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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

यूं तो दुनिया में बड़ी-बड़ी क्रांतियां हुई हैं। लेकिन नेपाल में जो कुछ हुआ वो इतिहास अलग तरह का बना दिया। क्योंकि नेपाल में जिनजी ने 36 घंटों में सरकार को गिरा कर रख दिया। वो जो शेर है ना कि जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है। वो नेपाल में दिखाई पड़ा। नेपाल की सड़कों पर हजारों युवाओं ने सत्ता को हिला कर रख दिया। दुनिया को हैरत में डाल दिया। 13 से 28 साल के एजेंसी ने ऐसी ताकत दिखाई कि प्रधानमंत्री देश छोड़कर भाग गए। मंत्रियों के घर आग के हवाले हो गए। संसद धधक उठा। होटल जल रहे थे। नोट सड़कों पर उड़ रहे थे। सड़क पर युवाओं की भीड़ नजर आ रही थी और यह कोई साधारण आंदोलन नहीं था। यह एक ऐसा डिजिटल तूफान था जिससे बिना किसी नेतृत्व के नेपाल के सातों प्रांतों और 77 जिलों को आग की लपटों में लपेट लिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस आंदोलन ने नेपाल को अनाथ भी कर दिया? सवाल यह भी कि नेपाल अब किसका है? क्योंकि 17 सालों में 15 बार प्रधानमंत्री बदलने वाला नेपाल आज अनाथ खड़ा है। अनाथ क्यों कह रहे हैं? क्योंकि एक देश को चलाने के लिए दो तरीके होते हैं। या तो लोकतंत्र का या राजशाही का। लेकिन आज नेपाल में ना लोकतंत्र की पूरी साख बची है ना राजशाही का कोई नाम लेवा। सवाल यह है कि नेपाल किसका है? कौन चुनेगा नेपाल की अगली सरकार? क्या वो नेपाल की जनता होगी जो अपने नए सियासतदानों को चुनेगी? क्या वो अमेरिका चीन जैसे बाहरी ताकत होंगे? जो नेपाल में कुर्सी पर कौन बैठेगा, नेपाल कौन चलाएगा? उसको तय करेंगे? सवाल यह भी कि जिस सेना ने नेपाल की कमान को संभाला है, क्या वो पाकिस्तान की तरह अपने अंदर महत्वाकांक्षा तो नहीं पाल लेगी कि हमें ही सरकार चलानी है क्योंकि जनता जो है वो राजनेताओं से या राजशाही से खुश नहीं है। या फिर नेपाल के वो मेयर जिनके बारे में कहा जा रहा है कि इस क्रांति को असली आवाज उन्होंने पीछे से दी और वो मेयर जो टाइम्स मैगजीन में टॉप 100 में आए वो नेपाल के अगले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। नेपाल का अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा? इसको हम आपको बताएं। उससे पहले हम आपको बताते हैं कि बीते 17 सालों में नेपाल और कैसे 15 प्रधानमंत्री बने। दरअसल नेपाल एक ऐसा देश है जो राजनीतिक तौर पर हमेशा अस्थिर नाव पर रहा। 2008 में नेपाल में राजशाही का खात्मा हुआ। देश ने लोकतंत्र अपनाया। लेकिन सत्ता की कुर्सी पर टिकना तब से किसी के लिए आसान नहीं है। 17 सालों में 15 प्रधानमंत्री और ये आंकड़ा अपने आप में इस देश के राजनीतिक अस्थिरता की कहानी को बयां करता है। 20089 में पुष्प कमल दहल प्रचंड वो बनते हैं प्रधानमंत्री। 16-17 में बनते हैं। 2022 से 24 के बीच में भी वही रहते हैं। मावादी नेता प्रचंड कई बार सत्ता संभालते हैं। लेकिन जब-जब आते हैं तब-तब बाहर भी जाते हैं। माधव कुमार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता इनका कार्यकाल भी विवादों में रहा। झलनाथ खनाल 2011 में सरकार बनाई तुरंत चली गई। बाबूराम भट्टाचार्य 11 से लेकर 2013 तक माओवादी विचारधारा के थे, लेकिन अस्थिरता नहीं दे पाए। खेलराज जो थे वो 2013-14 में आए। राजनीतिक चेहरा सुशील कोयराला नेपाली कांग्रेस के नेता जिनका कार्यकाल छोटा रहा। फिर आए केपी शर्मा ओली वही जो इस बार भाग कर गए हैं। 2015 में प्रधानमंत्री बने 18 से 21 में भी थे। फिर 25 में बने। कई बार आए लेकिन भ्रष्टाचार के दलदल में हमेशा डूबे रहे। शेर बहादुर देववा 17 से 18 और 21 से 22 में प्रधानमंत्री थे। अब सवाल यह है कि क्या इनमें से कोई वापस आ सकता है या नेपाल किसके भरोसे जा सकता है? क्योंकि नेपाल में तो युवाओं ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। लेकिन सवाल ये है कि सत्ता का भविष्य क्या होगा? क्या बालेंद्र सुमन या रवि जैसे चेहरे जो हैं वो देश को बचाएंगे या कोई और है जो यहां पर आएगा। कोई ऐसा जिसने ये क्रांति लाई हो? जिंजी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जब आवाज उठाई तो जजी अब चाहते हैं कि उनके पसंद के लोग भी सत्ता में आए। वो जो उनके मुद्दे जिसमें बेरोजगारी है, शिक्षा है, अर्थव्यवस्था है उनका सामना करें। अब यह कौन कर सकता है? यह वो कर सकता है जो क्रांति के पीछे का चेहरा हो। अब कौन नायक है? यह आंदोलन कहने को तो बिना औपचारिक नेतृत्व के शुरू हुआ लेकिन कुछ नाम सामने आए हैं जिन्हें युवा इस क्रांति का चेहरा मान रहे हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने अपनी लोकप्रियता और प्रभाव से युवाओं को प्रेरित किया और इनमें सबसे बड़ा नाम है बालेंद्र शाह का। सवाल यह है कि बालेंद्र शाह कौन है? 35 साल के बालेंद्र शाह फिलहाल काठमांडू के मेयर हैं। नेपाल के सबसे चर्चित यूथ आइकॉन हैं। बालेन एक सिविल इंजीनियर से रैपर बने। म्यूजिक की दुनिया से राजनीति में गए। 2022 में काठमांडू के मेयर का चुनाव जीता और उसके बाद से लगातार चर्चित रहे। टाइम मैगजीन ने 2023 में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली हस्तियों में शामिल किया। न्यूयॉर्क टाइम जैसे वैश्विक मीडिया ने उन्हें कहानियों को कवर किया। बाले के गाने और उनकी बेबाक छवि ने युवाओं को जोड़ा। इस क्रांति में भी कहा जाता है कि उनकी अहम भूमिका रही। उन्होंने ही सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को प्रेरित किया। उनकी लोकप्रियता ऐसी रही कि लोग उन्हें अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। ये सबसे ज्यादा चर्चित नामों में से एक है। एक नाम सुमन श्रेष्ठ का भी चल रहा है। सुमन नेपाल की सांसद और पूर्व शिक्षा मंत्री रह चुकी हैं। सुमन की छवि एक प्रगतिशील और भ्रष्टाचार विरोधी नेता की है। युवाओं के बीच उनकी स्वच्छ छवि ने इस क्रांति का चेहरा बनाया है। कई मीडिया रिपोर्ट ये दावा कर रहे हैं कि वह भी प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं। एक और नाम निकल कर आया है। बड़ा हैरान करने वाला नाम है रवि लामीछाने। रवि राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के चेयरमैन और पूर्व डिप्टी पीएम हैं। हाल ही में उन्हें जेल में रखा गया था। लेकिन जब ये आंदोलन हुआ और जिनजी ने कब्जा करना शुरू किया तो फिर उनकी जेल से रिहाई हुई। रवि की रिहाई के तुरंत बाद ललितपुर के नक्खू जेल से करीब 1500 कैदी भी रिहा हो गए। पुलिस ने चौकियां हटा ली और हालात बिगड़े हैं। हालांकि इनकी रिहाई ने युवाओं में जोश भरा है। उनकी बेबाक छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ने युवाओं को नायक बनाया है। लेकिन इन तीनों के नाम की चर्चा के साथ एक नाम जो है वो आर्मी चीफ का भी चल रहा है। क्योंकि नेपाल आर्मी ने हस्तक्षेप किया है। आपातकाल और सुरक्षा का सवाल जो है जैसे ही आंदोलन में आया। नेपाल आर्मी ने स्थिति को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी ली। नेपाल में रात 10:00 बजे से बीती रात हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। नेपाल की फौज ने कहा भी कि कुछ समूहों ने मौजूदा स्थिति का फायदा उठाकर आम नागरिकों को और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है। नेपाल की फौज ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां कानून की जिम्मेदारी संभालेंगी। जनता के सहयोग से अपील भी मांगी है। हालांकि सेना के इस कदम ने सवाल उठाए हैं कि सेना का ये कदम क्या लोकतंत्र को कमजोर करेगा? और क्या नेपाल में पाकिस्तान की तरह से सैन्य हस्तक्षेप बढ़ेगा? स्थिरता बढ़ेगी। ये सवाल बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है और ये सवाल भी कि नेपाल अब किसके हवाले है? क्योंकि 17 सालों में 15 प्रधानमंत्री देने वाला नेपाल किसी ना किसी के तो हाथ में जाना पड़ेगा। जनता को नाराजगी सत्ता से एक विषय पर थी। वो विषय समाप्त हो चुका है। अब सवाल है एक बेहतर नेपाल बनाने का। वो नेपाल जहां पर इन जिनजी युवाओं का भविष्य जो है वो सुनिश्चित हो। जहां उन्हें बोलने की आजादी हो। नौकरी करने के लिए जगह हो ताकि उन्हें पलायन ना करना पड़े। क्या यह सेना के नेतृत्व में हो पाएगा? क्या यह उस नेता के नेतृत्व में हो पाएगा जो जेल से निकला है? या फिर वो मेयर जिसने इस आंदोलन की रूपरेखा तय की। वो मेयर जिसने इन बच्चों को जोश भरा वो मेयर जिसने इस पूरे आंदोलन का अप्रत्यक्ष तौर पर नेतृत्व किया और जिसके लिए ये बच्चे भी एक सुर में सुर लगाकर आवाज उठा रहे हैं कि हां ये बनना चाहिए हमारा प्रधानमंत्री। फिलहाल कौन बनेगा ये वक्त तय करेगा लेकिन नेपाल की जन जी क्रांति जो है वो दुनिया के लिए मिसाल है क्योंकि ये पहली बार है जब डिजिटल पीढ़ी ने बिना किसी पारंपरिक नेतृत्व के सोशल मीडिया की ताकत से एक देश की सत्ता को चुनौती दी है। बालेंद्र शाह, सुमन श्रेष्ठ, रवि लामे छाने जैसे चेहरों ने युवाओं को इंस्पायर किया है। लेकिन ये आंदोलन सिर्फ कुछ चेहरों तक सीमित नहीं है। यह उस गुस्से की व्यक्ति है जो भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सेंसरशिप से तंग आ चुका था। नेपाल फिलहाल एक अनिश्चित मोड़ पर खड़ा है। सेना का हस्तक्षेप है। जेल से कैदियों की रिहाई है। हिंसक प्रदर्शन ने सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं। सवाल यह कि क्या ये क्रांति जो है नेपाल को नई दिशा देगी या नेपाल को और गहरे अस्थिरता में डाल देगी? अगली सरकार का फैसला कौन करेगा? बाहरी ताकतें या नेपाल की जनता? अगली सरकार कब बनेगी? क्या सेना सत्ता संभालेगी? ये वो सवाल हैं जो अनसुलझे हैं और समय के भरोसे छोड़ दिए गए हैं। लेकिन एक बात जो तय है वो ये कि नेपाल की इस क्रांति को दुनिया सालों तक याद रखेगी। जिनजी की ताकत का जो प्रतीक बनी है जो सिर्फ डिजिटल तक सीमित नहीं बल्कि सड़कों पर भी हुंकार बन रही है। नेपाल का अगला प्रधानमंत्री कौन बनना चाहिए? आप क्या सोचते हैं? वो हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा। जय हिंद, जय भारत, जय नेपाल। [संगीत]

41 Comments

  1. गुलाम ईण्डियन मिडिया हलालाका सन्तान नै रहेछन।

  2. Nepal ka next PM hoga Mahesh Bhatt…. foreign minister hoga Amitab…
    Education minister hoga Deepika Padukone
    Trade minister hoga Karan

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