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Porkistan 2.O : AK-47 Gestures, Zero Balls – Pakistan Exposed | Ind vs Pak

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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

बड़े बूढ़े सही कह गए हैं कि भौंकने वाले कुत्ते काटते नहीं है। बीती रात इंडिया वर्सेस पाकिस्तान में जब यह दो तस्वीरें आई तो हमको फिर यकीन हुआ कि भाई साहब सही कह गए। मतलब भारत ने जैसे पाकिस्तान को घर में घुसकर ठोका था। जैसे ब्रह्मोस ने नूर खान बेस को फोड़ा था। वैसे ही अभिषेक और शुभमन ने पाकिस्तान को फोड़ा। लेकिन पाकिस्तान ना तब जीता था ना अब जीता। तब भी पाकिस्तान मुगालते में था। वो लड़ने थोड़ी ना आया था। वो तो सोशल मीडिया पर सबूत देने आया था। तो पाकिस्तान की आर्म्ड फर्सेस की औलादें हारिस रऊफ और फरहान की तस्वीरें भी यह बता रही हैं कि इस बार भी उनकी इज्जत गई। इस बार भी उनको गालियां मिली क्योंकि शुभमन और अभिषेक ने कहा ओए डीके बॉस बॉल लेके आओ। ओए ग्रोसरी वाले बॉल लेके आओ। लेकिन ये मैदान पर लड़ने की जगह पर मैदान के बीच में रील कटवाने वाली हरकतें कर रहे थे। मानो क्रिकेट खेलने नहीं बिग बॉस में आए हैं कि एक मोमेंट बना लेते हैं जहां से वायरल हो जाएंगे। वैसे वायरल वाले अबरार भी थे। एक मैच में मटक के किए थे। अभिषेक शर्मा ने दौड़ा दौड़ा के पीटा। दौड़ा दौड़ा के पीटा। और ये दोनों जो कल कर रहे थे मतलब क्या नाम उसका हरा सॉरी साहिबजादा कुछ ऐसा उसका नाम है वो ससुरा 128 के स्ट्राइक रेट से अर्शतक लगाया है वो भी तब जब दो-तीन बार ड्रॉप हुआ है। अबे दो से तीन बार कैच ड्रॉप होने के बाद 128 के स्ट्राइक रेट सर शतक लगाने के बाद अपने आप को अभिषेक शर्मा समझ के वो उड़ा रहे थे। मतलब स्वैग अभिषेक शर्मा वाला था। परफॉर्मेंस आसिम मुनीर वाली। इन सबको भाई फील्ड मार्शल मिलने वाला है। फील्ड मार्शल साहब जो भी उसका नाम है वो ये बन जाएंगे। मतलब यार 128 के स्ट्राइक रेट से कोई बल्लेबाज और शतक लगाया हो और आप कल्पना करो कि वो एटीट्यूड इतना दिखा रहा है और यही कहानी आर एस रऊफ की भी है। मतलब पुराने पापाओं ने मारा दबा दबा के मारा। ये आदमी वो बॉलर है जो वर्ल्ड कप में 500 प्लस पिटा था। लेकिन उसके बावजूद कोई शर्म नहीं है। कोई शर्म नहीं है। मतलब पाकिस्तान को एक्चुअली कोई शर्म नहीं है। पाकिस्तान इंडिया से लगातार हार रहा है। ये मैच खेलने आए लोग थे। भारत हर बार इनको मारता है। और ये दिखा रहे हैं। अरे भाई साहब वो नहीं था। वो तुम्हारे छह बाप की निशानी थी। हां छह बाप की निशानी। पाकिस्तान के छह फादर हैं। आप में से जो लोग नहीं जानते हैं उनको हम बता दें। हां मजाक नहीं कर रहे हम। छह फादर हैं। पहले फादर विराट पापा हैं जो हर बार मारते हैं। जिसने इनको मारा था। आपको याद होगा आठ बॉल पर 28 रन पाकिस्तानी शायद ताली पीट रहे थे। और फिर विराट पापा ने उस मैच में हारिस रफ को बताया कि गैंग्स ऑफ वासीपुर में जो कहा गया था कि बेटा चाहे जितना बड़ा हो जाए रहता वो हमेशा बाप के नीचे है। वो बिल्कुल सटीक कहा था। तो वो पहले पापा थे। दूसरे पापा रोहित पापा थे जिन्होंने जिनको इसने कहा था कि अरे रोहित शर्मा वो विराट कोहली मार सकता है ही इज अ वर्ल्ड क्लास बाकी कोई मुझे नहीं मार सकता रोहित शर्मा तो अनहेल्दी है फिर उन्होंने मारा दबा के मारा वर्ल्ड कप में 500 प्लस ये पिटा था वो दूसरे पापा इनके थे तीसरे पापा हार्दिक पांड्या कुलदीप ये सब भी रहे हैं। अभी दो नए पापा आए हैं। शुभमन गिल और अभिषेक शर्मा। जबरदस्त मतलब इन पापाओं ने जो पिटाई की है वह भी कमाल की है। और छठे पापा अब पाकिस्तान का हम खुद घोषित करते हैं। हम इनको अडॉप्ट करते हैं। हम मान रहे हैं कि ये हमारी औलाद है। वो औलादें जो पहले छूट गई थी। हालांकि ये भी हम मान रहे हैं कि हमारी नाजायज औलादें भी पाकिस्तान जितनी बुरी नहीं होंगी। ये गारंटी दे सकते हैं। अब आप कहेंगे भाई साहब ये सब क्यों कर रहे हैं आप? तो देखो भाई अगर आप इतने गिर जाओगे कि आप पहलगाम के 26 मासूम लोगों की मौत के बाद मैच के बीच में धर धर करोगे और फिर आप हमारे कप्तान को गाली दोगे आप मैदान पर कुछ उखाड़ नहीं पाओगे लेकिन फिर करोगे तो गटर में उतर कर ना तुमको भी पता चलेगा और इसीलिए हम कह रहे हैं कि यह टीम जो है यह उसी कुत्ते की तरह जिसका उदाहरण बड़े बूढ़े देते हैं कि पाकिस्तान सिर्फ भौक सकता है। काट नहीं सकता। ये तस्वीर ये बताती है कि पाकिस्तान का असली चेहरा क्या है? कितना गलीश पाकिस्तान है। यह तस्वीर दहशतगर्दी को दिखाती है। ये तस्वीर बताती है कि पाकिस्तान दोगला है। पाकिस्तान का चरित्र क्या है? यह तस्वीर बताती है कि हम इंडियंस क्यों कह रहे थे कि बॉयकॉट पाकिस्तान और आज इस तस्वीर के साथ ही सवाल BCCI से भी है कि डियर BCCI क्यों गटर में उतर कर इन सूअरों से लड़ना पड़ रहा है? क्यों हमारे खिलाड़ियों को इनका सामना करना पड़ा ऐसे गलीच लोगों का? पाकिस्तान की मैच में या जंग में जीतने की औकात नहीं है। वो सिर्फ सोशल मीडिया तक रील कटवाने के लिए। चाहे उनके नेता हो, चाहे उनके मंत्री हो, चाहे उनका फौज का बंदा हो। आसिम मुनीर भी छाती पे वो जो लगवा रहे थे, सिर्फ वो सोशल मीडिया तक का है। यह रील बनाने वाले लोग हैं। इन्होंने जिंदगी में कुछ उखाड़ा नहीं। और यह पाकिस्तान टीम की भी हैसियत कुछ उखाड़ने की नहीं है। लेकिन हम क्यों इनको मंच देखकर यह सब देख रहे हैं? क्यों विश्वस्तरीय मंच देकर ऐसे गलीच लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है? क्यों खून और क्रिकेट साथ-साथ चल रहा है? क्या ऐसे आतंकी और दहशतगर्दी सोच रखने वालों के साथ मैच होना चाहिए? यह सवाल मेरा अभी भी है। और यह सवाल क्यों है? क्योंकि यह सिर्फ गलीच नहीं है। इनके घर परिवार के लोग भी उतने ही गलीच हैं। उदाहरण के तौर पर। हारिस रऊफ की पत्नी पाकिस्तान के एकतरफा मुकाबले में मैच हारने के बाद कहती हैं लॉस्ट द मैच बट वन द बैटल। सवाल ये बैटल क्या है? क्रिकेट या जिहाद? पाकिस्तानी खिलाड़ी मैच हारने के बाद सोशल मीडिया रील बनवा रहे हैं। जहां वो औलाद आर्मी की तरह घमंड दिखा रहे हैं। मतलब एक तरफ ये बेशर्म बेगैरत लोग कहते हैं क्रिकेट में पॉलिटिक्स मत लाओ। दूसरी तरफ ये बेगैरत लोग बेशर्म लोग और इनके खानदान वाले बिहेव ऐसे कर रहे हैं जैसे मानो जंग जी चल रही हो। और यही पाकिस्तान की असली हकीकत है। और इसीलिए बार-बार हम BCCI से कह रहे थे कि ऐसे सूअरों से निपटने के लिए हमको नाली मत उतारो। वो जो प्लेन दिखाया जा रहा था छह जीरो किया जा रहा था। वो जो बंदूक चलाई जा रही थी। बस वही इनकी औकात है रील कटवाने की। क्रिकेट के मैदान को उन्होंने बिग बॉस का घर समझ रखा है कि कुछ बोल देंगे उल्टा रील कट जाएगी। क्योंकि औकात तो इनकी है नहीं। औकात होती तो मैदान पर कह के ले लेते जैसे अभिषेक ने ली थी। लेकिन इनके मुल्क की नाक पहले से कटी है। इन्होंने कुछ करना नहीं था। हमारे लड़कों ने किया। उनका मन नहीं था खेलने का। वो हाथ नहीं मिला रहे। स्टैंड लिया। अभिषेक को उन्होंने छेड़ा। अभिषेक ने मुंह पे जाके कहा। अबे डीके बोस जाके बॉल फेंक। शाहीन को बोला। हारिस जब शुभमन को खिला बोलना चाहता। तब कहा ओए ग्रोसरी वाले जा बॉल डाल। बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारी फौज ने बजाई थी। जैसे हमारी फौज ने फर्जी मार्शल को फोड़ा था वैसे ही फोड़ा। लेकिन ये इनकी औकात ना भारत की फौज से लड़ने की है ना इनकी औकात भारतीय क्रिकेटर से लड़ने की है। इसीलिए रील कटवाने के लिए रील बनवाने के लिए यह क्राउड्स में नौटंकी कर रहे थे। और ये इन्होंने पहले भी किया है। 1971 में जब ये हारे थे तब भी इन्होंने कहा था कि हमने भारत के इतने प्लेन गिरा दिए। 99 हारने के बाद भी इन्होंने कहा हम जीते। 65 में इन्होंने कहा जीते। 47 में इनकी अपनी कहानी है। जैसे बाप दादा होंगे वैसी औलादें होंगी ना। इनके बाप दादा भी ऐसे ही थे। वो भी धूतपना करते थे। कहते थे कि हम ही जीते। 93,000 सैनिकों ने एक साथ सरेंडर किया था। ऐतिहासिक तस्वीर है। लेकिन नहीं फटे तो फटे पर नवाबी ना घटे। मैच में जवाब देने की औकात नहीं है तो घिनौना ड्रामा करना है और फिर कहेंगे कि भाई आप लोग पॉलिटिक्स करते हैं। आप लोग क्रिकेट और दोनों को शामिल कर लेते हैं। जी अरे हमारे वाले ने शहीदों को सलाम ठोका था। फौज के उन लोगों को जिन्होंने श्रद्धांजलि दी उनको सलाम ठोका था। मरे हुए लोगों को सलाम ठोका था। जिनको तुमने आतंक की वजह से मार डाला था। तुम्हारे आतंकी वजह से और तुम घिनौनी छिचली गंदी हरकतें कर रहे हो जो दर्शाता है कि तुम्हारा डीएनए गंदा है। तुम्हारी औकात नहीं जीतने की एक तरफा हारे और तुम भीड़ में बैठ के रील कटवा रहे हो। ये तुम्हारी औकात है। ड्रामा करो नौटंकी करो और फिर हार कर फील्ड मार्शल बन जाओ। और यह सब तुम्हारे पुरखे भी करते आए हैं। तुम्हारे बड़े भी शाहिद अफरीदी से लेकर मुनीर तक हमने सबको देखा है। कैसे हार कर रैलियां निकाली गई। कैसे हार कर फील्ड मार्शल बन गए। और वो फरहान सॉरी साहिबजादा क्या जो भी नाम उसका एक तो पाकिस्तान में नाम तो नहीं पता। वंस इन अ ब्लू मून चला है। चार मैच बाद गायब हो गए। जैसे आरिस रऊफ पिछले मैच में जिस मैच में है ऐसे ये भी A के 47 वाला जेस्चर दिखा रहा है। 26 निर्दोष भारतीय पर्यटकों को मारा गया था। गोलियों से छलनी किया गया था। तुम्हारे लोगों ने इन्हीं के भाई बहन होंगे। जैसे अफरीदी का वो एक कजिन था जिसे भारतीय फौज ने 2004 पांच में मारा था। ऐसे ही इन हरामजादों के भी आसपास के घर के लोग होंगे। 128 के स्ट्राइक रेट से अर्शतक लगाने के बाद और बंदूक बनाकर तुम इशारा कर रहे हो। तुमको क्या लगता है? हमको समझ में नहीं आता कि तुम आतंकिस्तान से हो। हम नहीं जानते तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है। जहां हिंसा को गौरव का प्रतीक मनाता है। ए के 47 समझ में आता है। सब समझ में आता है कि यह जश्न नहीं है। यह अपमान है उन मरे हुए लोगों का जिनको तुम्हारे दहशत गर्दों ने मारा था। यह तुम्हारे मुल्क की सोच को दिखाता है। यह बताता है कि तुम्हारे यहां जनरल हो, एक्टर हो, डॉक्टर हो, क्रिकेटर हो, सब जिहादी सोच वाले हैं। दशकों से तुम लोग मिलिट्री आतंकवादी लगातार भेज रहे हो। तुम लोग वो हो जो हिंसा को बढ़ावा देते हो। और अब क्रिकेट फील्ड में लाकरसी कर रहे हो। सच कहें तो BCCI को समझना होगा। भारत सरकार को समझना होगा कि पाकिस्तान वो मुल्क नहीं जिसे डायलॉग से बात की जाए। डायलॉग सभ्य लोगों के साथ होता है। आतंकियों के साथ नहीं। पाकिस्तान को बस ब्रह्मोस मिसाइल की भाषा समझ में आती है। और इसलिए बड़े अफसोस से कहना पड़ रहा है कि हमारी सरकार, हमारी बीसीसीआई ने जो इनके साथ खेलने का मौका दिया वो शर्मिंदा करने वाला है। हमें इन्हें मौका नहीं देना चाहिए था। यह मॉनची था जहां पर यह रील बनवाकर चढ़ाते हैं। फिर भी रखा उन्होंने हैरानी मुझे लोगों से भी है क्योंकि पाकिस्तान की मानसिकता जन्मजात की है। दशकों पुरानी है। 47वें बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान ने अपनी पहचान को कट्टरवाद भारत विरोध पे लगा रखा है। सेना के जनरल क्रिकेटर हर कोई इसीलिए हिंसा पर प्राउड है। इनको मैच थोड़ी ना खेलना है। इनको नौटंकी करनी थी। वही जो युसुफ योहाना वहां कर रहा था। वही जो अबरार ने किया था वही जो फहीम अशरफ ने फोटो डाल रखी थी और इन सूअरों के साथ मैच खेलना पड़ रहा है हमारी टीम को इन सूअरों के लिए हमें वीडियो बनाने पड़ रहे हैं। अरे हमको यह समझना पड़ेगा भाई कि ये कंगाल लोग हैं, भीखमंगे लोग हैं। नंगे लोग हैं। ना अर्थव्यवस्था है, ना राजनीति है, ना क्रिकेट खेलना आता है। इनको रील बनवाना है। ये क्रिकेट में 13 जीरो से हारेंगे। 10 एक से हारेंगे। फौज में 93,000 से हारेंगे। लेकिन माहौल ऐसा बनाएंगे कि क्रिकेटर्स को भी दे दिया जाए। फील्ड मार्शल हारिस रव, फील्ड मार्शल सलमान अली आगा, फील्ड मार्शल शाहीन शाह अफरीदी। BCCI से भी सवाल आज हमारा फिर है कि पहलगाम की चोट अभी भी ताजा है। क्यों मंच दिया जा रहा है? यह क्यों देखना पड़ रहा है? लाखों भारतीयों ने बॉयकॉट की मांग की थी। लेकिन BCCI ने ही सुना। सरकार ने नहीं सुना। अगर भारत ना खेलता तो शायद नुकसान होता पैसों का। 12 16 मिलियन डॉलर का। लेकिन आज जो भावनाओं का अपमान हो रहा है, जो सैनिकों का तिरस्कार हो रहा है, उसे सिर्फ ये कहेंगे कि हमने हैंडशेक नहीं किया या हमने मीम वॉर में हरा दिया। जस्टिफाइड है। ये समझना होगा। और ये अमल करना। अगर हम बॉयकॉट करते तो शायद एशिया कप रद्द होता। हो जाने देते। और लोगों से भी सवाल है कि हम इतनी आसानी से क्यों बहक जाते हैं? पहले मैच के बाद विरोध की लहर थी। दूसरे मैच में हम मीम्स में खो गए। ऐसा लगता है कि एक ट्रोलिंग ने हमें एक मौका दे दिया कि अरे बस यही यही चाहिए हमें। औकात का फर्क है। भाई हम तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह आतंकी लोग हैं। यह ब्रह्मोस की भाषा समझने वाले लोग हैं। और हम इन्हें रिप्लाई देकर जीत रहे हैं। जरूरत नहीं है। इनकी औकात नहीं है हमसे। मुझे सूर ने कहा कि यार क्या कंपटीशन है? कोई राइवलरी है ही नहीं। हम में इनमें क्या है? हम सुपर पावर ये सड़क छाप लोग शर्म आनी चाहिए। दानिश कनेरिया ने कह दिया यार बाकी छोड़ो वो तो पाकिस्तानी है। उसने अपने मुल्क को एक्सपोज कर दिया। उसने कहा ये जो हरामजा हराम साहिबजादा फरहान जो थे यह प्रमोस दिखा रहे थे। सॉरी फरहान जो है यह A के 47 दिखा रहे थे लेकिन जवाब इनको ब्रह्मोस से मिला। लेकिन सवाल यह है कि मैदान पर ब्रह्मोस चलाने से बेहतर है कि मंच ही ना दिया जाए। क्या मतलब है? खत्म होने दो यार। भूखेन नंगे लोग। आज इनके लिए बॉयकॉट रास्ता है। बस बॉयकॉट। सिर्फ बॉयकॉट। हर जगह यह हारे लोग हैं और अब इनको तिरस्कार करने का समय है। भारत को समझना पड़ेगा कि हम और ये वी आर नॉट इक्वल्स और इनके साथ क्रिकेट खेलना इज नॉट समथिंग वी शुड बी प्राउड ऑफ कि मैच बंद करना होगा। पाकिस्तान का बॉयकॉट करना होगा। बाकी जब तक नहीं कर रही है सरकार जब तक नहीं हो रहा है बीसीसीआई की तरफ से कड़ा फैसला तब तक उतरते रहेंगे हम कीचड़ में हम यहां से रेलते रहेंगे और अभिषेक शर्मा उनको वहां से रहेंगे जय हिंद जय भारत नमस्कार

25 Comments

  1. पाकिस्तान के पहले पापा इंडियन आर्मी थी

  2. In pakistaniyon ke liye nafrat bhi dil se nikalti hai 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

  3. Hehe thoka tha😅😅😅…tb b jhot boly or ab b…international media me jitni bizti hui us se sabaq ly lo jhantoo mishra

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