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#RamBhadracharya #RamMandir #premanandmaharaj #anirudh

Unplugged ft. Jagadguru Rambhadracharya | Baba Bageshwar | Shankaracharya | Premanand Maharaj | Dinesh Lal Yadav | Amrapali

#swamirambhadracharya #IndiraGandhi #PVNarasimhaRao #DhirendraKrishnaShastri #Shankaracharya #PremanandMaharaj #HanumanChalisa #reservation #Amrapali
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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

Time Stamp

00:00:00 – Intro
00:03:36 – Teaser
00:07:11 – Jagadguru Rambhadracharya ne kyu nhi karaya ankhe thik ?
00:09:50 – Girdhar Mishra, jagadguru Rambhadracharya kaise bane ?
00:15:30 – jagadguru Rambhadracharya ne kitni Bar Padha Ramayan ?
00:17:20 – Ram Mandir kya ab Kashi or Mathura ki Bari ?
00:18:11 – Ram Mandir mein kiski sabse badi Bhumika thi ?
00:20:29 – Mathura ke liye kya karenge jagadguru Rambhadracharya ?
00:21:06 – About baba Bageshwar Hindu Jodo Yatra
00:25:48 – jagadguru Rambhadracharya Statement on Upadhyaya, Chaube, Dube
00:27:04 – Rambhadracharya point of view on new generation baba
00:29:49 – About Sanatan Board
00:31:30 – Ram ke 5 Bhai the ?
00:33:04 – About Neem Karoli Baba
00:34:20 – Ram mandir Andolan mein Jagadguru par chali thi lathi
00:36:27 – About Hindu Rashtra
00:40:36 – Married log bhi ho sakte hai Brahmachari ?
00:41:28 – Shankaracharya ki asli nakli ki bhasha kitni hai ?
00:46:32 – Brahman Janm se hota hai ya karm se hota hai ?
00:47:25 – About Premanand Maharaj
00:50:13 – Gandhi Ji ka thought Bhagwan Ram pr kitna shi ?
00:52:32 – Jagadguru ki Tarah Yadas pane ke liye kya karna chahiye ?
00:55:47 – About Reservation
01:01:45 – About Pahalgam ?
01:05:40 – ISKCON Sahi ya Galat ?
01:08:14 – About Ind vs Pak Match
01:09:46 – About Rambhadracharya Controversy Statement on Ambedkar ji
01:12:42 – Safalta ka kya matlab hai ?
01:13:41 – About Mental Health
01:14:40 – Intercaste Marriage sahi ya galat ?
01:16:24 – Bhagwan Ram ne Sita ji tyag Kiya tha ya nhi ?
01:23:06 – About Nirahua and Amrapali Relation
01:25:23 – End

गिरधर मिश्रा जगतगुरु रामभद्राचार्य जी कैसे बने? कभी यह सांसारिक जीवन, सामाजिक जीवन, लोगों को, अपनों को देखने की इच्छा नहीं हुई? मुझे सरकार ने कहा था 1974 में इंदिरा गांधी ने भी कहा था। पर मैंने कहा कि अब संसार देखने का मेरा मन नहीं होता। नरसिम्हा राव सरकार में आप पर लाठी चली थी। 6 दिसंबर 1992 को मैं स्वयं जेल गया। डंडे खाए। लाठी भी चली थी और मैं जेल में भी था। और इतना संघर्ष के बाद भी उस ट्रस्ट में मैं नहीं हूं। आपके एक शिष्य हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी। वो आजकल जातिगत श्रेष्ठता खत्म करने की मुहिम पर निकले हैं। जब तक हिंदू एक नहीं होगा तब तक हम इस देश के लिए आज से अपने आप को समर्पित करते हैं। ये तो मेरी ही शिक्षा उसको दी है। आद्य शंकराचार्य ने एक बहुत बड़ी गलती की। ब्रह्म सूत्र में अपशूद्राधिकरण नामक भाष लिख दिया। इसी का फल है। शंकराचार्य जी के जन्म प्रदेश की केरला में 95% ईसाई हो गए। आजकल शंकराचार्य जी लोग भी एक दूसरे को असली नकली शंकराचार्य कह रहे हैं। कि नकली शंकराचार्य जी का भी गठन कर देश में घुमा रही है। अंदर से सब जानते हैं कौन असली कौन नकली। सारे आचार्य नकली हैं। अब पूर्व के शंकराचार्य को संस्कृत बोलने का अभ्यास नहीं है। तो गाली देंगे इसको शंकराचार्य बन जाता है क्या? आपका एक वक्तव्य हम लोग सुन रहे थे। उपाध्याय चौबे त्रिगुणाए दीक्षित और पाठक। यह नीच ब्राह्मण है। उपाध्याय को, चौली को, पाठक को, तिगुनायित को निम्न श्रेणी में क्यों कहा गया? क्योंकि इन्होंने धर्म गुरु या खासतौर पर कथावाचक है। वो ऐसा लगता है सोशल मीडिया पर वायरल होना बहुत चाहते हैं। आप पहले जो सबसे विद्वान होता था वही कथा वाचन करता था और आज जो सबसे मूर्ख होता है वही कथा वाचन करता है। ब्राह्मण जो होता है वो जन्म से होता है या कर्म से होता है। प्रेमानंद जी के लिए भी कहते हैं कि चमत्कार है ये। बिना किडनी के भी जीवन चल रहा है। कोई चमत्कार नहीं है। चमत्कार यदि है। जी मैं चैलेंज करता हूं प्रेमानंद जी एक अक्षर मेरे सामने संस्कृत बोल कर दिखा दे बस। आपने हनुमान चालीसा में भी कुछ सुझाव जैसे दिए। इसको लेकर भी एक विवाद खड़ा हुआ था। कुछ लोगों ने कहा कि तुलसीदास जी की रचना में आपने हस्तक्षेप नहीं रामचरितमानस में भी मैंने गीता पर इसकी 4200 गलतियां दिखाई। शंकर स्वयं के श्री नंदन। हनुमान जी शंकर जी के बेटे नहीं है। शंकर जी ही राम जी की सेवा के लिए हनुमान जी बन गए। आरक्षण को लेकर गुरुदेव का मत जो है वो रहता है कि केवल उसकी आर्थिक स्थिति के हिसाब से दिया जाए। मैं खुली चुनौती दे रहा हूं। तुम जातिवाद के आधार पर आरक्षण आरक्षण बंद करो। मैं जातिवाद समाप्त करवा देता हूं। मैं जगत गुरु और किसी नेता को दम हो तब ना। अंबेडकर जी को लेकर आपने एक इंटरव्यू में कह दिया कि उनको भाषाओं का ज्ञान नहीं था। भाषा नहीं कह रहा हूं। उनको संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं था। मनुस्मृति प्राचीन ग्रंथ है जो उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के हिसाब से लिखा गया था। उसमें स्त्रियों के अधिकार पर थोड़े सवाल है। भेदभाव है। वर्ण व्यवस्था मनुस्मृति भारत का शाश्वत संविधान है। तो निरहुआ बताएं कि गुरुदेव हमसे कहे रहे कि आम्रपाली साथी आए। आप पूछो उनसे कि तो बहन है तो कह नहीं अर्धांगिनी है। ये तुम्हारी बहन है। अर्धांगिनी कहां सिस्टर? अब इंटरव्यू में कहत रहे कि हम कुछ नहीं है बहुत झूठा आपके चेहरे पर अलग चमक आ जाता है जैसे गायत है अच्छा तब मान बलमा सजनी तब तो प त्रिभुवन विदित अवध जे करवा आज हमारे साथ एक ऐसे महान संत विद्वान समाज सुधारक हैं जिन्होंने अपनी दृष्टिहीनता को कभी राह में बाधा नहीं बनने दिया। अगर उनकी बात की जाए तो वह संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं, कवि हैं, लेखक हैं, कथावाचक हैं। 22 से अधिक भाषाओं की उन्हें समझ है। सैकड़ों ग्रंथों की रचना की है। शिक्षा समाज सेवा में उनका योगदान है और भक्ति ज्ञान समर्पण की कहानी जो है वो हर किसी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। हमारे साथ जगतगुरु रामभद्राचार्य जी हैं। कैसे हैं गुरु जी आप? मैं बहुत प्रसन्न हूं। प्राय है लोग जीवन से चिढ़ने लगते हैं। जी पर मैं यहां बताते हुए प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं कि आई नेवर आई नेवर ले आई नेवर हेट माय लाइफ क्योंकि जीवन में जो करना था वो मैंने किया। जो करना चाहिए करना है वो कर रहा हूं और जो करना होगा वो करूंगा। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जी जो पहले वशिष्ठ गोत्रीय ब्राह्मण हूं। जी एक प्रवाद चला था कि वशिष्ठ गोत्रीय ब्राह्मण 13 का होता है। हम मैंने शास्त्र से खंडन करके कहा कि ये लोगों ने अपने मन से कल्पना की है सरयू पालों की परंपरा में एक तीन 13 फिर सवा लाख एक में वशिष्ठ कुल होता है। रामचरितमानस के बाल अयोध्या कांड के 243 दो आठवीं पंक्ति में लिखा है यही सब निपट नीच को नाही ब वशिष्ठ सम को जग माही वशिष्ठो जपतांबर और श्रावणी उपकर आप देखते होंगे हमारे जय रामदास जी भी जानते हैं श्रावणी उपक्रम में सप्तशियों के साथ यदि किसी की पूजा होती है तो वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधति की ही पूजा होती है। तो ऐसे होने पर भी मैं अपने को दृष्टिहीन मानता ही नहीं। सर्वस लोचन शास्त्रम नास्त शास्त्र ही सबका नेत्र है। जिसके पास नहीं वो अंधा है। ऋग्वेद से लेकर हनुमान चालीसा पर्यंत मुझे भारतीय वैदिक संस्कृत के डेढ़ लाख पुष्ट आज भी कंठस्थ हैं। जी तो मैं कैसे अपने को दृष्टि कहूं और आपको जब कि जन्म के 2 महीने पश्चात ही मैंने भौतिक नेत्रों को बंद कर लिया था। पर पांच वर्ष की अवस्था में गीता कंठस्थ की सात वर्ष की अवस्था में संपूर्ण रामायण कंठस्थ किया और जब पढ़ा तो कभी भी 99% से नीचे नहीं देखा। अर्थात 99% से नीचे कभी नहीं देखा। मैंने कभी ब्लाइंड कंसेशन नहीं लिया। कभी ब्रेल नहीं ब्रेल छुई नहीं। ब्लाइंड स्कूल में पढ़ने तक नहीं गया। जी क्योंकि मैं अपने अनुभव ही नहीं करता कि मुझे नहीं दिखता। ना मुझे ना मेरे परिककरों को नहीं आपने ये सुंदर बात कही कि जिसे शास्त्रों का ज्ञान नहीं वो नेत्रहीन है लेकिन कभी ये सांसारिक जीवन सामाजिक जीवन लोगों को अपनों को देखने की इच्छा नहीं हुई क्योंकि बीच में हमें सुनाई पड़ा था किसी सरकार ने शायद आपसे कहा था कि वो नेत्रों का इलाज करवा सकते हैं। मुझे सरकार ने कहा था। इन तक 1974 में इंदिरा गांधी ने भी कहा था। मुफ्तलाल ग्रुप ने भी कहा था। जी पर मैंने कहा कि अब संसार देखने का मेरा मन नहीं होता। क्यों गुरु जी? इसी संसार देखने योग्य नहीं है। देखने योग्य तो केवल भगवान राम है। जी। मैंने श्लोक कोबद्ध कहा था। वो श्लोक भी मैं आपको इस इंटरव्यू में सुना रहा हूं। जी जब अखिल भारतीय संस्कृत की पांच प्रतियोगिताएं हुई थी और पांचों मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया था तब इंदिरा जी पुरस्कार की वितरण के थी अतिथि तीन बार मेरा नाम आया तो उन्होंने कहा अब हम मैं जान गई अब दो बार इनहीं का आत्मा आएगा तब इंदिरा जी ने आ कहा कि आप इतने प्रतिभा संपन्न है आपके नेत्रों की व्यवस्था मैं करवा सकती हूं अब तो सब कुछ हो जाएगा तो मैंने कहा था किम दृष्टव्यम पतित जगति व्याप्त दोष प्रसत्त माया चारा तनताम पाप राजारे दृष्टव्य दृष्टव्य चिकुर निक पूर्ण वक्तविंदो दष्ट्य सो चिकुरनिक पूर्ण वक्तविंद पूर्णंदो धित शिशु तनु रामचंद्रो मुकुंद कुंद अर्थात अब संसार में कुछ भी देखने योग्य नहीं रहा। इसमें दोष हैं। जी यहां रहने वाले माया मायाचार से युक्त हैं। यहां पाप है। अब तो दृष्टव्य केवल घुघराले बालों से जिनका मुखारविंद सुशोभित हो रहा है। ऐसे बाल रूप में भगवान राम ही देखने होंगे। गुरु जी आपके बचपन का नाम गिरधर मिश्रा था। हां, निश्चित। तो गिरिधर मिश्रा, जगत गुरु राम भद्राचार्य जी कैसे बने? कुछ बताइए ना इस बारे में। आपके आपके गुरु के बारे में लोग जानकारी नहीं है। मेरा जन्म हुआ 14 जनवरी 1950 को। जी। जौनपुर। जौनपुर तब तबके सानी खुद में। जी। अब उसका नाम योगी जी ने बदल दिया। जोगी जी मेरी माता जी के बहुत भक्त थे। जी अब मेरी माता जी स्वर्गीय हो गए हैं। जी साकेत वासनी हो गए और सौभाग्य के साथ गई हूं। सौभाग्यवती सचिव मिश्रा जी तो योगी जी ने कहा कि उनका लड्डू खाकर मैं मुख्यमंत्री बना हूं। उन्होंने एक लड्डू उनको खिलाया था। जी तो कहा मैं माता जी के नाम से इस गांव का नाम अब सचिव पुरम रख रहा हूं। जी तो सचिवपुरम में मेरा जन्म जन्म के दो महीने पश्चात रघुआ रोग से नेत्र बंद फिर भी परिवार ने बहुत अच्छा पालन किया जी पढ़ा लिखा मैंने और इस प्रश्न का अब उत्तर देने जा रहा हूं कि गिरिधर विश्व से मैं जगतगुरु राम जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य कैसे बना जी 1976 के 6 मार्च को जी एक वाराणसी में शास्त्रार्थ हुआ था। जी साधु मेला विद्यालय में जी उस समय मैंने भगवान राम से कहा कि देखो मैं आपके गुरु गोत्र में उत्पन्न हूं। हम आज मैं हार जाता हूं शास्त्रार्थ में तब तो कोई अंतर नहीं पड़ेगा। पर मेरे हारने से आपके गुरु गोत्र का अपमान होगा। हम आप सुनकर आश्चर्य पड़ेंगे। हमारे जय रामदास जी जानते हैं जब शास्त्रार्थ हुआ तो मैंने एक ऐसा पक्ष रखा जो मेरे गुरुजन भी नहीं जानते थे हम और एक साथ 50 लोगों को चुप कराया मैंने सायं काल लौटा मैंने कह दिया राघव आपने अपने गुरु गोत्र की मर्यादा रखी है तब मैं वचन देता हूं कि अब मैं गृहस्थ आश्रम में नहीं लौटूंगा। यू विक्ति मेरी प्रथम से थी। ब्रह्मचर्य प्रथम से था। मैंने दीक्षा ले ली थी। हम 24 जून 2015 में बहुत अच्छे एक संत थे ईश्वरदास जी महाराज। जी वो छहों दर्शनों के विद्वान थे। और ऐसी विरक्ति मैंने किसी की देखी नहीं। सही गोमती के संगन पर रहते थे कुठी बनाकर और रामवल्लभ शरण जी के शिष्य थे पर किसी को शिष्य नहीं बनाया। आए और कहा कि भगवान ने प्रेरणा दी कि मैं तुम्हें दीक्षा दूं। तो राम मंत्र की दीक्षा मैंने ले ली थी। पर मैं बालक था। विलक्ति नहीं संभाल सकता था। तो उन्होंने कहा कोई बात नहीं मैं तो नहीं रहूंगा पर किसी शरीर पारण ब्राह्मण से लंगोटी छुआ लेना बस इसके बाद बाढ़ आई उनकी कुटिया बही उसी कुटिया के साथ जल प्रवाह में स्वयं भी गुरुदेव हमारे प्रवाहित हो गए जी फिर हमने पढ़ा और पढ़ने के पश्चात अब निर्णय लिया कि बेश भी ले लूं तब प्रयाग में बहुत अच्छे संत थे। प्रयाग में बहुत अच्छे संत थे। संकट मोचन मंदिर के संस्थापक श्री अनंत श्री श्री अनंत श्री श्री रामचरण दास जी महाराज फलारी जी महाराज करपात्र स्वामी ने कहा ये शरीर पर इनहीं से लंगोटी छुआ लो मनु उनसे भी कह दिया जी कि आपसे लंगोटी छुआ रहा हूं परवेश तिलक नहीं बदलूूंगा बिंदी उनका बिल्कुल ठीक है श्रीमान तब मेरा गिरिधर मिश्र नाम बदलकर रामभद्रदास नाम हुआ। जी इसके पश्चात 24 27 जून 24 जून 1900 88 में जी गंगा दशहरा के दिन तीनों अखाड़ों काशी विदत परिषद ने मेरा जगतगुरु राम रामानंदाचार्य अभिषेक किया। जी तब मेरा नाम हो गया जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य। आपने अपने जीवन में कई बार रामचरितमानस का पाठ किया क्योंकि हमने पढ़ा था कि 60 दिन में आपने रामचरितमानस को कंठस्थ कर लिया था। हां मैंने तो अगर एक अंदवा बताना हो नहीं अंधजवा नहीं बताऊंगा। प्रामाणिक बताऊंगा। नहीं कई बार आपने पढ़ा है। मैं बताने जा रहा हूं। पहले आप सुन तो लीजिए। 56 14 नवंबर 196 1956 को जी मैंने एक लड़के से कहा तुम रामायण सुना दो तो उसने अपनी भाषा में कहा कि ना दिखाए नहीं सुनाए रामायण सुन तब हमारे बाबा शरीर के पितामह जी पंडित सूर्यमल मिश्र ने कहा कि तू चिंता मत करा तो वन राजा ससुर मांगे भीख हम चला तो हम कंस खराब थे हां तो मैंने 60 दिन में पूरी रामायण कंठ की हम आज भी मेरा नियम है इतना व्यस्त रहने पर भी दो लाख राम नाम का जब तो मैं प्रतिदिन करता ही हूं पर तीन दिन में मानस जी का पाठ पूरा करता हूं एक दिन में बालकांड एक दिन में अयोध्या कांड और शेष कांड तीसरे दिन संपूर्ण कंठस्थ है। हां तो कंठस्थ चाहिए उसको। तो संपूर्ण रामायण मैं एक महीने में तीन बार करता हूं। अब 8000 से ऊपर पाठ मेरे राम जी के हो गए। जय श्री राम। अद्भुत अद्भुत। राम मंदिर में आपकी गवाही की बहुत बड़ी भूमिका रही। अब आप वृंदावन में मौजूद हैं। अयोध्या में भव्य राम मंदिर हमने देखा। हम आपसे आशीर्वाद लेने भी आए थे अयोध्या। अब हम वृंदावन में बैठे हैं। क्या यह संकेत माने काशी को लेकर या भविष्य मथुरा को लेकर? नहीं दो उचित संकेत होगा। मुझे लगता है कोर्ट फिर मुझे बुलाएगी हम और फिर मैं शास्त्रीय साक्ष्य देने उपस्थित होऊंगा। और फिर वचन देता हूं आपको कि न्यायमूर्तियों को मैं सहमत भी करूंगा हम और चुप भी कराऊंगा। 441 प्रमाण दिए थे आपने। हां जी जी। इसमें 437 तो तत्काल मान लिए थे सरकार ने। हम चार प्रमाणों को उस उनको जरा व्यवस्थित किया तो उनको भी मान लिया सर। चार दिन के अंदर-अंदर तो जैसे आज भव्य मंदिर बन गया है। करोड़ों लोग दर्शन कर रहे हैं। हर आदमी कह रहा है कि हमारी वजह से बना। आप क्योंकि उसमें गवाही देकर भी आए थे और आप हुए, अवैधनाथ जी हुए, परमहंस जी हुए, अशोक सिंघल जी हुए। आप क्या मानते? किसकी सबसे बड़ी भूमिका रही जो आज की पीढ़ी मैं कुछ नहीं कहूंगा। पर इतना कहूंगा कि न्यायालय में मेरी भूमिका थी। आंदोलन में हम लोग पांच छह लोग थे पहले। जी। 1984 में नृत्य रामचंद्र पर रामचंद्र दास परमहंस जी अवैद्यनाथ नृत्य गोपाल दास अशोक सिंघ और मैं जी पांच लोगों ने प्रारंभ किया था यहां आंदोलन और न्यायालय का जब प्रकरण आया तो सभी शंकराचार्य मुकर गए कोई नहीं गया न्यायालय में अंत मुझसे जब कहा गया मैंने कहा देखो मैं वशिष्ठ गोत्रीय ब्राह्मण हूं मेरे पूर्वजों ने राम जी का नमक खाया मैं भी खाता हूं राम जी का नमक और जिस मुकदमे में वादी नाबालिक होता है अवयस्क होता है जी वहां माता-पिता गुरु पक्ष लेते हैं तो यहां मेरे रामलला भी नाबालिक अब इसके मैं उनका पक्ष लूंगा लिया पक्ष और मुस्लिम न्यायमूर्ति जज महोदय ने भी कह दिया जगतगुरु जी यू आर डिवाइन पावर दैय शक्ति दय शक्ति तो मैं ये नहीं कहने जा रहा हूं कि मेरे कारण बना पर ये से कहने जा ही रहा हूं कि मेरी प्रतिभा के कारण उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के निर्णय की दिशा बदल गई। ये तो लिखित और लोग तो झूठ बोल रहे हैं। जी मेरा तो लिखित है ना। जी तो गुरु जी क्योंकि वृंदावन में हम और आप बैठे हैं। थोड़ी दूर पे ही मथुरा में जन्मभूमि है। कोई उसको लेकर भी आप लोग आंदोलन चेतना चलाने की कुछ चल रहा है। मैं कुछ नहीं कर रहा हूं। अभी परसों उच्च उच्च न्यायालय में यह प्रकरण आ रहा है। जी। मैं आंदोलन में भाग नहीं लूंगा। हम पर जब न्यायालय शास्त्रीय साक्ष्य के लिए बुलाएगा तो मैं आऊंगा उस ठीक है आपके एक शिष्य हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी वो आजकल जातिगत श्रेष्ठता खत्म करने की मुहिम पर निकले हैं अभी वो भी वृंदावन आने वाले हैं कुछ समय बाद देश के अलग-अलग जहां मार्च निकालते हैं वो कहते हैं कि जाति में श्रेष्ठता खत्म होनी चाहिए आप अपनी जात पर गर्व कीजिए लेकिन किसी को छोटा मत समझिए आप उनकी मुहिम कैसे देखते हैं ये तो मेरी शिक्षा उसको जी मैं कभी भी जातिवाद के पक्ष में नहीं रहा और ऊंची नीचे के पक्ष में नहीं रहा। जी मैंने तो मैंने ही शुक्ल यजुर्वेद के 31 वे अध्याय के 11व मंत्र का उदाहरण दिया था। ब्राह्मण राज उदग शद्रत जी इसका हिंदी अर्थ है ब्राह्मण वर्ण भगवान के मुख से प्रकट हुआ जी क्षत्रिय वर्ण भगवान की भुजा से प्रकट हुआ वैश्य वर्ण भगवान के जंगी से प्रकट हुआ और शूद्र वर्ण भगवान के चरण से प्रकट हुआ जी इसमें जो वेद नहीं जानते वो कहने लगे कि शूद्र अधम हो गया। मैंने कहा अच्छा ये बताओ यदि चरण से प्रकट होकर शूद्र अधम हो गया तो भगवान के उन्हीं चरणों से गंगा जी प्रकट हुई है। जी वो क्यों उत्तम हो गई? और हम जब किसी को प्रणाम करते हैं तो किसी का मुख छूकर प्रणाम करते हैं क्या? पैर छूकर चरण छूकर चरण छूकर जी तो जब चरण नमित होता है चरण प्रणम में है ना कि मुख तो चरण से प्रकट हुआ शुद्र कैसे अशुद्ध हो गया हमने वेद की व्याख्या ठीक से पढ़ी नहीं जी चारों वर्ण अपने अपने स्थान पर शुद्ध है जी पवित्र है हिंदव सो ना हिंदू परतो भवित जो राम कृष्ण को मानता है वह पवित्र है। एक छोटी बात गलत कहा लोगों ने जैसे कई आलोचक मैं फिर बोलूं सबसे बड़ी गलती कभी-कभी बड़े लोग गलती कर देते हैं। जी अब आज मैं आपको इंटरव्यू में कह रहा हूं। आद्य शंकराचार्य ने एक बहुत बड़ी गलती की। ब्रह्म सूत्र में अपशूद्राधिकरण नामक भाष्य लिख दिया। उसमें शूद्रों की बड़ी निंदा की। जी कि वेद सुनने पर उनको गर्म शीशे से उनके कान में डाल दिया जाए। ये सब बातें अब अच्छी नहीं लग रही है। पहले अच्छी लगती थी। इसी का फल है कि शंकराचार्य जी के जन्म जन्म प्रदेश जी केरला में 95 सत्य ईसाई हो गए। इसी के फल ही हमने कभी किसी को छोटा नहीं माना। यहां तक कि निषाद को राघवेंद्र जी ने गरे से लगाया। जी शबरी मां का झूठा फल भगवान राम ने खाया। जी कि प्रेम पत्र में लिखा है प्रेमना वशिष्टम भक्त फल चतुष्ट कृत राम भक्त नाम शरी मण शरी के झूठे पर भगवान ने कहा है जी ये जो कहा जा रहा है कि शंभोग को भगवान ने मार डाला था गलत बात है उत्तरकांड प्रक्षुप्त है वाल्मीकि रामायण का मैंने बहुत प्रमाण दिए हैं। मेरी पुस्तक में सीता निर्वासन तुम संभोग नहीं। यदि राम जी। शूद्र को तपस्या से वंचित करने के मन से आए होते। तो शबरी जी से क्यों पूछ लिया भगवान राम ने? कच्चित नियत कोप कचित वधते तपः क्या आपका क्रोध नियंत्रित है? क्या आपकी तपस्या बढ़ रही है? क्यों नहीं शबरी को मार डाला भगवान राम ने? जी। शबरी को मां बनाया। जी। इसलिए ये सब पक्ष सरासर झूठ है। अच्छा गुरुदेव आपका एक वक्तव्य हम लोग सुन रहे थे जिसको आपके विरोधी कई बार निशाना बनाने के लिए उठाते हैं कि ये उपाध्याय चौबे दुबे नहीं ऐसा है। पाठक ये नीच ब्राह्मण है। ऐसा है मैंने ये कहा था जी सर उपायों में उपाध्याय को चौ को पाठक को त्रिगुनायत को निम्न श्रेणी में क्यों कहा गया जी क्योंकि इन्होंने विद्यार्थियों से धन लेकर पढ़ाया। अच्छा इसलिए उनको उस कहा गया था। जी कोई नहीं कोई ब्रांड नहीं जी यदि यदि हमारे यहां का नियम होता है जी हम टटर कभी नहीं रहे जी हमारी सुर भारती में ट्यूशन की परंपरा नहीं है जी यदि विद्यार्थियों से एक पैसा ना लेकर कोई पढ़ाए तो उत्तम तो है ही है। बिल्कुल सही बात है। इसलिए उनको अधम अधम माना सभी उपायों ने जी कि इन्होंने पैसा लेकर पढ़ाया। उस दौर के हिसाब से जी आज के दौर के हिसाब से नहीं गुरुदेव आजकल जितने भी धर्म गुरु या खासतौर पर कथावाचक हैं वो ऐसा लगता है सोशल मीडिया पर वायरल होना बहुत चाहते हैं और जिस वृंदावन में हम बैठे हैं रोज बयान आता है लड़कियों के पहनावों को लेकर कपड़ों को लेकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हैं। मैं एक बार कहूं एक बार कहूं आज की सबसे बड़ी विडंबना यह है। जी पहले जो सबसे विद्वान होता था। जी वही कथा वाचन करता था जी और आज जो सबसे मूर्ख होता है जी वही कथा वाचन करता है सभ्यता आती है विश्वविद्यालयों से जी जितने कथावाचक हैं जी किसी की ऐसी क्वालिफिकेशन नहीं जो यूनिवर्सिटी ज्वाइन करके आए हो जी और मैंने तो आप जानते ही हैं मैं यूनिवर्सिटी का लगातार दो बार का टॉपर रिकॉर्ड ब्रेकर दोनों था। जी तो सभ्यताओं का हम मुझको ज्ञान है। इन्हें ज्ञान नहीं है। इस प्रकार का बयान इनको नहीं देना चाहिए। लेकिन गुरु जी डर ये है कि जैसे नया बच्चा जो अब आ रहा है वो तो टीवी पर सोशल मीडिया पर इन्हीं को देख रहा है। नहीं नहीं ऐसा नहीं मुझको देख रहा है। जी जी इनको नहीं मुझको भी देखा कि नहीं देखा आपको देख रहा है लेकिन इन लोग का बयान दिन भर सोशल मीडिया चलता रहता है नहीं वो गलत सब सब थू कर रहे हैं प्रतिबंध लगा तो क्या इस पर कोई एक्शन नहीं होना चाहिए या आप लोग की जिम्मेदारी नहीं है कि नई पीढ़ी भ्रमित ना हो कि यही सनातन बराबर मेरा वक्तव्य आ रहा है जी बराबर मैं प्रतिबंध लगा रहा हूं अभी इस बार कुंभ में आपने देखा होगा जी मनुस्मृति को लेकर एक महीने तक मेरा वक्तव्य था मानस और मनुस्मृति जी तो प्रतिबंध लगाने की बात तो हमारा वक्तव्य निरंतर है। जी मैं इन लोगों को वक्ता मानता भी नहीं। ये वक्ता नहीं। इसीलिए देखिए यह बताते हुए मैं हर्ष का अनुभव करूंगा। जी भारत में वक्ता तो बहुत है। जी। पर क्या किसी को भारत सरकार ने पद्म विभूषण दिया? नहीं। क्या किसी को ज्ञान पीठ दिया? नहीं। इसका अर्थ क्या है? कि जनता अब मूल्यांकन कर रही है। कौन क्या है? ऐसी अभद्र टिप्पणी इनको नहीं करनी चाहिए। गुरुदेव एक मांग और उठती है सनातन बोर्ड की। नहीं नहीं। सनातन बोर्ड की आवश्यकता नहीं। नहीं है। नहीं। क्यों गुरुदेव? इसलिए नहीं है कि सनातन धर्म पहले से सर्वमान्य है तो बोर्ड की आवश्यकता क्या पड़ी? यह तो केवल नेतागिरी करने के लिए और रात दिन में रोटी सेकने के लिए बातें कही जा रही है। सनातन बोर्ड को आवश्यकता नहीं। जैसे सुन सुनिए सुन वो शाश्वत है। जैसे गुरुदेव बाकी धर्म जो हैं वहां पर एक वक्तव्य आता है। हमारे यहां नई पीढ़ी कई बार कंफ्यूज हो जाती है। एकादशी भी है तो दो दिन दिखा दो अलग-अलग बताया। ऐसा है धर्म कोई है ही नहीं। जी धर्म तो केवल सनातन धर्म है। जी दो एकादशी इसलिए आती है हम उपासना की दो पद्धति समार्थ और वैष्णव हम तो समार्थों की कभी-कभी अलग होती है और वैष्णव की अलग हम पर विचारधारा एक होती है हम दो एकादशी और दो अष्टमी हम तो ज्योतिष का क्रम है हम हमारे यहां अंग्रेजों के यहां बहुत बहुत नियंत्रण समय है। तो क्या फरवरी चार साल के बाद उनके यहां 29 दिन पर नहीं होती क्या? हम क्या मुसलमानों के यहां सिया सुन्न का संविधान अलग हुआ कि नहीं? हम ये तो प्राकृतिक नियम है और ज्योतिष की जनगणना के अनुसार ये उचित है। इसे पहले से हम लोग पहले पंचांग बता देते हैं। जी अब कोई ना देखे तो क्या करें? कंफ्यूजन होगा। ठीक। गुरुदेव राम जी पांच भाई थे। कहीं वक्तव्य रहा कि कैकई जी की खीर से हनुमान जी का भी जन्म हुआ था। मैं मुझे बोलने दे मैं बता रहा हूं। जी राम जी अपने राजकुल में तो चार भाई थे जी पर आनंद रामायण के अनुसार कैकई की खीर थी कैकई की खीर को वो वायु देवता उड़ा कर ले गए थे दन के द्वारा अंजना मां को दिया था तो हनुमान हनुमान जी का प्राकट हुआ। इससे राम जी को हनुमान जी को पांचवा भाई माना गया। तुम मम बोले भरत सम भाई हम ठीक है जी भरत के समान तुम हो पर राजा अधिकार में चार ही भाई हम हनुमान जी को भ्राता माना गया भरत रामचरितमानस में पांच बार भरत जी ने हनुमान जी को भाई कहा तात तात कुशल को सुख निधान की तात तो तो जाता उत्तरकांड में तात ना तात तो तो का दे तुम सुन भ्राता को तुम तात्या ठीक है ठीक नीम करौली जी को कुछ लोग हनुमान जी का अवतार कहते हैं। ये सही है या गलत है? ऐसे संतों पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता। जी वैसे तो समर्थ गुरु रामदास जी को ही लोग अवतार कहते हैं। तो श्रद्धा है। श्रद्धा भाव में। अच्छा अच्छा ठीक है। देखो मैं फिर कहने जा रहा हूं। मैं एक टैलेंटेड व्यक्ति हूं। जी। और जो कहूंगा बहुत विचारित होगा। ठीक है। इसीलिए हम लोग आपसे स्पष्टता मांगने आते हैं क्योंकि यहां पर तौर पर मिल जाएगी। हनुमान जी को अब अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है। जी चारों युग प्रताप तुम्हारा अवतार वो लेता है जो शरीर छोड़े। जी हनुमान चारों युगों में कृपा हो सकती है। जी समर्थ राम गुरुदास समर्थ गुरु राम रामदास पर हनुमान जी की कृपा थी। जी निमकर वाले बाबा महाराज पर भी हनुमान जी की कृपा थी। अवतार कहना तो अति रंजना होगी। गुरुदेव आपका हाथ कैसा है? जिस पे चोट लगी थी। अब तो ठीक अब तो ठीक है। नरसिम्हा राव सरकार में आप पर लाठी चली थी। हां चली थी ना। ये देखो यहां एक का थोड़ी टेढ़ी है। इसकी अपेक्षा देखो। जी यहां लाठी भी चली थी। जी और मैं जेल में भी था। कई महीना आठ महीने कल्याण सिंह के साथ मैं भी था जेल में। पर मैं भोजन मंगवा लेता था बाहर से। जी। उसमें मेरी बड़ी बहन आप सब की बुआ जो थी जी डॉक्टर कुमारी गीता मिश्रा जी जी जी वो मेरी थी तो बहन जी पर व्यवहार में बहन कम थी मां अधिक थी जी तो भोजन पहुंचा देती थी मैं कह लेता था सुंदर बहुत संघर्ष के बाद ये मंदिर देखा है बहुत संघर्ष के बाद देखा है आजकल पर इतना इतना संघर्ष के बाद भी जी उस ट्रस्ट में मैं नहीं हूं। जी जबकि मैं कह सकता था कि गोविंद देवगिरी ने कब कब आंदोलन किया? कब आंदोलन भूमिका निभाई? जी। क्यों बन गए ट्रस्टी? पर मैंने कुछ नहीं कहा। देखिए संत उसी को कहते हैं जो कार्य करके पद ना चाहे। हनुमान जी ने तीन राज्य जीवाया। किष्किंधा का राज्य भी हनुमान जी के द्वारा जीता गया। लंका का राज्य भी हनुमान जी के द्वारा जीता गया। और भरत को प्राण भरत के प्राण बचाकर अयोध्या का भी राज्य राम जी ने राम जी को दिलवाया। पर कहीं भी हनुमान जी नहीं रहे। जी तो वही नीति मैंने अपनाई। कुछ नहीं करना चाहिए। वो लोग ट्रस्ट ट्रस्ट बने रहे। रामलला जी आ गए। हमारा लक्ष्य पूर्ण हो गया। इतिहास जानता है। अगर तो कुछ कर सुंदर बात आजकल नेता लोग गुरुदेव राम राज्य या हिंदू राष्ट्र का बड़ा जिक्र करते हैं। आपकी नजर में हिंदू राष्ट्र या राम राज्य की परिभाषा क्या है? और क्या भारत में यह संभव है? देखिए अभी मैं क्योंकि मैंने फिर कहा मैं पढ़ा लिखा व्यक्ति हूं। अपना आप नहीं करता। जी हिंदू राष्ट्र तो मैं चाहता हूं। जी बट इट विल टेक टाइम बहुत अभी समय लगेगा पहले तो हिंदू राष्ट्र के लिए संसद में हिंदूवादियों की कम से कम 370 सीटें हो तीन चौथा या बहुमत हो तब भारतीय संविधान में कुछ उलटफेर किया जा सके ये थोड़ा भी कठिन लगता है पर भगवान की कृपा सत संकल्प क्या नहीं हो सकता हो जाए तो मुझे अच्छा लगेगा और मैं प्रयास भी करूंगा जी कि हिंदुओं की संख्या बढ़े आजकल जो कहा जा रहा है बच्चा पैदा करने वाले सब जरा पढ़े लिखे लोगों के लिए अस्वाभाविक लगता है हम ये है कि जो हमसे बिछुड़ गए हैं हम उन्हीं को लौटा लिया आए तो भारत में 80% हिंदुओं की संख्या हो सकती है। यह आप दलितों की तरफ इशारा कर रहे हैं या जो कन्वर्ट हो गए मुसलमान उनकी तरफ दोनों को दलित तो हिंदू वही है पर जो मुसलमान ईसाई जो कन्वर्ट हो गए हैं जी उनको लौटाया जा सकता है और हम प्रयास कर भी रहे हैं। ठीक है। इसमें धीरेंद्र जी भी काफी कोशिश कर रहे हैं आजकल। हां वो तो मेरा बताया ना उससे तो मुझसे ही दीक्षा ली उन्होंने। जी अच्छा ये रामचंद्र जी के बारे में बताइए क्योंकि आपके दो शिष्य हैं। एक तो धीरेंद्र जी एक दिन मुझसे शिकायत भी कर रहे थे। कह रहे थे वो रामचंद्र जी से बहुत जलन रखते हैं क्योंकि वो आपके आसपास रहते हैं। नहीं नहीं सकारात्मक तौर पर उन्होंने कहा कि मैं इसलिए जलन करता हूं कि गुरुदेव के हमेशा करीब रहते हैं। उस दृष्टिकोण से लगाव वाले भाव में उन्होंने कहा। तो आपके दो शिष्य हैं। दोनों अलग-अलग नाम रोशन कर रहे हैं। धीरेंद्र जी को दुनिया जानती है। थोड़ा रामचंद्र जी के बारे में बताइए। आपके उत्तराधिकारी भी हैं। क्यों आपने चुना? क्या रिश्ता आपका है और क्या खूबी आपने देखी उनमें? चुनाव करने में रिश्ते नहीं देखे जाते। जी। आज साधुओं की परंपरा हो गई है। जी कि बनते तो हैं विरक्त। जी। पर संपत्ति देते अपने भतीजों को। मैंने ऐसा नहीं किया। जी। मेरा परिवार स्वयं समृद्ध है, पढ़ा लिखा है। जी। किसी को आश्रम से कुछ लेने देने की इच्छा नहीं। जी क्योंकि आचार्य रामचंद्र दास बचपन से मेरे साथ रहते थे। जी इसको मैं प्रेम भी बहुत करता था। अभी भी करता हूं। जी मैंने देखा कि ये ब्राह्मण है, मतलब है। इसे उत्तराधिकारी बना दिया जाए। उत्तराधिकारी बना दिया। अच्छा चला रहा है। जी। कुछ खूबी बताइए। उनके बारे में लोग थोड़ा और जानेंगे। आप बताएंगे तो पहली बात है कि वो व्यवहार कुशल बहुत है। जी प्रत्युत्पन्न मति भी है। जी और गुरुजनों और संतों के प्रति निष्ठा भी उसकी है। जी अभी धीरेंद्र शास्त्री भी गृहस्थ हैं। जी उनका विवाह भी होगा। हां उनका होगा वो। वो जलन नहीं रखते। नहीं नहीं वो मोह वाला जलन था कि वो यह आपके करीब रहते हैं तो वो कहे कि मुझे भी करीब रहने की इच्छा होती है लेकिन अब मैं अलग जिम्मेदारियां पा गया हूं इसलिए मैं दूर रह के अपना काम कर रहा हूं गुरुदेव के आशीर्वाद से नहीं वो जलन नहीं जी एक आनंद है जी उसको जलन नहीं करना चाहिए जी एक एक प्रकार इच्छा जी का कदाचित मैं भी निकट होता हां ये वो कह रहे थे उनका भाव यही था हां जलन नहीं हां शब्द इस बार भी वो जी मुझसे श्री श्री यंत्र की दीक्षा लेकर मुझसे गया अभी तो है। जी अच्छा गुरुदेव आपने कहीं कहा कि ब्रह्मचर्य शादीशुदा होकर ब्रह्मचर्य का पालन किया सकता है। ये सच है? हां कैसे? ये हमारे यहां की कहावत है। तुम जानते हो एक नारी ब्रह्मचारी हां। विवाह करके यदि केवल अपनी पत्नी के प्रति दृष्टि डाल भूल कर भी अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी महिला पर दृष्टि ना डाले उसे ब्रह्मचारी कहा जा सकता है। इसलिए भगवान राम के लिए कहा गया तरुण रूप संपन्न संपन्नो सुमार भावनो पुंडरीला तापस ब्रह्मचारणौ राम लक्ष्मण के लिए कहा गया जी एक एक पत्नी वृद्ध को ब्रह्मचारी कहा भी जा सकता है। जी कहा भी जाता है। ठीक बात गुरुदेव आजकल अभी मैंने पूरी शंकराचार्य जी का भी इंटरव्यू किया था और मैं उनसे मिला तो वहां पर भी और कई लोगों ने और भी मुझसे कहा कि आजकल शंकराचार्य जी लोग भी एक दूसरे को असली नकली शंकराचार्य कह रहे हैं। कई रामानंदाचार्य आ गए हैं। क्या ये सनातन के लिए ठीक है कि शंकराचार्यों का एक दूसरे को असली नकली कहना या नकली शंकराचार्य का उत्पन्न होना पहले मैं उन्हीं से पूछ लेता हूं। जी अब मेरे प्रश्न का कोई भी यदि उत्तर दे जी मैं पहले जगतगुरु कौन होता था तुम जानते तो हो जी पहले जगतगुरु उसे कहा जाता था जो तीन ग्रंथों पर भाष्य लिखता था जी अपने संप्रदाय के अनुसार जी ये ग्रंथ है श्रीमद् भगवत गीता द उपनिषद ईशावास कठ केन प्रश्न मांडुक्य मुंडक ऐतिय अतरेय तैतीय छंदोग्य बृहधारयणक और ब्रह्मसूत्र जी इन तीनों पर जो संस्कृत में भाष्य लिखता था पहले वही जगत गुरु होता था जी। दुर्भाग्य कहूं कि संयोग वल्लभाचार्य तक यह परंपरा चली। जी। फिर ये परंपरा लुप्त हो गई थी। जी। तो गुरु जब जगतगुरु बन चेले जगतगुरु बन गए। आज की तारीख में मैं प्रशंसा नहीं करने जा रहा हूं। जी मीडिया भी मेरे लिए भगवान है। भगवान के सामने झूठ नहीं बोला जाता। जी। आज की तारीख में मेरे अतिरिक्त जी किसी शंकराचार्य रामानुजाचार्य रामानंदचार्य किसी आचार्य भारती और बताइए तो जगतगुरु की कसौटी पर तो कोई नहीं उतरता जी खराब मैंने तीनों पर भाष्य लिखा और 4200 पुष्टों में भाष्य लिखा है जी और उसका लोकार्पण 6 अप्रैल 1998 को तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री मेरे बड़े अच्छे मित्र थे अटल अटल बिहारी वाजपेयी जी उसका लोकार्पण किया था जी आशा मैंने उत्तर दे दिया असली नकली क्या जो प्रस्थान पर भाष नकली है हां कोई कम कोई अधिक सारे शंकराचार्य नकली सारे आचार्य नकली है भाष ना लिखने के कारण जी अब पूर्व के शंकराचार्य को स्वयं संस्कृत बोलने का अभ्यास नहीं है। केवल गाली देने से कोई शंकराचार्य बन जाता है क्या? अब मैं यह यह बात प्रसन्नता से कहने जा रहा हूं। सब ठीक है। कोई असली नकली नहीं। हां। पूरी वाले शंकराचार्य का या अन्य शंकराचार्यों का मूर्धा अभिषेक हुआ। अब अभिमुखानंद और सदानंद का अभी मुकदमा कोर्ट में चल रहा है। जी इसलिए वो नकली कहे होंगे। जी नहीं वो कहे कि स्वरूपानंद जी की विरासत उनको मिल गई। ये कोई खानदानी वो थोड़ी ना है विरासत की आपने जिसको मन किया फॉरवर्ड कर दी। इनको और उनके पुराने बयान भी सुनवाए जिसमें उन्होंने कहा था यह बात। हां ठीक है। पर इनको क्या मिला? ये एक अक्षरस आदि शंकराचार्य तो संस्कृत में श्लोक भी लिखते थे कि कोई श्लोक संस्कृत बना के दिखा दे और मैं बहुत गर्व से कहने जा रहा हूं मैं एक ऐसा व्यक्ति ऐसा आचार्य हूं मैं जिसने संस्कृत में चार महाकाव्य लिखे जी भार्गव राघवयम गीत रामायणम रामानंदाचार्य चरितम दशावतार चरितम चार महाकाव्य मैंने लिखे और खंड का बहुत खंड का भी लिखे गीत काव्य लिखे नाटक का भी लिखा मैंने 250 से ऊपर पुस्तकें लिखी मैंने जी क्या किसी को ज्ञानपीठ मिला क्या शंकर किसी आचार्य को बताइए ना मीडिया अपने आप पूछ सकता है ज्ञान पीठ किसको मिलता जी जो साहित्य के लिए कुछ करता है। तुमने किया क्या साहित्य के लिए? बड़ा विषय उठाया आपने ये विषय उठाया नहीं। मैंने विषय प्रस्तुत कर दिया। जी गुरुदेव ब्राह्मण जो होता है वह जन्म से होता है या कर्म से होता है। यह आजकल कई बार मन में लोग नई पीढ़ी में लोग सवाल करते हैं। नहीं जन्म से होता है। यदि शुद्ध ब्राह्मणी में ब्राह्मण के गर्भाधान से ब्राह्मण आ जाए जी तो विद्या उसको अपने आप मिल जाती है। विद्या हव ब्राह्मण माज राम कर्म से कैसे होगा तब तो अनियंत्रित हो जाएगा जी एक दिन व्यक्ति चार कर्म करे तो चार चारों वर्ण हो जाएगा क्या वह जी तो कोई व्यक्ति जो जन्म से ब्राह्मण हुआ लेकिन ब्राह्मण वो कर्म नहीं कर रहा तो पतित पतित ब्राह्मण हमारे शास्त्र ने कहा जी कि यदि ब्राह्मण होकर एक बूंद भी उसके मुख में शराब चली जाए जी और बकरी के दूध का फैन चला जाए जी तो ब्राह पति तो भ ठीक है। गुरुदेव आपने बिना नयन के लिए सब कुछ आपको दिखाई पड़ता है। आप समझते हैं, पढ़ते हैं, लिखते हैं। आजकल सोशल मीडिया में कई लोग ऐसे हैं जो वृंदावन आते हैं और यही बातें प्रेमानंद जी के लिए भी कहते हैं कि चमत्कार है ये। कोई चमत्कार नहीं। हमारे खान सर ने कहा कि वह तो भगवान का स्वरूप है कि बिना किडनी के भी जीवन चल रहा है और सब कुछ कोई चमत्कार नहीं है। चमत्कार यदि है जी मैं चैलेंज करता हूं प्रेम आनंद जी एक अक्षर मेरे सामने संस्कृत बोल कर दिखा दे बस या मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझा दे मैं आज खुलकर कह रहा हूं जी वो तो मेरे बालक के समान है। जी अवस्था में भी जी शास्त्र जिसको आए वही चमत्कार है। किडनी ना उनको पर डायलिसिस तो होता रहता है उनका। जी डायलिसिस के बाद वो जी रहे हैं। जीने दीजिए। लेट हिम डू व्हिच ही वांट्स। देश के सारे सेलिब्रिटी आजकल आते हैं उनके पास। अभी खेसारी जी ने कहा कि सारे सेलिब्रिटी अपनी इमेज चमकाने के लिए उनके पास आ रहे हैं। बिल्कुल सही कहा। खेसारी कहे कि सारा पाप करके लोग आते हैं कि इमेज रिवाइव हो जाएगी। ये परंपरा ठीक है जो खेसारी ने विषय उठाया। ठीक है। देखिए मैं फिर कहने जा रहा हूं। जी। ये वृंदावन है, ब्रज अयोध्या है। सब तो हैं। जी मैं प्रेमानंद से द्वेष नहीं रखता हूं। जी फिर कह रहा हूं मेरे बालक जैसे पर मैं उनके उन्हें ना तो विद्वान कह रहा हूं। जी ना साधक ना चमत्कारी। और मैं फिर कह रहा हूं चमत्कार उसको कहते हैं जो शास्त्रीय चर्चा पर साधिकार हो वो राधा वल्लभी है जी राधा सुधा की एक श्लोकार्थ भी ठीक से बता दे तो फिर गुरुदेव उनकी इतनी लोकप्रियता अच्छी है ये लोकप्रियता क्षणभंगुर होती है थोड़ी दिन के लिए होती अच्छी है। जी अच्छा लग रहा है मुझे। ठीक है। पर ये ये कहना कि चमत्कार ये मुझे स्वीकार नहीं है। ठीक है। करते हैं जी। और पढ़े लिखें। ठीक है। गांधी जी को लेकर जो उनका विचार था भगवान प्रभु श्री राम को लेकर उससे आप सहमत हैं गुरुदेव गांधी जी का जो एक विचार था हिंदुत्व को लेकर भगवान श्री राम को लेकर क्या भगवान श्री राम क्या विचार था उनका कि सभी धर्म जातियों का सम्मान करें सब बराबर हैं। सारे धर्म सारे धर्म जो हैं वो बराबर हैं। सारी जातियां बराबर हैं। ऊंचनीच भेदभाव कोई जाति श्रेष्ठ नहीं। नहीं सब गांधी जी लगता है कि अब क्या बताऊं बड़े लोग कुछ ऐसी गलती कर देते हैं। गांधी जी के ही कारण देश का विभाजन हुआ। गांधी जी जवाहर पर बहुत प्रेम करते थे जवाहरलाल पर। जी और उनकी गलतियों को घूंट घूंटघोट कर पी जाते थे। जी यदि सभी धर्म पहली बात तो कोई धर्म है नहीं। जी आपने देखा इतिहास उठा के देखिए सनातन धर्म धर्मावलंबी ने कभी आक्रमण नहीं किया आक्रमण हुए मुसलमानों की ओर से ईसाइयों की ओर से आक्रमकता मुसलमान था यही यही भारत है मीना बाजार लगाकर अकबर ने हजारों लड़कियों की इज्जत लूटी और हिंदुत्व का मात्र पर सुपर द्रव्यवत गांधी जी कहते ईश्वर अल्लाह तेरे नाम बिल्कुल नहीं अब होते तो मैं पूछता कि किस सहस्त्रना में अल्लाह नाम भगवान का कहा गया ये सब बातें ठीक नहीं है हम भारत की रक्षा होनी चाहिए गांधी जी रघुव राघव राजाराम कहते थे अच्छा लगता था स्वतंत्रता स्वतंत्रता में अच्छा योगदानता पर उनका योगदान योगदान 1% था जी और क्रांतिकारियों का योगदान 99% था। इसमें आजाद चंद्रशेखर भगत सिंह जी राज्य गुरु रामा प्रसाद बिश्नोई क्रांतिकारियों के सुभाष चंद्र बोस क्रांतिकारियों की कृपा से हमें आजादी मिली। गुरुदेव आपके स्मरण करने की क्षमता पर बहुत लोग मुरीद रहते हैं कि आपको इतना सब कंठस्थ है। अगर कोई नया बालक आपकी तरह अपनी बौद्धिक क्षमता बढ़ाना चाहे तो क्या उसको कोशिश करनी चाहिए? कैसे तैयारी करनी चाहिए? तीन बातें करनी होंगी। जी। आस्तिक बनना होगा। जी। और ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा। जी और शास्त्र के साथ जुड़ना होगा। मैं एक मंत्र बता रहा हूं। जी मैंने भी किया था पढ़ते समय। गुरु गृह गए पढ़ रघुराई। जी अल्पकाल विद्या सब आई। इससे रामायण जी का पाठ करें तो बालक प्रतिभा संपन्न हो सकता है। जी सुंदर गुरुदेव आपने हनुमान चालीसा में भी कुछ सुझाव जैसे दिए शंकर सुवन केसरी की जगह स्वन की जगह स्वयं कर दीजिए। इसको लेकर भी एक विवाद खड़ा हुआ था। कुछ लोगों ने कहा कि तुलसीदास जी की रचना में आपने हस्तक्षेप नहीं वो जानते ही नहीं। जी और जो लोग कह रहे हैं वह पढ़े लिखे नहीं है। जी पुरानी प्रतिमे शंकर स्वयं ही है। जी मैंने छेड़छाड़ नहीं किया। रामचरितमानस में भी मैंने गीता प्रेस की 4200 गलतियां दिखाई। 4200 जी उन्होंने पुरानी प्रति देखी नहीं। जी। तो गलती कर बैठे। क्या-क्या बदलाव थे गुरुदेव? चार हनुमान चालीसा में शायद थे। हनुमान जी जहां बता दे रहा हूं। जी पहला बदलाव बदलाव नहीं पुरानी प्रतिमा है कांधे मुझे जनेऊ छाजे जी साजे नहीं जी जिने साजा नहीं जाता ये तो मेरे पर छा जाए सुंदर लग रहा है हनुमान जी के गंधे पर दूसरा शंकर स्वयं के श्रीनंदन हनुमान जी शंकर जी के बेटे नहीं है शंकर जी ही राम जी की सेवा के लिए हनुमान जी बन गए जी तो शंकर स्वयं हनुमानगढ़ में भी छपा है और संकट मोचन में भी जी तीसरा सब पर राम तपस्वी राजा नहीं जी सब पर राम राय सिर ताजा चौथा सदा रहो रघुपति के दासा राम रसायन तुम्हारे पास सदा रहो थोड़ी जी सादर हो रघुपति के दासा आदर पूर्वक तुम राम जी के दास हो पांचवा जो सत बार पाठ कर कोई नहीं यह सत बार पाठ कर जो आगे इसलिए कह जो यह पढ़े हनुमान चालीसा तो फिर इसका विरोध काहे हुआ गुरुदेव तो आप सही बात बता रहे हो ज्ञान अब नहीं ज्ञान तो क्या करिएगा जी खिसलानी बिल्ली खंभा [हंसी] जबरदस्त बस गुरुदेव क्योंकि आप अच्छा धर्म को राजनीति में शामिल होना चाहिए गुरुदेव निश्चित धर्म पति है और राजनीति पत्नी जी पति के बिना पत्नी विधवा हो जाएगी पत्नी के बिना पति विधुर हो जाएगा जी तो जैसे एक सवाल अक्सर लोग पूछते हैं कि आरक्षण को लेकर गुरुदेव का मत जो है वो ये रहता है कि केवल उसकी आर्थिक स्थिति के हिसाब से दिया जाए जबकि शास्त्र हृदय से कोई पूछे जी प्रतिभा में प्रतिभा की दौड़ में आरक्षण क्यों जी एक ब्राह्मण बालक ने मानो श्रम करके जी 99% पाया 10% मार्क पाया जी और दूसरे ने केवल 4% पाया जी आपने दबाव डालकर उसको 4% वाले को तो कलेक्टर बना दिया जी और जिसने ने 10% पाया वो जूते का व्यापार कर रहा है। तो क्या टैलेंट का अपमान नहीं हुआ? अब गुरुदेव पर मैं बोल जी जी इसीलिए भारतीय प्रतिभाओं का पलायन हो रहा है। जी हमने तो विदेशों में देखा है। भारतीय प्रतिभा जब कोई आप बताइए जो 4% पाकर के डॉक्टर बनेगा तो क्या आप ऑपरेशन उससे करवाने जाएंगे? तो जो योग्य होगा उससे नहीं कराएंगे। सही बात है। वो तो इंजेक्शन सिर पे लगा देगा। जी परसेंटेज ज्ञान के आधार पर ना मिलते हैं जी तो डॉक्टर को या किसी अधिकारी को जब हम नियुक्त करते हैं तो उसके ज्ञान का प्रयोग करने के लिए नियुक्त करते हैं ना जी अब सुभान शुक्ला गगनहार करके आए जी अभी कह नहीं नहीं यहां आरक्षण हो कौन यहां तो उनकी योग्यता थी तो गए और कोई नहीं जा सकता ना। जी मैं अपनी बात कहने जा रहा हूं। इतनी योग्यता के पश्चात मैंने अपने जीवन में 99% से नीचे कभी नहीं देखा। जी यदि मैं सर्विस में होता जी तो मुझे मैं मुझे भी इतना अच्छा अवसर ना मिलता। मैं जानता था कि भारत में प्रतिभाओं का सम नहीं हो रहा है और आरक्षण की नीति संविधान में को 30 वर्ष के लिए की गई थी। जी वोट बैंक के लिए सब लोग आरक्षण बढ़ाते जा रहे हैं, बढ़ाते जा रहे हैं। हम कहते हैं हवेली बना के जी करोड़ों करोड़ों का मालिक शेड्यूल कास्ट है। जी तो उसको तुमने आरक्षित कर डाला। अब ब्राह्मण बेचारा गरीब है तो उसको नहीं एक और आप कहते हैं जाति जाति प्रथा बंद हो जातिवाद तो जातिवाद के आधार पर तुम आरक्षण क्यों कर रहे हो? मैं खुली चुनौती दे रहा हूं। जी तुम जातिवाद के आधार पर आरक्षण आरक्षण बंद करो। जी आर्थिक आर्थिक आर्थिकता के आधार पर आरक्षण करो। मैं जातिवाद समाप्त करवा देता हूं। मैं जगतगुरु हूं। पर कृषि नेता को दम हो तब ना। गुरुदेव इस पे जो उधर वाले बात रखने वाले लोग हैं उनके दो तर्क आते हैं। एक तर्क यह आता है कि मंदिरों पर सारा कब्जा ब्राह्मणों ने कर रखा है। वो ये तर्क देते हैं कि वहां पर आप हमें नहीं कहते हो कि जो श्रेष्ठ हो जो पढ़ा लिखा हो उसको पद दो और दूसरा वो कहते हैं कि जो आरक्षण प्राप्त है वो आर्थिक नहीं सामाजिक आधार पर है क्योंकि उनके पुरखों के साथ गलत हो। यह दो तर्क को देते हैं। कब कब तक रहेगा? संविधान ने 30 वर्ष के लिए कहा था। अब क्या हो रहा है? और पुरखों के साथ गलत हुआ भी नहीं था। इतिहास पढ़ के देखें। जी हमारे राम जी ने शबरी के जूठे फल खाए। जी भगवान कृष्ण ने बुजुर्ग के साख खाए। जी हम लोग हमारे यहां जो हल चलाने आते थे हरिजन बंधु। जी उनका हम नाम ले लेते थे तो हमारे बाबा के कान पड़ को इनको काका नहीं कह रहे हो। अब पहली रामायण कथा मैंने अपने हाल चलाने वाले हरिजन बंध को यहां सुनाई जी उनको मैं काका कहता था छ महीने पूरी रामायण उनको मैंने सुनाई जी हमारे समन्वय कितना था चारों वर्णों में कितना समन्वय था सोचिए जी जन्म लेने के बाद पहले हरिजन महिला आती थी नाल काटने के लिए जी नाइन आती थी कितना आनंद उनको नाइन काकी हम बोलती थी उनको नाउन काकी जी कोई अन्याय नहीं किया था और मैं फिर कहने जा रहा हूं जी सामाजिक आधार पर नहीं होना चाहिए प्रतिभाओं के साथ बलात्कार नहीं होना चाहिए ठीक बात और ये गुरुदेव जो दूसरा सवाल उन्होंने उठाया था ये कि सारे मंदिरों पर ब्राह्मणों का कब्जा है नहीं ये किसने कह दिया वो कहते हैं कि मुख्य पुजारी ब्राह्मण ही होते हैं वहां भी योग्यता कर दीजिए ऐसा तर्क वो देते हैं बिल्कुल करें योग्यता ब्राह्मण भी आएगा अंत में ब्राह्मण ने क्या नहीं किया स्वमेव स्वमेव ब्राह्मणो भते ददात जी इतिहास उठा कर देखिए आजादी के पहले राजा ब्राह्मण लड़ी मंगल पांडे ने जी झगझोर दिया अंग्रेजों को लक्ष्मीबाई नो ब्राह्मण थी जी चंद्रशेखर आजाद ब्राह्मण थे जी जिसमें योग्यता हो करें हम कब मना करें ठीक बात गुरुदेव कलयुग कब तक रहेगा क्योंकि बड़ी चर्चाएं होती हैं कितने सालों तक है 432000 वर्ष तक इस साल कई घटनाएं हुई उस पर भी आपके क्या विचार है इस साल तो घटनाएं खत्म ही नहीं हो रही है गुरुदेव एक के बाद एक घटना होती जा रही है प्रकृति बाढ़, बारिश, प्लेन होना, पहलगांव का होना देखिए, पहलगांव में तो हमने बहुत अच्छा उत्तर दिया। जी। और इस बार जब मुझे ज्ञानपीठ मिला था आपने मेरा प्रसारण देखा होगा। जी जी मैंने कहा था कि आप से सिंदूर जी। ये वेद मंत्र के आधार पर हुआ। जी यो धुरतम धुर्वयम भयं धुरमाम जी जो हमें मारना चाहे उसे हमें मार ही डालना चाहिए। जी वेद कहता है जी उन्होंने हमारे 25 लोगों को मारा था। हमने 22 मिनट में उनके नौ ठिकानों को समाप्त किया था। जी और वायु सेना अध्यक्ष का बयान था जी कि पाकिस्तान के छह विमान हमने ध्वस्त किए थे हमारी कोई क्षति नहीं हुई जी ये भी झूठ बोलते हैं लोग ट्रंप के कहने ट्रंप से मोदी की बात ही नहीं हुई मई से लेकर 22 जून तक ये तो पाकिस्तान ने ही कहा कि अब हम नहीं सहन कर पाएंगे तो हम लोगों ने कहा अब बंद कर दो पर हमने हमने सिंधु सिंधु घाटी के समझौते को भी बिल्कुल कार्यालय नहीं किया। एक बूंद जल नहीं देंगे और अब शरारत करेंगे। यदि पाकिस्तान अब शरारत करना चाहता है तब हिंदुस्तान विश्व का नाम ही विश्व के नक्श मिट जाएगा। समाप्त होगा वो गुरुदेव ये राजनीतिक खबरें जो होती हैं हमको ये प्रतीत होता है। आपको बहुत दिलचस्पी है। तो ये आप टीवी देखते हैं अखबार कैसे आप इसकी जानकारी देते हैं। आसपास के लोगों से पूछते हैं। नहीं नहीं जी मैं उत्तर देने जा रहा हूं। जी| ऐसा है कि संतों में प्रथम व्यक्ति मैं हूं जी| जिसको पद्म विभूषण मिला जी| और ज्ञानपीठ भी मिला जी बहुत पुरस्कार मिले जी| मैं राम जी में राष्ट्र में अंतर नहीं मानता जी भगवान राम का विराट रूप राष्ट्र है जी राष्ट्र का सूक्ष स्वरूप भगवान राम है जी मैं समाचार सुनता हूं आकाशवाणी वाला कुछ नहीं सुनता हूं अच्छा ये रेडियो वाला निश्चित सुनता हूं। सुंदर और मुझे अच्छा भी लगता है। सुंदर आपने उपेंद्र द्विवेदी जी से कह दिया था कि तुम शस्त्र से लड़ो मैं शास्त्र से लडूंगा। हां। और उन्होंने उपेंद्र द्विवेदी जी राम मंत्र की दीक्षा लेकर मुझसे गए। जी उन्होंने मुझसे दक्षिणा मांगी। कहा कि क्या दक्षिणा दूं आपको गुरुदेव? जी। उन्होंने कहा पीओ के चल। तो कब तक उन्होंने कहा पीओके दे देंगे आपको? दो वर्ष कहा दो वर्ष में भगवान ने चाहा तो मिल जाएगा। पीओके पीओके गुरुदेव आपने भी कुंभ में कहा था कुंभ में ऐसा करेंगे पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाएगा। नहीं ये मैंने नहीं कहा था। आपने पीओके चाहिए। पीओके चाहिए। आपके नाम से ये मीडिया वाले ये भी खबर चलाते हैं कि आपने कहा था पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा देंगे। मिट जाए तो मिट जाए। अच्छा तो है। मिट जाए। कुंभ में लगाया था लोगों ने कि कुंभ में इस बार कुछ ऐसा करेंगे कि पाकिस्तान का नाम ऐसा नहीं कहा था मैं मैं पीओके के प्राप्त करने के लिए जी मैं हनुमान जी का यज्ञ अवश्य करता हूं सुंदर 1 करोड़ 51 लाख आहुतियां हनुमान जी को दिलवाता हूं क्योंकि मेरा विश्वास है कि जब हनुमान जी की कृपा से राम जी सीता को सीता जी को लौटा लाए जी तो हनुमान जी की कृपा से हम पाकिस्तान से पीओ लौटा लेंगे। जय बजरंगबली। इस को लेकर गुरुदेव आपकी क्या सोच है? क्योंकि कहीं मैंने आपकी नाराजगी देखी कि उन्होंने अच्छा नहीं अच्छा नहीं। अच्छा नहीं। देखिए पहली बात इस पूरा अंग्रेजियत से प्रभावित है। जी और दूसरी बात आप भी जानते हैं। हम भी जानते हैं। भारत का विदेशी कंपनियां भारत से उतना पैसा नहीं ले जाती जितना इसान ले जाता सब अमेरिका को देता है। जी और तीसरी बात इस कान में जाने कैसे कह दिया कि राम जी कम है कृष्ण भगवान ज्यादा है मैंने कहा यदि तुम्हारी प्रतिभा में बल हो तो मुझसे चर्चा कर लो हमारा तो रामकृष्ण में अंतर ही नहीं माना जाता जी हां मर्यादा में राम जी सबसे ऊपर है जी उतनी मर्यादा भगवान कृष्ण भी नहीं निभा पाए। और युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ में जब बब्रुवाहन ने भगवान अरे बब्रवाहन ने जब अर्जुन का सिर काटा जी तो भगवान कृष्ण ने कह दिया कि रामावतार में सीता जी कहती है कि मैंने किसी महिला का चिंतन ना किया हो। जी उसी पुण्य से अर्जुन जीवित हो उठी। मर्यादा तो राम जी की। गुरुदेव आजकल ये आपने जो विषय उठाया कि कृष्ण जी और राम जी को लेकर भी लोगों ने बांटना शुरू कर दिया। कई बार हमारे हिंदुओं में भी कई लोग हैं जो कहते हैं कृष्ण जी बड़े हैं या राम ये बड़ा शुरू हो गया है। तो क्या ये सही है? नहीं नहीं रामम कृष्णम जगनम राम कृष्ण में कोई भेद नहीं है। कोई भेद नहीं। नहीं इसमें भी लोगों ने जातपात जोड़ दिया है। कृष्ण जी जो है वह पिछड़ी जातियों के हैं। राम जी अगड़ी जातियों के हैं। बड़ा सोशल मीडिया पे मैं बोल रहा हूं जी नहीं दोनों क्षत्रिय कुमार हैं। हां कृष्ण जी आतंकवाद से लड़ने के लिए 11 वर्ष के लिए भूमिगत हो गए थे। जी ये ब्रज लीला जो की भगवान ने जी ये भूमिगत होकर की जी मेरी एक पुस्तक है उसको आप ले लीजिएगा श्री कृष्ण की राष्ट्र लीला जी सुंदर गुरुदेव आपने पीओके मांगा अभी पहलगाम में विषय हुआ लड़ाई हुई हमने उनके मारे कई सारे पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने बड़े गंदे गंदे चित्र बनाए जहां पर पाकिस्तानी सैनिक जो थे वह भारत माता के एक रेखांकित चित्र पे सिंदूर भर रहे थे। ऑपरेशन सिंदूर का मजाक उड़ाते हुए। अब हम क्रिकेट खेलने जा रहे हैं। इस पर आपकी क्या राय है? क्योंकि एक तरफ हम कहते हैं खून पानी साथ नहीं बहना चाहिए। हम ये कहते हैं कि हम उनका पानी बंद कर दे रहे हैं। फिर ये मैचवच खेलना चाहिए गुरुदेव। क्या सोच है आपकी? बिल्कुल नहीं खेलना चाहिए। जब तक निर्णय ना हो जाए तब तक नहीं खेलना चाहिए। सरकार तो अपनी है गुरुदेव। आपकी आपसे मिलते जुलते रहते हैं लोग। आपको विषय उठाया। मैंने विषय उठाया है। जी बिल्कुल नहीं प्रत्येक बात मैं सरकार की थोड़ी मानता हूं। जी सरकार मेरी बात मानने के लिए भी विषय है। मैं उसकी बात मानने के लिए थोड़ी बेहोश हूं। अब भागवत जी ने कुछ कह दिया तो मैंने कह दिया जी कि भागवत जी एक संस्था के प्रमुख हो सकते हैं। जी वो हिंदू धर्म पर अनुशासन नहीं कर सकते। जी उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। तो ये मैच नहीं खेलना चाहिए। नहीं। तो क्या संदेश देंगे जो अभी भी क्योंकि ऐसा लग रहा है कि पैसे ज्यादा इनवॉल्वड हैं। जहां धन आ गया वहां पर देशभक्ति जो है उसमें थोड़ा दाएं बाएं करके समझौता कर लिया गया। वो समझौते की गलत है। बिल्कुल गलत। तो क्या अपील करेंगे? अगर आपकी बात तो सुनते हैं लोग। अगर आप ही मंच से कुछ कह दे। क्या पता आप ही की बात सुन लें। हां मैम मैं तो कहूंगा ही और कह भी रहा हूं। जी ठीक है। और गुरुदेव अंबेडकर जी को लेकर आपने एक इंटरव्यू में कह दिया कि उनको भाषाओं का ज्ञान नहीं था। मनुष्य भी थे। अब भाषा नहीं कह रहा हूं। उनको संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं था। उनके चाहने वाले कह रहे हैं कि नौ नौ भाषाओं का ज्ञान था जिसमें संस्कृत भी थी। बिल्कुल नहीं थी। यदि संस्कृत नहीं होती जी तो मनुस्मृति को जलाने का वो पाप ना करते। और उसी का उन्हें दंड भोगना पड़ा राजनीति में। मैं फिर कह रहा हूं जी। मनुस्मृति का कोई भी श्लोक जी राष्ट्र विरोधी नहीं है। एक अक्षर भी राष्ट्र का विरोधी नहीं है। जी और सबसे प्रामाणिक संविधान है वो। बट गुरुदेव क्योंकि जड़ मैं आपकी बात तो काट नहीं रहा हूं। मैडम पूछिए ना काटे की बात छोड़ यार जी नियम होता है जी प्रश्न करो शत्रुवत जी व्यवहार करो मित्रवत जी हां तो मैं कई लोगों से गुरुदेव मिलता हूं जब जो पढ़े लिखे सामाजिक वर्ग से हैं तो वो कहते हैं कि मनुस्मृति प्राचीन ग्रंथ है जो उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के हिसाब से लिखा गया था उसमें स्त्रियों के अधिकार पर थोड़े सवाल है भेदभाव है वर्ण व्यवस्था अब मैं बता रहा हूं जी मनुस्मृति भारत का शास शाश्वत संविधान है। जी आपके इस समय जो संविधान हमारा भारत का है, जी। क्या इस समय संशोधन नहीं किए गए? किए गए। 129 संशोधनों के तो मेरी मेरे 129 संशोधनों का संज्ञान तो मुझको है। जी। पर मनुष्य में कोई संशोधन नहीं। हम अक्सर नहीं समझ पाते। नारियों के लिए इतना अधिकार मनुष्य ने दिया जितना आज कोई दे नहीं सकता यत्र नारस्त पूजते रमते तत्र देवता पूजते सर्वस्तु निष्फिया जी जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवता रमती है जी हमने पितुर दग माता गौरात जी पिता दशगुणी माता बड़ी होती है जी हमने क्या नहीं समझ लिया हमारे ही धर्म में अन्य पंथों में नारी को कोई बीवी कहता है, कोई बीवी कहता है। जी सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म जहां नारी को देवी कहा जाता है। सुंदर और ये छूत अछूत पर महाराज जी नहीं ये तो बाद में बाद की बात है। ये छूत अछूत की बात होती है। हमारे कुल के प्रवर्तक जी वशिष्ठ श्री निषाद राज को गले क्यों लगाते? जी राम सखा ऋषि बरबस बेटे जनहित सने सम जी ठीक है अ सफलता का आपके लिए क्या अर्थ है महाराज जीवन में सफल कौन है जो अपना कर्म निष्ठा पूर्वक निर्वाहण करता है वो सफल है जी इसलिए मैं सफल हूं जी अपना कर्म मैं निष्ठा से करता हूं जी मेरी परिस्थिति में रहकर कोई भी संत देखिए वीआईपियों की भीड़ लगाकर सेलिब्रिटीज की भीड़ लगाकर कोई संत नहीं होता। जी संत उसे कहते हैं शास्त्र की मर्यादाओं का रक्षण करता है। जी मैं प्रसन्न हूं। भारतीय संस्कृति के सभी आयामों पर मेरी दृष्टि गई। जब सनातन धर्म का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे के विरुद्ध किसी ने किसी ने बात की। हमने बात की। जी। आजकल मानसिक तनाव की बड़ी चर्चा चलती है। मेंटल हेल्थ मैं जानता हूं ऐसा है। जी। मानसिक तनाव उसको होता है। जो अपने कार्यों को अपने कार्यों को निष्ठा पूर्वक नहीं कर पाता। जी यदि कार्यों को निष्ठा पूर्वक कर ले ना जी तो मन को इतनी प्रसन्नता उतना होगा ही नहीं। जी अब मैं निष्ठा पूर्वक काम करता हूं। चार घंटे ठीक से सो ले चकाचक। बस मैं चार घंटे सोता हूं और इतना अच्छा सोता हूं। चार घंटे जी कि सपने तक नहीं देखता। जी काम करो श्रम बहुत करना चाहिए जी आजकल यदि भारतीय एक घंटे भी प्रतिदिन अपना काम कर लेना जी तो जो 2047 के बाद मोदी कह रहे हैं 10 वर्ष में ही विकसित भारत हो जाएगा आज अपना कार्य कोई निश्चित कर ही नहीं रहा है जी अंतरजातीय शादी सही है या गलत है नहीं होनी चाहिए अंतरजाती नहीं और अंतरधर्मी भी नहीं। किसी परिणाम अच्छे नहीं आ रहे हैं। बहुत बुरे परिणाम हम तो देख रहे हैं बार-बार। बट सरकार तो इसको बढ़ावा देती है। कई सारे लोग कहते हैं कि ये ये तो पुराने समय से चला आ रहा है। राजा महाराज थे। शादियां कर लिया करते थे। देखिए तो भोगते भी थे। जी। कौन नहीं भोगा बताइए? कौन राजा नहीं भोगा? इसलिए राज परंपरा समाप्त हुई। लोकतंत्र आ गया। हां राम जी नहीं होगा। जी आज भी राम जी हैं। पहले भी राम थे। बाद में भी राम जी रहेंगे। तो गलत किस दृष्टिकोण से कह रहे हैं गुरुदेव इसीलिए अंतरजाती विवाहों में अंतरधर्मी विवाह में अंतर्याता है। जी पतिप में सामंजस्य नहीं बैठ पाता। जी क्योंकि वेद विरुद्ध हुआ। जी समझ क्योंकि विवाह ही हो रहा है। विवाह के दो पहल होते हैं। जी एक तो भोग प्रधान काम तृप्ति के लिए विवाह होता है। जी एक राम तृप्ति के लिए विवाह होता है। जी अंतरजाती अंतरधर्मी विवाह राम काम तृप्ति के लिए होते हैं। और काम की तृप्ति क्षणभंगुर होती है। जी और राम की तृप्ति शाश्वत होती है। बहुत सुंदर गुरुदेव भगवान राम को सीता जी का एक एक ये आरोप लगा था कि गर्भवती सीता जी का त्याग कर दिया। कृष्ण जी को छलिया कह दिया जाता है। क्या ये जानबूझकर सनातन को बदनाम करने के लिए? ये एक दृष्टिकोण डाल दिया गया है। और आजकल महिलाएं कई सारी मिलता हूं। वो कहती है कि राम जी ने गर्भवती पत्नी का त्याग कर दिया। उनसे बेहतर रावण था। नहीं नहीं मैं मैं भूल नहीं रहा हूं। जी वो महिलाएं पढ़ती लिखती नहीं। जी। रावण रावण को भगवान राम ने क्यों मारा था? लाखों महिलाओं का उसने शील भंग किया था। जी और राम जी ने सीता जी का त्याग किया। नहीं था। सीता जी का दूसरा बनवा झूठा है। इस पर मेरी पुस्तक है। सीता निर्वासन एवं संभोग पर नहीं। ये जो लवकुश वाला चैप्टर आता है हां ये छोटा है तो आप अभी यहां मेरी समाप्त हो गई पुस्तकें जी अब चित्रकोट में पुस्तक मैं आपको दे दूंगा जी ये वाल्मीकि रामायण में नहीं है ये नहीं वाल्मीकि रामायण में छह ही कारण थे पहले जोड़ा गया अलग से जोड़ा अरे और इस पे लोग विश्वास करते हैं इसको लेकर राम जी पे सवाल खड़े करते हैं लोग दो सुंदर सीता जाए उसके बाद गोस्वामी जनक सुता समेत रघु जाए तो श्रीलंका से लौटने के बाद क्या हुआ था गुरुदेव थोड़ा सा अगर संक्षिप्त बता सके आप तो कि राम जी राजा बने जी सीता जी रानी बनी जी राज राज्य चलाया जी और लवकुश का जन्म राजमल में हुआ जी सीताराम जी के यहां लवकुश का जन्म जी मांड भरत के यहां तक्ष पुष्कर का जन्म जी और उर्मिला लक्ष्मण जी के यहां चंद्रकेतु का जन्म जी और शत कीर्ति शत्रुघ के यहां सुबह शत्रुघुति का जन्म राज सिंहासन पर विराजमान होकर द वर्ष सहण 10 वर्ष रामो राज ब्राह्मणों को प्रेस बाद में कह रहे हैं लोग 11000 झूठ बोलते हैं सहस्त्र शब्द सहस्त्राणि ये बहुवचन है। दस सहस्त्र एकवचन होता है। और जब बहुवचन करोगे तीन हो जाएगा। 3000 ये हुआ और 1097 में भी बहुवचन होगा। कम से कम 33000 वर्ष तक भगवान राम ने राज्य किया। और च जो लिखा है तो 33 में छ का गुणा कर दो। 1 लाख 98000 वर्ष तक राम जी ने राज्य किया। फिर आठों दिशाओं का राज्य आठों पुत्रों को बांटा और कहा कि तुम लोग आनंद करो अब हम चित्रकूट में चलकर विश्राम करेंगे चारों भाई और तुम्हारी चारों माताएं और हनुमान जी इसी चित्रकूट सब दिन बसत प्रभु श्रीलकांत समय उसी चित्रकूट में गुरुदेव आपका विश्वविद्यालय है। आपके कॉलेज हैं। आप आमतौर पर जितने भी साधु संत हैं वो गौ सेवा करते हैं धर्म सेवा करते हैं लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आपने बहुत काम किया है। इसके पीछे क्या सोच गुरुदेव आपकी रही? मैं शिक्षा भी तो हूं। जी अच्छा शिक्षा सिद्धांत मैं जानता हूं। और लोग और लोग तो पढ़ते लिखते नहीं। जी। तो अभी कई बच्चे पढ़ रहे हैं। हमने सुना कि दिव्यांगों के लिए बहुत सारे बच्चे वहां पर हैं। अलग-अलग तरह से जो अभी तो हमारे यहां 5000 बच्चे पढ़ रहे हैं। जी सबके लिए निशुल्क भोजन निशुल्क शिक्षा निशुल्क हम दे रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय से पढ़कर दो दिव्यांग आईएस भी बने। बहुत सुंदर। हम तो चाहते हैं जो जैसा रहता उसको उसको उसी प्रकार का कार्य ढूंढोगे ना अब किसी को पढ़ने लिखना है नहीं है आश्रम बनाना है तो क्या करें ये इस तरफ ध्यान देना जरूरी है गुरुदेव क्योंकि ज्यादातर हम देखते हैं कि वही पुराने ढर्रे पर ट्रस्ट बना के वही काम चल रहा है शिक्षा की तरफ साधु संतों का ध्यान और बढ़ाना चाहिए हमको लगता जैसा आप कर रहे हैं। साधों को पढ़ना चाहिए। पढ़ते ही नहीं। अच्छा कथावाचक बनने गुरुदेव कोई प्रामाणिकता होती है कि इतना कर लो तब बनोगे या कोई भी बन सकता है जिसने चार लाइन पढ़ ली। नहीं नहीं पहले शास्त्रों को पढ़ लेना चाहिए। जी फिर कथावाचक बनना चाहिए। क्योंकि हम तो देखिए हमारे अयोध्या के एक दो बिजनेसमैन भी थे। उनका भी हम पोस्टर बैनर देखे वृंदावन में। वो भी बाबा बन गए हैं। तो अब समझ में नहीं आता सम्मान किसका करें? सुने किसको? जनता निर्णय कर ले रही बहुत चतु जी अरे हम चौराहा पोस्टर देखे बाबा अभी हमारे अयोध बिजनेसमैन थे गुप्ता जी तिवारी जी हां अरे अभी मैं आपको बताऊं नाम तो नहीं कर पा रहा हूं जी एक बिहार के बहुत बड़े ऑफिसर थे जी वो भी रिटायर हो हम समझ गए टिकट नहीं पाए थे जो तो तो इसका कोई जैसे डॉक्टर पढ़ाई करके बनता है। कथावाचक कोई बन सकता है कि कल कल से हम भी तिलक लगा के बैठ जाए। तू तो मत ही बैठा ना हम तो आप गोत हम तो बैठ सके तो हमारा अधिकार है लेकिन बाकी सबके कुछ क्राइटेरिया नहीं है कि धर्म कि धर्म का सम्मान बना रहा है। वैष्णव जो वैदिक संस्कृति का जी आधिकारिक ज्ञाता हो वो कथावाचक हो सकता है बहुत सुंदर गुरुदेव संगीत में आपके मन बहुत लागत है हम कई द देख अक्षरा सिंह आए जब वो गावत रही तो गुरुदेव मुस्कुराई काल एक जने आए रहे तब वो गुरुदेव मुस्कुराई मनोज तिवारी गावत रहे तब वो मुस्कुराए तो पानी लाई नहीं तो ये संगीत में इतना रुचि आपका है आनंद ये मेरे मेरी स्वाभाविक रुचि है हां आपके चेहरे पे अलग चमक आ जाता है जैसे कि वो गाय लागत है हम तो गाय नहीं पाए तो हम सुना देते नहीं अच्छा गा अब मान बलमा सजनी गाए तब तो तब तो पब क्यों गाना पसंद है गुरुदेव नहीं अच्छा भाई निरहुआ से हम इंटरव्यू करे गुरुदेव तो निरहुआ आम्रपा पानी दे भैया हां निरहुआ ठीक तो हां गुरुदेव निरहुआ से मिले हम तो निरहुआ बता कि गुरुदेव हमसे कहे रहे कि आम्रपाली साथी आए तो पूछ कि तो अर्धांगिनी है तो निरहुआ आप पूछे उनसे कि तोहार बहन है तो कह नहीं अर्धांगिनी है अब इंटरव्यू में कहत रहे कि हम कुछु नहीं है खाली हम सहेली है जैसे बाकी सब है हमार अर्धांगिनी नहीं वो बहुत झूठा बोल आपसे अर्धांगिनी कह रहे हां हां कह गुरुदेव हमसे मजाक कर हमसे पूछ तो बहन है तो हम कह बहन नहीं अर्धांगिनी समझ लो अब कहा जैसे कुल हीरोइन है जैसे अक्षरा है बाकी सब है ऐसे हमारे लिए है जो इस पर हमें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए मेरा स्तर बहुत बड़ा है जी गुरुदेव एक आपका भजन बहुत पसंद है। अगर चार लाइन हमें सुना देते हो आप हम तृप्त हो जाते हैं। सबसे आप सुनो हम आपके घर के लड़का आज आज बताओ दुई लाइन कौन गा त्रिभुवन विदित अवध जे करनवा बड़निक लागे राघव जी के ग बन सरजू सुधा सलील सींचे नित खोरिया मुक्तता लुटावे जहां अमल अजुरिया पारजात करे जहां शहर हरि के छवा बढ़ निकला लागे राघव जी के गवा वाह गुरुदेव वाहतार प्रणाम प्रणाम पसंद आशीर्वाद दो गुरुदेव हमें इंटरव्यू हमारा हो गया हो गया ना हां हां वाह बेटा आशीर्वाद दो हमें पहले इंटरव्यू में एक बात और जोड़ हां बताओ चलत है चलत है आगामी स्वामी जी 18 फरवरी से जी मेरी बस्ती की बढ़नी में जी कथा होने जा रही है। जी वो वशिष्ठ गोत्रियों का दूसरा मूल स्थान है। जी पहला मार्जनी है फिर बढ़नी जी वहां वशिष्ठ जी और अरुंधति जी का हम विग्रह भी स्थापित करेंगे। जी और जो लोग वशिष्ठ गोत्री हैं जी सबको अनिवार्यता वहां रहना है। मैं अभी सबको आमंत्रित कर रहा हूं। दुर्गा शंकर जी भी मेरे बड़े श्री मित्र हैं। उनकी पत्नी से मैंने कहा था जी कि तुम वशिष् अवधि में भोजपुरी में कहा था जी कि तुम्हार वशिष्ठ विवाह ना भ जी हम तो से बात ना कर समझ लो तो मैं सबको आमंत्रित कर रहा हूं साधु संत भी रहेंगे हमारे जय रामदास जी सब लोग रहेंगे वशिष्ठ रामायण पर ही मेरी कथा होगी बहुत सुंदर गुरुदेव क्योंकि मैं कई मानव जी से बहुत प्रेम करता हूं। जी और मेरी उपासना भी राम जी भगवान राम जी के लिए शिष्य भाव की ही है। जी प्रतिदिन मैं गुरु भाई तीन रात में 3:00 बजे से कोई नहीं जानता है। सब विद्यार्थी सोते होते हैं। एक पाठ मैं राघव जी को सुनाता हूं। भगवान राम को प्रतिदिन तो यह जनवरी में होगा फरवरी फरवरी तो एक न्योता तो आपकी यही होगी एक वशिष्ठ यही बैठा आपके सामने हम तो न्योता ना दे हां के काम कर हां हम प्रचार प्रसार कर खियावा पिया हां ख्यावा पिया हां काम हम व आ छुट्टी लेके बस और सबका पूरी कचौड़ी कुल हम खव साहब गायकन के गायक को बुलावा हां ठीक आ गा हां हां न्योता हम और हम रामदास जी से मिलके हम और सबका बुलाए ले सब आवे सब वही सुनावे हम आनंद ले बापू आनंद ले अच्छा आशीर्वाद दो आई गए देखो नाम ले हाजिर हो गए आपके शिष्य आई गए का आशीर्वाद दे दो आओ भैया यहां आओ आओ दोनों जन आशीर्वाद ले जाए तब जाके जी बहुत अच्छा इंटरव्यू में आज विश्राम ने कर देनी। जी गुरु जी।

21 Comments

  1. साधु संतों को ऐसे youtubers के साथ संवाद बंद करना चाहिए जो सिर्फ अपने view likes ke liye podcast करते हैं !

  2. इसका मतलव ये है पूरे शरीर पर योनिया है संभोग किसी भी जगह किया जा सकता है विज्ञान गया भाड़ में

  3. अंबेडकर संस्कृत पड़े हुए थे इसीलिए मनुस्मृति जलाई पड़े ना होते तो ना जलाते ऐसी मूत से लिखी हुई किताब

  4. Radhe radhe
    Shree premanand maharaj ji ki jayy
    Shree radha Vallabh hari vansh jay jay shree radhee
    Sabhi sant jan ko mera pranam ,,,
    Jitne bhi sant hai apne apne jagah thik,,ho sakte hain
    Likin, premanand maharaj ji ka bat kuchh alag hai ,na vo dusron ki ninda karte hain na kisiko karne dete hain ,,isi liye ve mahan hai hum sabki najron main,,❤❤aur kuchh nahi bolungi es bare main …..saf dikhai deta hai.. comments main

  5. महाराज जी आप और प्रेमानंद महाराज जी मेरे आइडियल थे😢, लेकिन आज आपने मेरा दिल तोड़ दिया😭😭

  6. Shubhankar ji aapne limited questions hi puchhe, asal me apane kadave sawal to puchhe hi nahi

  7. जय जय श्री राम ❤ जय सियाराम ।
    जय सनातन ❤❤❤ जय हनुमान
    भारत माता कि जय ❤ ❤जय हिन्द

  8. RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

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