Join WhatsApp https://www.whatsapp.com/channel/0029VaRVu9ICxoB1dyrmQB41

Spotify: https://open.spotify.com/show/6bK7JSnx1Q2iIc6g0BphBK?si=ZUXuYvTtTeyvusXDX1kvyg

#SCOSummit2025 #PMModi #VladimirPutin #DonaldTrump #Brahmins #Navarro

SCO Summit Shock: America Can’t Digest India’s Move | Modi–Putin–Xi

#xijinping #TrumpTariff #Tianjin #ModiInChina #PutinInChina #XiJinping #ModiPutinXi #SCOReception #GlobalLeaders #IndiaChinaRussia #SCO2025 #WorldPolitics #DiplomacyInAction #Geopolitics #SCOChina2025 #SCO2025 #Putin #SCOSummit #narendramodiji #StopHatingBrahmins

Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

कम से कम एक बार बता तो देते कि आप जा रहे हैं। नहीं रहना चाहते। और कितना अच्छा हम लोग बातचीत करते थे। सब चीज करते थे। लेकिन चलिए ठीक है। अच्छे पल को हम जिंदगी भर याद रखेंगे, संजो के रखेंगे। पर कम से कम बताना तो चाहिए था। यह शब्द भले ही तेजस्वी यादव के रहे हो लेकिन भावना जो है वह अमेरिका और डॉन्ड ट्रंप पर सटीक बैठ रही है क्योंकि आज डॉनल्ड ट्रंप को एहसास हो रहा है कि ठुकरा कर मेरा प्यार अब इंतकाम कैसे दिख रहा है उनको अच्छा नहीं लग रहा मोदी जी के बिना और इसीलिए अमेरिका की तरफ से कहा जा रहा है कि वी आर नॉट लाइकिंग मोदी जी को पुतिन और शिजनपिंग के साथ देखना कोई भला जाता है ऐसे डॉनल्ड ट्रंप के सलाहकार कह रहे हैं कि मोदी जी को नहीं करना चाहिए था। रूस के बजाय अमेरिका के साथ खड़ा होना चाहिए था। पता नहीं मोदी जी क्या सोचे कर दिए। फिर वह उम्मीद जताकर कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि मोदी जी समझेंगे। रूस के बजाय हमारी तरफ आएंगे। और जब ये सारा ड्रामा चल रहा था तो हमको एहसास हुआ कि भैया कभी-कभी दुनिया की सियासत बिना मोहब्बत की तरह ड्रामेबाज हो जाती है। मानो जैसे कोई बॉलीवुड की पिक्चर चल रही है। वो जो एक शेर था ना कि बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से। हो सके तू लौट आ किसी बहाने से। एग्जजेक्टली यही कहानी आज अमेरिका की है। वो अमेरिका जो खुद को ग्लोबल पावर मान रहा है। सुपर पावर आज दिलजले आशिक की तरह भारत के बिना तड़प रहा है। भारत अपनी जाल में मस्त है। रूस और चीन के साथ मोदी जी खूब हंसे। हा वाह वाह वाह वाह वाह। खूब फोटो खिंचवाए। अमेरिका के दुश्मन नंबर एक पुतिन साहब के साथ गाड़ी में बैठ के गए। गलबियां डाले नजर आए। अब यह सारी चीजें देखकर अमेरिका परेशान है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उनके सलाहकार पीटर नवारो से लेकर वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट तक सबके बयान ऐसे हैं जैसे मानो कोई पुराना प्रेमी अपनी खोई हुई मोहब्बत को याद कर रहा हो। पछता रहा हो। यह कहना चाह रहा हो कि बाबू जब रिलेशनशिप में थे तब हम बढ़िया आदमी नहीं थे। लेकिन अब हम सुधर गए हैं। ठीक हो गए हैं। तुम उसके पास मत जाओ। वो अच्छा आदमी नहीं है। हमारे पास रहो। हम तुमको प्यार करते हैं, दुलार करते हैं, लाड प्यार करते हैं। और यही भाषा अमेरिका से आ रही है। क्योंकि सलाहकार का जो स्टेटमेंट है कि पता नहीं मोदी जी क्या सोच के वहां चले गए। हमारे साथ रहना चाहिए था। अच्छा नहीं लग रहा उनके साथ देखना। है ना कमाल? दरअसल इस कमाल के पीछे वो सोच है जिसमें अमेरिका इस बात को जानता है कि आज वो सुपर पावर है। आज उसका डॉलर मजबूत है। पर जो आज है क्या वो कल भी रहेगा? भैया यह जरूरी नहीं है। रूस एक जमाने में क्या ताकतवर था सोवियत संघ लेकिन फिर कमजोर हो गया और आज अमेरिका वही समझ रहा है। इसीलिए पुरानी मोहब्बत की तरह बीते दिनों की यादें दिला रहा है। अमेरिका यह समझ रहा है कि जो समय पर नहीं समझा समय उसे समझा देता है और इसीलिए अमेरिका में केवल डॉनल्ड ट्रंप नहीं केवल उनके सलाहकार नहीं बल्कि वित्त मंत्री भी कह रहे हैं। वित्त मंत्री साहब अमेरिका के एक तरफ कहते हैं कि एससीओ की बैठक कुछ था ही नहीं दिखावा है। लेकिन दूसरी तरफ कहते हैं कि अमेरिका और भारत मजबूत लोकतंत्र है। मतभेद जो है वह सुलझा सकते हैं। अब जनता समझने आती है कि भाई साहब यह माजरा क्या है? आखिर अमेरिका को भारत का रूस और चीन के साथ बढ़ता दोस्ताना क्यों खल रहा है? भारत इस वैश्विक शतरंज में अपनी चाल कैसे चल रहा है? और सबसे बड़ा सवाल भारत अमेरिका की पुरानी दोस्ती इन बयानों के बीच में टूटने की कगार पर है या एक दौर है। जिसमें चीजें बेहतर हो जाएंगी? या यहां से अमेरिका को एहसास होगा और भारत का रिश्ता फिर से बेहतर होगा। इस अजब प्रेम में गजब कहानी को हल्के-फुल्के अंदाज में लेकिन फैक्ट और गंभीरता के साथ समझने की कोशिश करते हैं। इससे पहले कि हम कथा शुरू करें। हम आपसे भी कहेंगे कि बाबू हमारा WhatsApp चैनल जो है फॉलो कर लीजिए। वही WhatsApp चैनल जो अमेरिका ने बनाया है। वही अमेरिका जो आज दिलजलों की तरह हमारे पास आ रहा है। आप भी जुड़ जाइए ताकि अगला वीडियो आप तक जल्दी पहुंच जाए। अब शुरुआत उस महत्वपूर्ण सवाल से कि अमेरिका को भारत का रूस चीन प्रेम खल क्यों रहा है? तो देखिए अमेरिका के बयानों से यह बात साफ है कि वो भारत की दोस्ती खोना नहीं चाहता। भारत का रूस और चीन के साथ बढ़ता दोस्ताना अमेरिका के ग्लोबल दबदबे और सुपर पावर स्टेटस के लिए चुनौती है। अमेरिका की ताकत दरअसल दो चीजों पर टिकी है। एक उसका डॉलर पैसा और दूसरा उसकी सैन्य ताकत। लेकिन एसइओ समिट में जब नरेंद्र मोदी, पुतिन और जिनपिंग एक साथ हंसते मुस्कुराते नजर आए तो वाशिंगटन में किसी थ्रिलर फिल्म के ट्रेलर की तरह आग लग गई। कैसे समझाते हैं? अमेरिका की ताकत का आधार उसका डॉलर है जो वैश्विक व्यापार की रीड है। एससीओ देश जो दुनिया की 40% आबादी है। अकेले भारत और चीन और रशिया को ले लीजिए तो लगभग 38% आबादी इसी में आती है। अब अगर इतनी बड़ी आबादी और ऊर्जा संसाधनों का बड़ा हिस्सा ये नियंत्रित करते हैं और अगर ये तीनों देश डॉलर की जगह किसी और मुद्रा को बढ़ावा देते हैं तो अमेरिका की ताकत कमजोर पड़ जाएगी। रूस और चीन पहले से ही डॉलर से दूरी बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। भारत भी अगर इस रास्ते पर बढ़ गया तो अमेरिका के लिए बड़ा झटका होगा। बड़ा आदमी एक दिन में नहीं गिरता। धीरे-धीरे गिरता और अमेरिका इस बात को समझता है। इसीलिए इशारोंइशारों में भारत को वो दोस्ती की याद दिला रहा है। एसइओ समेट में भारत रूस और चीन की एकजुटता ने इस संभावना को मजबूत किया है। दूसरा रूस का सस्ता तेल और भारत के जिम्म। अमेरिका को भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना बिल्कुल पसंद नहीं। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो तो इससे इतने खफा हो गए कि उन्होंने रूस यूक्रेन वॉर को मोदी वॉर कह डाला और इसके पीछे तर्क दिया कि भारत रूस से तेल खरीदता है। बदले में जो पैसा देता है उसी से रूस यूक्रेन से युद्ध लड़ रहा है। हालांकि भारत साफ कह रहा है कि भाई साहब देखो हमको सस्ता तेल मिल रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है। तुम खुद तेल गैस सब खरीदते हो यार हमको ज्ञान दे रहे हो। हमको ज्ञान मत दो। अपना काम से काम रहो। हमारी विदेश नीति हम तय कर लेंगे। फिर अमेरिका इसी बात से नाराज हुआ और 50% टेरिफ लगाया। यह भारत को दबाने की कोशिश थी लेकिन भारत ने झुकने से इंकार कर दिया। एसइओ में रूस के साथ जो भारत की नजदीकियां थी वो परेशान करने वाली थी और बनता भी है क्योंकि पुतिन के साथ गाड़ी में बैठना, पुतिन के साथ हंसना, पुतिन के साथ वॉक करना अमेरिका समझ रहा है कि भारत क्या मैसेज दे रहा है और पुतिन के ज्यादा भारत के करीबी अमेरिका को और परेशान कर सकती है जानते हुए कि भारत और रूस के रिश्ते पहले भी अच्छे रहे। लेकिन एक और परेशानी है वो है चीन के साथ नरमी। भारत और चीन के रिश्ते अच्छे नहीं रहे। 2020 में गलवान के बाद बहुत खराब हो गए थे। लेकिन इस बार डबल डबल बैठक चली। शी जिनपिंग साहब 50 मिनट की बैठक गर्मजोशी दिखाई पड़ी। एसइओ में जो मैसेज आया वो भी पहलगाम को लेकर आया। तो चीन ने भी कोशिश की भारत को अपनी तरफ लाने की। अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ बैलेंसिंग पावर के तौर पर देखता है। लेकिन भारत अपनी शर्तों के साथ चीन से रिश्ते सुधार रहा है और यह अमेरिका को परेशान करने वाला है। सबसे बड़ी बात यह है कि एससीओ कहीं नई वैकल्पिक व्यवस्था ना बन जाए। क्योंकि एससीओ समिट में जिनपिंग ने धमकाने वाली नीतियों की आलोचना की। एक नई वैश्विक व्यवस्था की वकालत की जिसमें संयुक्त राष्ट्र की भूमिका अहम हो। यह अमेरिका की एक तरफफ़ा हुकूमत को सीधे-सीधे एक बड़ी चुनौती रही। ये तो अमेरिका की टेंशन है। भारत इसमें कहां पर है? देखो भाई भारत इस टाइम चतुराई से काम कर रहा है। ना तो पूरी तरह अमेरिका के साथ है और ना रूस और चीन के सामने आत्मसमर्पण किया। भारत का ये है भाई अपना काम बनता तुम तुम तुम तुम फाड़ जाओ। जो हमारे साथ अच्छा हम भी अच्छे हैं। कैसे? ये समझाते हैं। हमारी रूस के साथ पुरानी दोस्ती है। दशकों पुरानी। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार देने वाला देश है। सस्ता तेल वो हमें दे रहा है। जो लाइफ लाइन हमारे लिए और इसी दोस्ती को हमने और मजबूत किया। पुतिन ने भी अपनी साइड से फर डाले। तार में 45 मिनट तक गपशप की। कुछ प्राइवेट बात रही होगी। पुतिन ने इंडिया को अपना डियर फ्रेंड कहा। रशिया हमेशा हमारे साथ रहा। 1971 में भी जब इंदिरा जी का दौर था तब भी रशिया ने ही साथ दिया था। चीन जो रहा वो भी साथ दे रहा है। तो भारत कूटनीतिक दृष्टिकोण से चीजें बेहतर कर रहा है। प्लस भारत अपनी शर्तों को मनवा रहा है। एसइओ समिट में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा हुई। शबाज शरीफ मौजूद थे। मोदी जी ने भी अपने भाषण में आतंकवाद पर दोहरे मापदंड की आलोचना की। तो भारत अपनी बात रख रहा है और ये एक तरह से अमेरिका को जवाब है क्योंकि अमेरिका को लग रहा था कि 50% टेरिफ पे हम सकपका जाएंगे। हम उनकी बात मानेंगे। हम कहेंगे यस सर जरूर कहेंगे सर आप। लेकिन अमेरिका को अब लग रहा है कि भारत दबाव में नहीं आ रहा है और ये इंडिया के लिए एडवांटेज है। अमेरिका के लिए प्रॉब्लमैटिक है। भारत इस टाइम विदेश नीति में बढ़िया तरीके से चल रहा है और यहीं से भारत अमेरिका रिश्तों को लेकर प्यार, तकरार और तलाक की कहानी आ रही है। भारत और अमेरिका के रिश्ते जो हैं इस वक्त अपने सबसे निचले स्तर पर है। ट्रंप की टेरिफ नीति और भारत की रूस चीन के साथ नजदीकी ने इस दोस्ती में दरार डाली। अब सवाल ये क्या रिश्ता टूटेगा? और जवाब शायद नहीं। नहीं। क्यों? क्योंकि अमेरिका और भारत दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र हैं। स्कॉट बेंस ने कहा दोनों अपने मतभेद सुलझा सकते हैं। जो एक इंडिकेशन है कि आप रिश्ते ठीक कर लीजिए। भारत अमेरिकी रिश्तों को 21वीं सदी का परिभाषित रिश्ता बताया गया। ये बताता है कि दोनों चाहते हैं कि चीजें ठीक हो जाए। बस हमारी शर्तें ज्यादा मान ली जाए। भारत क्वाड का अहम हिस्सा है जो चीन को बैलेंस करने की रणनीति का हिस्सा है। भले ही ट्रंप की नीतियों ने तनाव बढ़ाया हो लेकिन भारत और अमेरिका लंबे समय से एक दूसरे से जुड़े हैं। प्लस डॉनल्ड ट्रंप जिंदगी भर के लिए नहीं है। अगर अमेरिका में प्रशासन चेंज होता है तो भारत अमेरिका के रिश्ते फिर बेहतर हो जाएंगे। ट्रंप जिंदगी भर वहां नहीं रहने वाले। वैसे भी उनके यहां 4 साल का हिसाब किताब होता है। उसके बाद उनका राष्ट्रपति थैंक यू हो जाएगा। दो टर्म मिलता है। एक टर्म वो पूरा कर चुके हैं। सेकंड टर्म में 4 साल, 4 साल बाद ट्रंप गायब। तो वहां से रिश्ते बेहतर हो सकते हैं। हालांकि चुनौतियां हैं। डॉन्ड ट्रंप जो है भारत पर डेयरी प्रोडक्ट और व्यापारिक दबाव को लेकर दबाव बना रहे हैं। भारत ने भी जवाब में शर्तें रखी हैं। डॉन्ड ट्रंप ने इस मुलाकात के बाद भी ट्वीट किया था कि भारत ने जो रियायत की पेशकश की वो कम हो गई। हालांकि डॉन्ड ट्रंप के ट्वीट में एक बात और खास थी। डॉन्ड ट्रंप पहले कह रहे थे रूस और भारत अपनी डेड इकॉनमी को लेकर भाड़ में जाए। अब वो कह रहे हैं नहीं नहीं जी बड़ा कारोबार किया है। तो स्टैंड चेंज हुआ है। झूठ बोला उन्होंने अब पलट रहे हैं। गुस्से में पलट रहे हैं। बड़े आदमी की तरह लेकिन पलट रहे हैं। कुल मिलाकर कहानी यह है कि भारत की बाजी अमेरिका को बेचैन कर रही है। और यह सियासी ड्रामा दिखाता है कि भारत चतुराई से काम ले रहा है। अमेरिका दिलजले आशिक की तरह तड़प रहा है। भारत ने एसइओ समिट में साफ किया। किसी के दबाव में झुझेगा नहीं। और रूस के साथ पुरानी दोस्ती, चीन के साथ नई गर्माहट, अमेरिका को कड़ा जवाब। यह सब आज भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का सबूत है। अमेरिका को डर है कि अगर भारत रूस और चीन का गठजोड़ मजबूत हुआ तो उसकी ग्लोबल बादशाहत खतरे में पड़ सकती है। लेकिन भारत के लिए मौका है अपनी वैश्विक हैसियत को और मजबूत करने का। अमेरिका और भारत के रिश्ते भले ही आज तनाव के दौर से हो लेकिन दोनों देशों में बुनियादी दोस्ती, सामरिक हित उन्हें फिर से करीब ला सकते हैं। ट्रंप साहब की नीतियों ने अमर अकबर एंथोनी को मिलाया है। लेकिन भारत साफ कर रहा है कि वो अपनी शर्तों पर खेलेगा। वहीं जैसा कि तेजस्वी भैया ने कहा था कम से कम एक बार बता तो देते रहना नहीं चाहते। अमेरिका को भी शायद समझ में आ गया है। भारत को दबाने की कोशिश उल्टी पड़ गई। समय बड़ा ताकतवर है और वही हम कहेंगे जो समय को नहीं समझता। समय समझा देता है। किसी को कमजोर समझने की कोशिश मत करो और खासतौर पर उस देश को जिसके पास 140 करोड़ की आबादी हो। सो डियर डोनल्ड ट्रंप फिलहाल आप दिलजले बने हैं। उम्मीद करते हैं कि मोहब्बत में आप सॉरी बोलेंगे। फिर से दिल वाले हो जाएंगे और इंडिया अमेरिका के रिश्ते जो हैं वो शायद वक्त के साथ थोड़े बेहतर हो जाएंगे और जो नहीं समझा उसके लिए हमने पहले भी कहा था समय उसे समझा देता है। नहीं

41 Comments

  1. Aaj bhart ki stithi her chatra Mai bahut majboot hai bharat ka cheen rooush ka saath aana ek sakaratmak kadem hai jai hind jai bharat

  2. वास्तव में अमेरिका हमेशा से दोगला रहा हे रूस हमेशा दोस्त ❤❤❤❤

  3. शुभंकर मिश्रा तू
    शुभंकर मिश्रा नहीं है
    अशुभंकर मिश्रा है 😂

  4. हमे लगा मूवी बन गए क्या ट्रंप पे 😂😂

  5. Aye wo haramzade pehle tu bolta hai trump jhuk gya ab fir se Trump ka burai kr raha hai govt se sawal kon karega lawde

Write A Comment