भगवान कृष्ण पे जो ओशव बोले हैं कुल्लू मनाली में प्रवचन माला चल रही थी सन 1970 की बात है भगवान कृष्ण की व्याख्या कर रहे थे ओशव उस किताब का नाम है कृष्ण स्मृति सब लोग सवाल पूछ रहे थे भगवान कृष्ण के बारे में और एक एक चीज की व्याख्या कर रहे थे उनके जीवन भी उसमें आ गया कृष्ण का और उनके वक्तव्य भी आ गया फिलोसोफी भी आ गई अंग्रेजी में उसका जो ट्रांसलेशन हुआ उसका नाम रखा है कृष्णा द मैन एंड ह फिलॉसफी तो उनका व्यक्तित्व और कर्तृत्व दोनों उसमें खूब विस्तार में आज तक उन पहलुओं को किसी ने चर्चा नहीं की होगी। ओशो ने पूरा समर्थन दिया और उस प्रवचन माला के दौरान ही ओशो को ख्याल आया कि भगवान कृष्ण ने जिस प्रकार का सन्यास देना चाहा था और वो समय तो नहीं हो सका लेकिन आज मैं उसको करूं और वहां से सन्यास दीक्षा की शुरुआत से।

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