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Nepal on Fire: Youth vs Govt | Nepal GenZ Protest | PM Oli Resigns | Youth Revolution

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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

कलम से जो तहरीरें लिखने थी वो सीने पर गोलियां झेल कर लिख रहे हैं। यह नेपाल के वो युवा हैं जो खामोशी से नहीं लहू से इंकलाब की तकरीर लिख रहे हैं। नेपाल की धरती आज खून से सनी हुई है और इसीलिए आज ये शेर किसी कविता की तरह नहीं बल्कि नेपाल की कड़वी सच्चाई की तरह दुनिया के सामने गूंज रहा है। वो सच्चाई जिसमें नेपाल का नौजवान जो है वो छाती ठोक कर फौज को सत्ता को चुनौती दे रहा है। जिसमें नेपाल का बच्चा माथे पर गोली खा रहा है। जिसमें नेपाल का आम आदमी सड़कों पर उतर कर सत्ता को चुनौती दे रहा है। नेपाल के सड़कों पर इन दिनों जो कुछ हो रहा वो सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आवाज वाला विरोध नहीं है। यह भ्रष्टाचार सत्ता के अहंकार और नेपाल में पीढ़ियों के उम्मीदों के दमन और आर्थिक तबाही के खिलाफ खड़ा एक ऐसा आंदोलन है जिसने एक नए सिरे से इतिहास लिखा है। वो जो श्रीलंका में हुआ था वो जो बांग्लादेश में हुआ था वो अब नेपाल में भी हो गया है। नेपाल में बच्चों ने सड़कों पर खून बहाया तो ओली सरकार को उखाड़ के फेंक दिया। सरकार जो है वो गिर चुकी है और ये तस्वीरें आज दुनिया को खून के आंसू रुला रही है। रुला रही है क्योंकि जब एक लड़का जो स्कूल बैग लेकर स्कूल जा रहा था वो गोली खाकर जमीन पर गिर पड़ा। किसी का जूता जो खून से सना दिख रहा था तो ये सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी। पूरी व्यवस्था का आईना था। वो व्यवस्था जहां जनता नंगी, भूखी और गोलियों से छलनी है और सत्ता आलीशान महलों में चैन की नींद सो रही थी। नेपाल का आंदोलन जो रहा वो सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं रहा। एक तूफान बना जिसने नेपाल की सियासत की जड़ों को उखाड़ फेंका। युवाओं का गुस्सा इतना बढ़ा कि सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। मंत्री जो है मुल्क छोड़कर भाग रहे हैं। प्रधानमंत्री जो है वो नेपाल से निकल रहे हैं। सोशल मीडिया बैन को हटा दिया गया है। प्रधानमंत्री लोगों को चिट्ठियां लिख रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या देर हो गई साहब? और क्या सरकार यह भूल गई कि जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है। यह बात समझ ली होती तो शायद ओली सरकार की यह दुर्दशा नहीं होती। वैसे नेपाल आज इस हालत में क्यों पहुंचा है और ओली सरकार को इस्तीफा क्यों देना पड़ा है? उसके लिए आपको नेपाल से आई तस्वीरों को देखना पड़ेगा क्योंकि तस्वीरें सिर्फ फोटो नहीं है। सत्ता के खिलाफ एक खुली किताब है। ये तस्वीरें बताती हैं। कैसे एक छोटी सी चिंगारी सोशल मीडिया पर नेपाल को हिला कर रख देती है। कैसे यह सिर्फ बैन की कहानी नहीं बल्कि दशकों के भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अन्याय की कहानी है। और आज एक-एक तस्वीर हम आपको दिखाएंगे। लेकिन इन तस्वीरों को दिखाने के साथ एक गुजारिश हमारी है कि आप भी हमारी ताकत बनिए। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़िए ताकि जब जनता के हितों की आवाज हम उठाएं चाहे वो भारत हो या नेपाल तो वो वीडियोस आप तक पहुंच जाए। जुड़िएगा कमेंट सेक्शन में हमने और डिस्क्रिप्शन में WhatsApp चैनल का लिंक दे रखा है। अब शुरुआत करते हैं नेपाल की उन तस्वीरों से जिसने दुनिया को हिला कर रख दिया। नेपाल में एक बच्चे के सिर में गोली मार। सच कहें तो ये दृश्य रोंगटे खड़े करने वाला है। नेपाल की जनता के दिल में आग लगाने वाला है और यही सब तस्वीरें जो हैं ये आज वहां की सरकार को गिराने की वजह बनी है। नेपाल के लहू से सनी ये लोकतंत्र की चादर थी। लेकिन ये सिर्फ तस्वीर नहीं थी। सैकड़ों मौतों की शुरुआत थी। 8 सितंबर 2025 को हिंसा में कम से कम 19 युवा मारे गए। जिनमें 17 काठमांडू में थे। बाकी दो इधर-उधर के इलाकों मारे गए। नेपाल में बच्चों की यह मौतें सिर्फ आंकड़े नहीं थी बल्कि नेपाल की सत्ता के क्रूर चेहरे की गवाही थी। पुलिस ने लाइव गोलियां चलाई। रबर बुलेट दाग दिए। आंसू गैस के गोले छोड़ दिए। सब कुछ इस्तेमाल किया। किन के खिलाफ? उन बच्चों के खिलाफ जो उनके अपने बच्चे थे। वो बच्चे जो नेपाल का भविष्य थे। नेपाल में काठमांडू में सड़कों पर खून की होली खेल दी गई। एक प्रदर्शनकारी का खून से लथपथ जूता जो सड़क पर दिखाई पड़ा वो सिर्फ नेपाल नहीं बल्कि दुनिया को झकझोर देने वाली तस्वीर थी जो संदेश दे रही थी कि लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर कैसे नेपाल में खून की नदियां बहा दी गई। क्या यह घटना जायज है? नेपाल के लोकतंत्र के इतिहास में ये काला अध्याय है जो बताता है कि एक फैसला पूरे देश में कैसे आग लगा सकता है अगर सत्ता असंवेदनशील हो जाए और सत्ता असंवेदनशील हुई तो जनता भी नंगी होकर सामने आ गई। एक तस्वीर निकल कर सामने आई जो शर्म की नंगई नहीं थी जो सत्ता को नंगा कर रही थी। एक तस्वीर सामने आई जहां पर नेपाली फौज के सामने एक अधेड़ उम्र का शख्स सामने आता है और वहां पर खड़े होकर चिल्लाता है कि मार लो मार लो अगर हिम्मत है मैं चुप नहीं रहूंगा। मैं खामोश नहीं रहूंगा। यह नंगापन कपड़ों का नहीं था। व्यवस्था की शर्म का था। जब सरकार जनता की आवाज को दबाती है तब जनता भी सत्ता को उसके नग्न रूप में उसकी औकात दिखाती है और यही यहां दिखाई पड़ा। यह शख्स अकेला नहीं था। नेपाल की सड़कों पर सैकड़ों ऐसे लोग थे जो अपनी जान की परवाह किए बगैर सड़कों पर उतरे थे। काठमांडू में संसद भवन पर हमला करने वाले प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स को तोड़ दिया था। आग लगा दी थी। गुस्सा उनका दिख रहा था और इस गुस्से की वजह से पुलिस पीछे हटी। मंत्री इस्तीफा दिए, प्रधानमंत्री इस्तीफा दिए और अब एक-एक करके वो मुल्क से भागने को तैयार हैं। लेकिन नेपाल के बच्चों ने खून बहाया है। कईयों की मौत हुई है, सैकड़ों घायल हुए हैं। कई अभी भी गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं और उन पर जो आंसू गैस से गोले दागे गए हैं। उनको लेकर वो मांग कर रहे हैं कि जिसने गोली मारी उसको जेल में होना चाहिए। उनका युवा कह रहा है कि हमारी गरिमा को तुमने छीना था, हम तुम्हें जड़ से उखाड़ कर फेंकेंगे। नेपाल की तस्वीरें बताती हैं कि जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है। एक लड़के का वीडियो वायरल हुआ जिसके माथे पर पूरी चोट लगी है। छाती पर चोट लगी हुई है। लेकिन इसके बावजूद चेहरे पर पट्टी बांधे वो हाथ में माइक लिए सरकार को ललकार रहा है। कह रहा है कि हम डरते नहीं हैं। हम बिकते नहीं हैं। यह आवाज ही असली इंकलाब की पहचान है। लेकिन यह सिर्फ नारे नहीं बल्कि 347 से ज्यादा घायलों की हकीकत है। दुनिया भी कह रही है कि अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है क्योंकि प्रदर्शनकारी खतरा नहीं थे। 18 से 28 साल की उम्र के अधिकतर बच्चे थे लेकिन पुलिस ने इसके बावजूद लाइफ एमुनेशन का इस्तेमाल कर दिया। 13 से 28 साल के बच्चे जो स्कूल की यूनिफार्म में थे, कॉलेज के छात्र थे, उन पर हमला कर दिया। यह तानाशाही वाली मानसिकता को लेकर ही बच्चों ने कसम खाई कि अब सिर्फ कहानी बैन तक की नहीं है। अब सरकार को जड़ से उखाड़ कर फेंकेंगे और वही दिखाई पड़ा। यह तस्वीरें बताती हैं कि युवाओं से जो टकराया है वो इतिहास का हिस्सा बन गया है और इसी वजह से काठमांडू की गलियां जो हैं वो बीते 48 घंटों से समुद्र जैसी लग रही हैं। पहाड़ जैसी लग रही है। लाखों लोग सड़कों पर हैं। भीड़ में बूढ़े हैं, औरतें हैं, बच्चे हैं लेकिन सबसे आगे युवा खड़े हैं। यह भीड़ सिर्फ गिनती की नहीं बल्कि सत्ता के खिलाफ खड़ा हिमालय है। प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया। पोखरा, बुटवल, भैरवा, भारतपुर, इटहरी, दमक कर्फ्यू लगने के बावजूद लड़के जो हैं सड़कों पर उतरे। आर्म्ड व्हीकल्स के आगे लेट गए। संसद भवन पर हमला कर दिया। बैरिकेड को तोड़ दिया, आग लगा दिया। यह सब भीड़ की ताकत को दिखाते हैं। लेकिन सत्ता ने इन सबके खिलाफ जो प्यार से जवाब देना चाहिए था, जो उनसे संवाद करके जवाब देना चाहिए था, जो अपनों को अपना समझ के जवाब देना चाहिए था, उसकी जगह गोलियों से जवाब दिया। और अब ये भीड़ कह रही है कि जब लाखों आएंगे तो कितनों को मारोगे? कितनों को मारोगे? नहीं मार पाए ना। इसीलिए सत्ता से तुम बेदखल हो गए। अब आप में से जो लोग जिनको अब तक नहीं पता कि नेपाल में यह पूरा विवाद है क्या उनको भी हम थोड़ा संक्षिप्त में समझा देते हैं। नेपाल में ये चिंगारी इसलिए सुलझी क्योंकि 4 सितंबर 2025 को नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्म Facebook, YouTube, WhatsApp, inा, Twitter, Lindin, RedIT, सिग्नल, Snapchaat सब पर ताला लगा दिया। तर्क दिया कि ये कंपनियां नेपाल में अपना दफ्तर नहीं खोल रही। टैक्स के नियम को नहीं मान रही। लेकिन कहानी असली कुछ और थी। कुछ लोगों ने कहा कि नेपाल चाइना के करीब जा रहा था। TikTok से लाखों डॉलर की रिश्वत ली थी। TikTok को ही नेपाल में प्रमोट किया जाए इसलिए बाकी सोशल साइट को ठप कर दिया। इसके साथ बेरोजगारी, करप्शन और नेपाल की बदहाल अर्थव्यवस्था भी बड़ी जिम्मेदार। जनता नेपाल की सरकार से त्रस्त थी। उनकी आवाज से कुचला गया था। उन्हें एक मौका मिला और नेपाल में जिनजी 13 से 28 साल के नौजवान जो थे वह सड़कों पर उतर आए। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया बैन आज के दौर में सिर्फ मनोरंजन पर ताला लगाना नहीं है बल्कि उनकी आवाज पर ताला लगाना है। यह वही मंच है जहां से वो सरकार के खिलाफ चीखते हैं। नेताओं से सवाल पूछते हैं। हक की बात को रखते हैं और जब सरकार यह मंच छीन लेगी तो सिर्फ बैन नहीं बल्कि आजादी पर वार होगा। नौजवानों का गुस्सा सड़कों पर आया और वहीं से सरकार के उल्टे दिन शुरू हो गए। ये उल्टे दिन इसलिए भी थे क्योंकि नेपाल में भ्रष्टाचार पराकाष्ठा को पार कर चुका है। नेपाल में करप्शन एक ऐसी बीमारी है जो देश को अंदर से खोखला कर चुकी है। नेपाल में बेरोजगारी से बच्चे परेशान है। 12% से ऊपर नौजवानों में 20% तक गांवों में खेत सूख रहे हैं। महंगाई आसमान छू रही है। लाखों नेपाली लड़के हर साल विदेश भागते हैं ताकि कम से कम खानेपीने का जुगाड़ हो सके। नेता भ्रष्टाचार करते हैं, घोटाले करते हैं, रिश्वत लेते हैं, कमीशन खोरी करते हैं और नेताओं के बच्चे जो हैं जिन्हें आप नेपोकि कहते हैं उनके वीडियोस आम लोगों को परेशान करते हैं। कई नेताओं के बच्चे विदेशों में लग्जरी कारों में घूम रहे थे। महंगे रिसोर्ट में छुट्टियां मना रहे थे और उनके वीडियोस सोशल मीडिया पर आ रहे थे। इन युवाओं को यहीं से गुस्सा लगा। सरकार ने सोचा कि बैन लगाएंगे तो शायद शांत हो जाएगा लेकिन मामला भड़क गया। उल्टा हो गया। यह बैन सिर्फ आवाज दबाने तक नहीं रुका। नेपाल की कमजोर अर्थव्यवस्था को लात मार दी। नेपाल टूरिज्म और विदेश से आने वाले पैसों पर टिका हुआ है। सोशल मीडिया के बंद होने के बाद बिजनेस ठप होने लगे। Facebook, Instagram, YouTube यहां से जो कमाई हो रही थी वह बंद होने लगी। नेपाल के लोग जो बाहर रहते हैं उनसे आपस में संपर्क कम होने लगे। छोटे-छोटे व्यापारी जो सोशल मीडिया पर दुकान चला रहे थे, अब सड़कों पर आने लगे और यहीं से प्रोटेस्ट की वजह से कर्फ्यू लग गया। पर्यटक भागे, व्यापार रुका, नुकसान करोड़ों का था। आंदोलन बढ़ा तो फिर नेपाल की जीडीपी को भी झटका लगना था। लेकिन नेता जो थे वो मददस्त थे। लोग अपनी चिंता करते हुए सड़कों पर उतरे और इन सब में सत्ता की क्रूरता ने इस आंदोलन को और फाड़ दिया। यह गुस्सा दशकों के पहले गुस्से का था। हालांकि बच्चों ने शुरुआत में शांतिपूर्ण तरीके से शुरुआत की थी। पहले किताब और बैनर लेकर आए थे। कहा था करप्शन बंद कर दो। इसके बाद सरकार कहती है कि बच्चे नहीं है ट्रबल मेकर। पुलिस लाठी चार्ज कर देती है। आंसू गैस से गोले छोड़ दिए जाते हैं। फिर युवा संसद की तरफ बढ़ते हैं। जब वहां पर कदम बढ़ते हैं तो पुलिस बल प्रयोग कर देती है। वाटर कैनन का इस्तेमाल करती है। रबर बुलेट का इस्तेमाल करती है। फिर गोली चलाई जाती है। 17 से 19 साल के युवाओं की मौत हो जाती है। सैकड़ों सड़क पर गिरकर घायल हो जाते हैं। सितंबर को काठमांडू में संसद पर हमला हुआ। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़े, आग लगाई। 19 मौत हुई। 3400 घायल हुए और उसी के बाद जनता गुस्सा जो था वह सातवें आसमान पर चला गया। सरकार यहां भी नहीं मानी। वह कर्फ्यू लगाती है। इंटरनेट को बंद करती है। काठमांडू पोखरा में आर्मी को तैनात किया जाता है। लेकिन बच्चे अब आगे बढ़ते हैं। वो कहते हैं इस्तीफा देना पड़ेगा और हुआ सरकार इस्तीफा देती है। होम मिनिस्टर से लेकर प्रधानमंत्री इस्तीफा देते हैं और फिर वही होता है जो बांग्लादेश और श्रीलंका में हुआ था। बांग्लादेश में भी छात्र आंदोलन ने सत्ता बदल कर रख दी थी। 204 में शेख हसीना की सरकार गिरी क्योंकि युवा जो थे वो भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ विद्रोह करते थे। श्रीलंका में भी यही हुआ था। याद कीजिए 2022 में आर्थिक संकट में जनता को राष्ट्रपति भवन में घुस जाने पर मजबूर कर दिया। नेपाल की हालत भी वैसी रही। भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी ने जनता को तिलतिल मारा और उसी जनता ने सरकार को पलट कर रख दिया। सत्ता की कुर्सी चली गई। नेपाल के युवा इस वक्त बदलाव के इतिहास को रच रहे हैं। हालांकि सत्ता अगर नेपाल में समय रहते सीख जाती अगर सुधार कर दिए होते तो शायद नेपाल के भी हालात बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे नहीं होते। नेपाल की अर्थव्यवस्था पहले ही संकट में थी और सरकारों के कदम ने इसे और परेशान कर दिया। युवाओं ने अब सरकार बदल दी है। हालांकि इन सबके बीच में करोड़ों का नुकसान हुआ है और अगर यह नुकसान ऐसे ही जारी रहा तो जीडीपी नेपाल की ओर गिरेगी। भ्रष्टाचार ने नेपाल को पहले ही खोखला कर दिया है। अब नेपाल एक अस्थिरता की तरफ जा चुका है। सरकार खत्म हो चुकी है। युवा संतुष्ट अब तक नहीं है। सरकार सोशल मीडिया पर बैन हटा चुकी है। प्रधानमंत्री विदेश भागने की तैयारी में है। मुआवजा देने का ऐलान किया जा रहा है। लेकिन क्या यह काफी है? युवा कह रहा है कि अब सिर्फ बैन नहीं चाहिए। साफ सुथरी पारदर्शी सरकार चाहिए। कर्फ्यू के बावजूद प्रोटेस्ट जारी है। विपक्ष जो है वो भी यहां पर सरकार पर दबाव बना रहा है। दुनिया की निगाहें जो है वो भी यहां पर है। नेपाल का भविष्य जो है वो युवाओं के हाथ में है। नेपाल का आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन नहीं बल्कि भ्रष्टाचार, अन्याय, आर्थिक तबाही, लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ युवाओं का इंकलाब है। सीने पर गोली खाने वाला नौजवान, खून से सना, भीगा हुआ जूता। नंगे होकर ललकारते हुए प्रदर्शनकारी लाखों की भीड़ और सत्ता का हिल जाना। यह तस्वीरें बताती हैं कि नेपाल की नई पीढ़ी खामोश नहीं है। हालांकि नेपाल में इस आंदोलन के लिए जिंदगियां भी गवाही हैं। 19 मौत, यह सत्ता की नाकामी का सबूत है। लेकिन सवाल अब भी यही है कि क्या सत्ता जिम्मेदारी को समझेगी? क्या नेपाल अस्थिरता से स्थिरता की तरफ आएगा? क्या ये आंदोलन नेपाल को हमेशा के लिए बदल देगा? नेपाल के युवाओं की फिलहाल जीत हुई है क्योंकि उनकी बात मानी गई है। बैन रिस्टोर हो गया है लेकिन सरकार जा चुकी है। अब भविष्य क्या होगा नेपाल का वो देखने वाली बात होगी। क्या नेपाल में क्रांति रुकेगी या नेपाल एक नए सिरे से नई क्रांति को लिखेगा। वक्त बताएगा लेकिन इस घटना ने फिर एक बार बता दिया कि जिस ओर जवानी चलती है उस ओर ही जमाना चलता है। जय भारत जय नेपाल जय हिंद जय भारत। भाई

24 Comments

  1. Bharat ke mantriyon ko sikhna chahiye Nepal ke halat ko dekh ke ,manch se bada bada wadayen krti h or krte kuch nhi

  2. ❤लकी बिस्ट ने कहा था कि नेपाल की सरकार गिरने वाली है क्या सही में लकी बिस्ट ऐजेन्ट है एक वीडियो बनाओ सर लकी बिस्ट के साथ ❤❤

  3. इस वीडियो को देखते हुए गॉड लाइफ नाम का ईसाई एड क्यों आ रहा है।खुले आम धर्मान्तरण का प्रयोग बहुत सारे नेपाली लोग देख रहे होंगे ।धर्म अर्थ काम मोक्ष अर्थ भी बहुत जरूरी है हिन्दू लोगों ।ये एड ने कितने नेपाली लोगों को अपने धर्म से विमुख करेगा ।हिंदुओं तुम्हारे धर्म में अर्थ के आगे कुछ नहीं है। धर्म अर्थ काम मोक्ष ।ये चार आधार है।

  4. Gorkhalis bir gorkhalis naaam toh sunaaa hee hogaaa naaaa haan who gen g is a new youth generations is in here so hats off 2 gen g and luts off 1000000000000 time salute 2 gen g 4rm me 2 u

  5. Ser b.ra aarju paia ka dher sung garib ka masiha bolta parchand paisa ka dhor me sota kutta sala kp.oli suna hatti banake logo ka chutiya banata varst

  6. Nepal k sarkar ko bahut hee jyaada ahenkaar ghamand aur currupted thaaa ,, unlogoko lagta hai sab humare haat mai hai aur janta lok humari katputliyaa hai ,, yeh sab ghamand ahenkaar aur unlogoka kaa janta ko easy mai lenaa sab ka sab dhero ka dher rahigaya ,,genz nai tordiyaa sarkarka ka ghamand 😂😂

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