्मा में झांकना तो शुरू करेगा। बाकी इंद्रेश जी को सुखी रहने दीजिए। वे ना आपके आदर्श बनने निकले हैं ना आपके जीवन का फैसला करने निकले हैं। इंद्रेश जी एक आम इंसान है। साधारण से इंसान है। सरल दिखने वाले इंसान है। जैसे आप और मैं अगर किसी इंसान ने खुशी आपको चुभ रही है तो समस्या उसकी खुशी में नहीं आपकी सोच में है। भाई साहब अपनी सोच बदलिए। वरना एक दिन ये कुंठा आपको भीतर से खाली कर देगी और काफी हद तक कर चुकी है। इंद्रेश जी और उनकी पत्नी को शुभकामनाएं। खुश रहिए, सुखी रहिए और बाकी लोगों से ही कहेंगे जीने दो भैया। जीने दो। यही सबसे बड़ा धारा है। श्री राधे।

39 Comments

  1. मैंने भी शिप्रा जी के बारे में बहुत कुछ गलत कमेंट किया था आपका वीडियो देखने के बाद अधिकतर डिलीट कर दिया है dhanyawad ❤

  2. Baat marriage ke nahi hai baat hai hipocracy ki ye basically lakhon middle class ke muhn pe ek tamacha hai aur unke upar ye do take ka podcaster jinka adhura gyan hai yahi milke society ko advise derahe hain aacha pura society kharab aur yahi ek do dudh se dhule hue hain

  3. बिल्कुल सही कहा आपने👍
    बहुत शांति मिली आपकी बातें सुन के🙏🏻
    कितना भी किसी को समझाएं परन्तु किसी की आदतों को नहीं बदला जा सकता, हाँ ये है कि जब हम ये ठान लेते हैं कि बस बहुत हुआ अब नहीं अब हमें अपनी बुरी आदतों को छोड़ना है, उस दिन से ही किसी को हमें समझाने की आवश्यकता नहीं पड़ती 🙏🏻
    क्यों नहीं समझते हम लोग की जब वो कह रहे हैं कि वे कोई संन्यासी नहीं हैं , कोई तपस्वी या कोई साधु संत नहीं बस ईश्वर की कथा सुनना और सुनाना उन्हें अच्छा लगता है वो मात्र एक कथावाचक तथा आने वाली पीढ़ियों को सनातन संस्कृति एवं परम्परा से जोड़ना चाहते हैं बस,
    कब इन्होंने इस बात को नकारा की हम गृहस्थ नहीं हैं या गृहस्थ जीवन नहीं जीना है हमें,
    यार इतनी सी बात हमें समझ क्यूँ नही आ रही, क्या एक गृहस्थ विवाह अथवा अच्छा जीवन नहीं जी सकता अगर हाँ तो फिर गलत कहाँ हैं ये लोग🧐
    यार हम लोगों को तो इन महात्माओं का कृतघ्न होना चाहिये जो सदैव हमें सही दिशा निर्देश और सच्चा ज्ञान प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं, कितने भाग्यशाली हैं हम सब लोग जो हमें इन दिव्यमहापुरुषों का सानिध्य प्राप्त हो रहा है🙏🏻
    हमें तो ईश्वर से यही प्राथना करनी चाहिए कि हम सब पर इन दिव्यमहापुरुषों का आशीर्वाद एवं प्रेम बना रहे❤️🙋🙏🏻

  4. कितने पैसे मिले हैं.. ये सब बोलने के लिए..
    मेरे भाई..
    किसी की शादी से किसी को कोई दिक्कत नहीं…
    पर ये कथा वाचक लोग..
    व्यास पीठ पर बैठकर जो बड़ी बड़ी बातें और.. बड़े बड़े dialogues मारते है..
    Aniruddachaya जी अपनी कथाओं में बोलते रहते है
    Love marriage karoge तो औलादें वर्ण संकर पैदा होंगी..पितर पानी नहीं पियेंगे.. और खुद Love marriage में Dance कर रहें हैं..
    इंद्रेश जी के वर्ण संकर नहीं होगा अब.. इनके पितर पानी पी लेंगे..
    इंद्रेश जी तो बोलते है मुझे शादियों में जाना पसन्द नहीं.. लोग फिजूलखर्ची करते है.. अब कहाँ गई ये सब बातें ???

    लोगों को शादी से दिक्कत नहीं हो रहीं.. इन्होने जो झूठ बोले उस से लोगों कों बुरा लगा है..
    दूसरों को झूठा ज्ञान देते है…
    और खुद
    मोह.. माया के फुल मजे ले रहे है…

    बस यहीं बात है..

    अब लोगो को इन कथा वाचक को की असलीयत पता चल रही है.. तो लोगों को बुरा लगा औऱ अब इनसे दूर हो जाएंगे लोग..
    Devkinandan ठाकुर जी भी Love marriage की बुराईयां करते और खुद शादी में चले गए

    ये लोगो का emotional बेवकूफ़ बनाते है.. ये लोगों को अब समझ आ गया..

    और तुम झूठ को सच साबित करने में लगे हो..
    Iske भी पैसे लिए होंगे..

  5. Ek to hamjaise jagganth premi yon ko to yese jagganath jee ke biruddh ke muhn lagna bhi pasand nahi but ye abhi khulam khula gyab baatne chal rahe hain to bolna padta hai

  6. देखो भाई ऐसा कोई बात नहीं की किसी को जलन हो रही , समस्या यह है कि जो इंसान धर्म की बात करते हुए लोगों का शोषण करे समस्या इससे होता ,समस्या इससे होता जब इंद्रेश जी जैसे लोग बोलते हम सामाजिक रूप से जयमाला की परंपरा का विरोध करते ओर ओहि काम खुद करते है तब समस्या यहां से उत्पन होती ,किसी को ज्ञान देना आज कल के दुनिया में बहुत आसान है वो भी धर्म का लेकिन उसको खुद फॉलो करना बहुत मुश्किल ,हर चीज पे आपको लोग सपोर्ट नहीं करेगा सुभांकर भैया ,आप जो हकीकत है उसी पे रहिए किसी का पक्ष तभी लीजिए जब विरोध के पीछे कारण को जाने

  7. In the wedding card, Why Shipra and her family last name was changed from Bawa to Sharma. The most absurd thing was Shipra's father actual name is Harjinder, on the card it was printed Harender Sharma. Clearly shows Indresh and his family are not comfortable with Shipra's background. I feel sorry for Shipra. She shouldn't have married to such person.

  8. भीम वाली भोंसड़ी वाला नहीं सुधरेगा भीमवादी का मां बहन का चरित्र पूरा खराब होगा मगर दूसरे के ऊपर सवाल उठेगा भीमवादी भीमवादी काठ मूल्य का अपना बहन को शादी कर सकते हैं भीमवादी को लात खाने का जरूरत है अब😡😡😡😡😡😡

  9. Are ye admi bhagwan shree jagganth jee ko galat bolta hai unke bare mein pujya shree premanand jee ke bare mein yesa kand karwa ta hai baaki yahi mamle mein aagaye samne society ko galat savit karne ke liye

  10. बिरादरी की बात आ गई क्या मिश्रा जी 😂

  11. Apki ek ek baat bhut shi hai sir…pata nhi kyu is duniya m koi kisi ko jeeny nhi dyty.. wo sirf ek kathawachk hi nhi hai balki kisi ky bety, kisi ky bhai bi hai…unky ghar walo ka bi kuch iccha rahi hogi unki shadi ko lyky or unhony apny bety apny bahi ky liye pury kiye….unki shaadi bhut achi Hui….ye hi logo sy nhi jyla ja rha hai…..hum to indresh ji ki bhut respect krty hai..or humesa krygy….or wo apny nye safar mai apni dharmpatni ky sath kush rahy….. Radhe Radhe 🙏

  12. Please in dono ko jeene do!! Bahut hi sweet couplehain..aur indresh ji ne apni kathaon se kitnaa anand diyaa hai ⚘️ aap se paise thode maange hain apni shaadi ke liye !! Unhone apne khud ke paise kharch kiye hain…yeh un logon kaa adhikaar hai ⚘️❣️⚘️..yeh ek simple jealousy hai…sharm karo….!! Itnaa neeche mat giro!!

  13. hn ye divorcee h shipra ji interreligious marriage h shipra ji ki koi glt baat nnhi pr janta ko share kare itna accha kam kiya h ek ladki ki jindagi bachai h sabko pta chlna chahiye

  14. Bhai frkk nhi padd rha h aapko to ye 20 minutes k video kyu bnai. Aap bhi to content hi bna rhe ho unka. Aapko kya lena h ki log unke bare m kya keh rhe hai. Aap ne sb kyu adalt lgai hui hai logon or unke bich m. Aap bhi to content hi create kr rhe hai. 😂😂😂

  15. Jo dharmik gyan tum gareebo ke liye h 😂😂😂 tumko bolenge sadiyo me kU dikhawa rat me nhi din me din me nhi vedic kro sanatani kro wo kro aisa kro hindu ek ho jao daan kro brambharya rho ladki n dekho ye sabko chutiya bnate h milkr sudhar jao ab n sudhare jute chatoge😂😂

  16. चुटिया न बनाओ सब कथाकार में कुछ छोड़कर सब चोर है

  17. Vaishnav apraad kiya hai, logon ne, s 5:48 sharam ana chahiye ese logo ko contant ke liye uchhaal rahe..
    Narak bugtenge jo ye log kiye hain, Vaishnav apraad ke liye koi maafi nahi hai
    Bahut dukh ho raha tha in jahilo ki video dekh kar…
    Thanks apne ye video banaya …

  18. Mishir ji shobha nahi de rha aapko 😊 jo sach hai vo sach hai …
    Baba log ke vishwas na karke shirf bhagwan pe yakin that's it…

    Moh se dur rehne ke liye bola jata hai lekin khud unhi me fase hai

  19. Pandit ye bhi h jalegi iski bhi 😂😂😂 achha kiya h gyaan utna pelna chahiye jitna khud jhel pao koi jal ni rha logo ko chutiya bnaya h iske liye bol rhe h 😂😂😂 hmko maya se dur krke khud maya me lipte ja rhe h 😂😂😂

  20. इसकी वीडियो बिल्कुल भी नहीं देखता मैं
    शुभंकर मिश्रा फेंकू है यार

  21. कृपया कोई भी भाई लोग, हमारे गुरु माता और जय जय इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज के बारे में गलत टिप्पणी ना करें।
    विरक्त संत और कथावाचक में अंतर होता हैं।
    प्रेमानंद जी महाराज, रितेश्वर जी महाराज आदि ये संसार से विरक्त संत महाराज जी हैं।
    किंतु जया किशोर जी, इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज आदि ये लोग कथावाचक गृहस्थ हैं।
    किसी भी वैष्णव पर कुछ गलत टिप्पणी नहीं करना चाहिए इससे बहुत बड़ा पाप लगता हैं।
    राधा रानी और कृष्ण भगवान सब कुछ सह सकते हैं किंतु वैष्णव जन का अपमान नहीं, बहुत बड़ा पाप लगेगा उनलोगों जो गलत टिप्पणी कर रहे हैं और उनके शादी का मज़ाक उड़ा रहे हैं।

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