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Unplugged ft. Abhinay Sir | SSC Protest 2025 Cancellations | Students were protesting against mismanagement

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Shubhankar Mishra: A journalist who navigates the spectrum from Aajtak to Zee News, now independently exploring social media journalism, with a knack for engaging political figures in insightful podcasts.

Shubhankar Mishra has been diving deep into political debates, spiritual podcasts, Cricket Podcast, Bollywood Podcast.

आप कैसे साबित करेंगे कि आप मर्द हो? आप इतना डरते क्यों हैं? मर्द होते हैं जो पहनते हैं। यह एकदम गलत बयान है। वो कौन सा दौर था भारतीय राजनीति का जहां आपको लगता है कि अच्छी राजनीति चल रही थी। राजनीति देश हित में आपने कमाल का सवाल पूछा है। 2014 के पहले के जो घोटाले थे उनसे इतने परेशान हो गए थे कि हमें मोदी जी के वादों ने ही मंत्रमुग्ध कर दिया। जिस दिन भारतीय जनता पार्टी को मौका मिलेगा एक-एक पार्टी हिंदुस्तान की वापस लाई जाएगी। हमारे डर ने, हमारी खामोशी ने, सरकार को तानाशा। सरकार की प्रायोरिटी नहीं है सरकारी नौकरी आज के दौर में। इस वजह से ये इतने सारे विवाद आने लगे हैं लगातार। हर ये देश के युवा की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। बात सिर्फ इतनी सी है। तो आप ये कह रहे हो कुल मिलाकर सब चौपट कर दिया। बिल्कुल चौपट कर दिया गया। इतना अनफेयर हो चुका है सिस्टम। आप देखें। ये लोग बोलते हैं कि अगर कोई सवाल गलत है तो आप हमें ₹100 देकर बताइए। ये सवाल गलत है। इनको लगा इससे बहुत कमाई हो रही है। तो इन्होंने एग्जाम में 100 में 16-16 सवाल गलत पूछना शुरू कर दिया। एसएससी चेयरमैन से मिलने गए। वहां पर मौजूद डायरेक्टर ने कहा यह पैसा सरकार के पास जा रहा है। इससे रोड बनती है। आप 100 सवाल गलत पूछिए। देश की सारी रोडें बना दीजिए। मोदी जी को लेकर एक ट्वीट है। अगर इंडिया वर्ल्ड कप हारी है और उसमें मोदी जी की पिक्चर सामने है और मैं लिख रहा हूं मोदी है तो मुमकिन है इसका मतलब क्या है? बट वो मिड मैच की फोटो है ना। आज आप सरकार पे काफी गुस्सा दिखा रहे हैं। तो सोशल मीडिया पर विपक्ष पर आक्रोश निकला। विपक्ष के बड़े नेता राहुल गांधी से इू सी उम्मीद नहीं करता। यह डैमेज कंट्रोल तो नहीं है। एक एजुकेशन से उतनी जल्दी इंसान उतना राइज़ नहीं कर पा रहा जितना बाकी क्षेत्रों में कर रहा है। आपकी सरकार भी इन्फ्लुएंसरर से इतनी इन्फ्लुएंस हो गई है कि सरकार के आज हर मंत्री को भी इन्फ्लुएंसरर बनना है। पढ़ाई तो तिलंडे में चली गई है। पहले चुनाव में वादे किए जाते थे। सरकार को ऐसा लगने लगा है कि अब हमें वादे करने की भी जरूरत नहीं है। इस देश में पेपर लीक क्यों होते हैं? हमारे पास एक ऑडियो आया जिसमें एक बंदा गारंटी ले रहा है कि मैं आपका प्री क्वालीफाई करा दूंगा और ₹15 लाख लगेंगे। क्या पढ़ाई से ज्यादा अब टेंशन बच्चों को इस बात की है कि सेंटर कहां मिलेगा? तारीख कब होगी? पेपर लीक होगा नहीं होगा। सेंटर खराब थे। सेंटर के बाद बहसें बंधी हुई हैं। डीजे चल रहे हैं। राहुल गांधी, अखिलेश यादव, संजय सिंह कई नेताओं का नाम मैं सुन रहा हूं जो शायद आपके प्रोटेस्ट का हिस्सा बन सकते हैं। डर नहीं लगता कि अगर ये प्रोटेस्ट में आएंगे, पॉलिटिकल स्टेटमेंट आएंगे तो आपको लेकर एक परसेप्शन बन जाएगा। ये मैंने देखा है गाड़ी का कपड़े का बड़ा तगड़ा शौक है और इस बारे में आप बात भी करते हो। 12th क्लास में एक लड़की ने मुझे यह कह दिया था कि तुम्हारे पास एक जोड़ी कपड़े हैं और बात करते हो। डर नहीं लगता। इतना सरकार के खिलाफ बोलते हो। फिर कह रहे हो गाड़ी, घोड़ा, फ्लैट ये वो एक दिन हम मोदी जी से भी ज्यादा फकीर हैं। तो जब पत्नी जी आपकी सुनती हैं कि गलत तो उसके दिल पे नाम लिख रखा था। हां ये ये आपने देखी मैंने बड़ी कमाल की लाइन लिखी आप पत्नी कितनी भी अच्छी हो लोग प्रसी को याद रखते हैं। मुझे ऐसा नहीं लगता। वो तो ठीक है। लेकिन जैसे आप कूद के बैठे अभी जो जो ये करंट आया। ये कहते हैं कि जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है। इन दिनों देश की जवानी जो है वो सड़कों पर है। प्रदर्शन कर रही है। अपने हक को मांग रही है। उनके साथ तमाम शिक्षक भी हैं और आज उन्हीं में से एक शिक्षक जिन्होंने अपनी जवानी में कई क्रांतिकारी कदम उठाए और फिलहाल बच्चों को लेकर वो क्रांति कर रहे हैं। वो हमारे साथ हैं। अभिनय जी बहुत-बहुत स्वागत है आपका। थैंक यू। थैंक यू शुभांकर। मेरे को समझ नहीं आता कि कौन से असली वाले सर हैं। वो जो मैडम बैठ तवेरा में तेरा हैप्पी बर्थडे मनाएंगे करके डांस करते हैं या वो जो सड़कों प्रदर्शन कर रहे थे और कह रहे थे कि हां अपना हक लेकर रहेंगे। नहीं नहीं देखिए एक शिक्षक जब ऑनलाइन में आए और जब हम बच्चों से इतने ज्यादा बच्चों से जुड़े क्योंकि ये सिस्टम भी तभी इसकी खामियां ज्यादा देखी और खामियां बढ़ी भी जब यह ऑनलाइन हुआ जिसको हमने डिजिटल इंडिया नाम दिया। तो हमारा फर्क बन जाता है और हमारी पढ़ाने की सार्थकता तभी है जब हम उन बच्चों की लड़ाई भी लड़ पाएं। मेरा सिर्फ यह फर्ज नहीं है कि मैं दिन के 1 लाख बच्चे पढ़ा दिए। अब वो बच्चे सड़कों पे हैं। ये काम तो सरकार भी कर रही है। 10थ पास करा दे रही है। 12th पास करा दे रही है। ग्रेजुएशन करा के फिर बोलते हैं कि आपके पास स्किल नहीं है। आपको जॉब ही नहीं मिलेगी। तो ये स्किल देना किसकी जिम्मेदारी थी? तो मेरा फर्ज ये रहता है कि मैं जिन बच्चों को पढ़ा रहा हूं। अगर उनके साथ कुछ गलत हो रहा है तो उनके हक की आवाज मैं बनूं। आप कैसे साबित करेंगे कि आप मर्द हैं? अब वो तो यह खैर मर्दानगी सोशल मीडिया पर ये बड़ा पड़ा है कि भाई हमने वर्दी पहन के छोड़ दी। उसने कहा मर्द होते तो पहने रहते पहने रहते हैं। अब लौंडे हमको मैसेज कर रहे हैं कि अभिनव सर से पूछिएगा नहीं ये कैसे साबित करें मर्दानगी? ये एकदम गलत बयान है देश में। आप बताइए पुलिस के अलावा और कौन वर्दी पहन रहा है? ये मैं पहन के पहन रहा हूं। मेरे लिए ये वर्दी है। ड्रेस बेसिकली वर्दी है। वर्दी की डेफिनेशन क्या है? अब सुभांकर के लिए वर्दी ये है कि भाई वो पूरे दिन ब्लैक ड्रेस में रहते हैं। दिस इज़ कॉल्ड वर्दी। तो वो उनका एक बड़ा खराब बयान था। बट मैंने उस बयान को इस तरीके से जस्टिफाई किया कि कई बार जब बहुत प्रेशर होता है पुलिस के ऊपर भी ऊपर प्रशासन से प्रेशर आ रहा है और हमारी लड़ाई पुलिस के खिलाफ भी नहीं है। हमारी लड़ाई सरकारी सिस्टम जो कि विफल हो रहा है। एग्जाम सिस्टम जो विफल हो रहा है, एजुकेशन सिस्टम जो अपडेट नहीं हो रहा है। इन सबके खिलाफ हमारी लड़ाई है। तो पुलिस का हमें सहयोग चाहिए और पुलिस हम चाहते हैं कि सरकार तक हमारी बात पहुंचाए। तो इसीलिए आप देखेंगे उस वीडियो में मैंने उस बात को हंस के टाल दिया। हालांकि पुलिस प्रशासन पर उसके बाद बहुत सारे सवाल खड़े हुए कि नेता लोगों के सामने झुक जाते हैं। उनकी भी मजबूरियां होती हैं। लेकिन आपको क्या लगता है कि क्यों मतलब वो पुलिस वाले का रिएक्शन आपके खिलाफ ऐसा आया? वो प्रेशर मैं मान वो भी तो तैयारी करके गया होगा कभी। हां तैयारी करके गया होगा। उनके बच्चे हमसे पढ़ रहे होंगे और तमाम देश में आप देखें अगर दिल्ली में आज हम जिस डिपार्टमेंट में चले जाए इनकम टैक्स, जीएसटी किसी थाने में तो हमारे पढ़ाए हुए बच्चे हैं वहां। क्योंकि हम उन लोगों को ही पढ़ाते हैं जो सरकार और जनता के बीच में मीडियम है, माध्यम है। हमारा पढ़ाना ही उन लोगों के लिए है। उन्हीं एग्जाम्स की तैयारी हम कराते हैं। तो प्रेशर में कई बार ऐसा होता है कि उन्होंने बिना सोचे समझे ये बात बोल दी। तो मुझे लगता है कि यह बात अगर कोई एसीपी या डीसीपी कहता है तो शायद हम लोगों को इसको इतना उठाना चाहिए। वो लोग जो रोड पे खड़े हैं, पसीने में परेशान हैं। कोई बात गलत निकल सकती है। मैंने उस चीज को इतना मुझे नहीं लगता कि वो कोई इंटेंशनली बोली गई बात है। आप लोग ऊपर एफआईआर हुई है। हां, काफी सारे शिक्षकों पे एफआईआर हुई है। मेरे ऊपर एफआईआर नहीं है। मेरे ऊपर खाली कहा गया है कि मैं सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों को बोलता हूं। और उसके पीछे सरकार की मंशा होती है कि जो लीडर है जो लीड कर रहा है उस चीज को उसको छोड़ दो। डिटेन करना भी हो तो उसको छोड़ दो। एफआईआर करनी है तो उसको छोड़ दो। तो उसके पीछे होती है कि अगर हम लीडर को ही सीधे अटैक कर देते हैं तो कोई भी आंदोलन, कोई भी प्रोटेस्ट उग्र हो जाएगा क्योंकि आवाहन तो मेरा ही था और यह लड़ाई मैं पिछले आठ साल से लड़ रहा हूं। मतलब बहुत बड़े-बड़े आंदोलन भी किए और बहुत बड़े-बड़े सुधार भी किए हैं। मैं आज ये सोचता हूं या कहता हूं कि अगर हमने उस वक्त आवाज ना उठाई होती तो सिस्टम और खराब हो गया होता। क्योंकि 2017 में इतना बड़ा प्रोटेस्ट हुआ जब पूरा पेपर लीक हुआ। सीबीआई जांच हम लेकर आए उसमें। उसके बाद 2018-19 में नई नया वेंडर आ गया। लेकिन ये लोग एक यूएफएम जैसा मामला ले आए। तो इन्होंने भी सोच लिया है कि कैसे बच्चों को कमजोर करना है। एक ऐसा प्रोसेस बना दिया है जिसमें वो बच्चा बस घूम रहा है। उस चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पा रहा। बस वो तैयारी करे जा रहा है। तैयारी करे जा रहा है। नौकरी किसको मिल रही है ये पता ही नहीं चल पा रहा है। इतना अनफेयर हो चुका है सिस्टम। आप देखें 2023 का एसएससी के एग्जाम में 810 सवाल गलत पूछे गए और रिजल्ट जारी कर दिया गया। तब जारी कर दिया गया जब यह लोग बोलते हैं कि अगर कोई सवाल गलत है तो आप हमें ₹100 देकर बताइए यह सवाल गलत है। यह लोगों से ₹100 मांगते हैं। इनको लगा इससे बहुत कमाई हो रही है। तो इन्होंने एग्जाम में 100 में 166 सवाल गलत पूछना शुरू कर दिया। यानी एक बच्चा इनको ₹1600 पे करेगा जिसके मां-बाप मजदूरी कर रहे हैं। कौन करता है सरकारी नौकरी की तैयारी? जिसके मां-बाप के पास अपनी खेती भी नहीं है। सारे बच्चे देते होंगे ₹1600। हां। हर बच्चा सबको लग रहा है कि मेरा क्यों छूट जाए। क्या पता मेरे मार्क्स ना बढ़े। 1.5 लाख बच्चे अगर प्री क्वालीफाई कर रहे हैं। एक एग्जाम में आपने 8-आ 99 सवाल गलत पूछ लिए। सोचिए कितना पैसा पहुंच रहा है। यह बात जब मैंने अभी एसएससी चेयरमैन से मिलने गए तो वहां पे मौजूद डायरेक्टर ने कहा कि ये इल्जाम आप मत लगाइए कि हम पैसा वसूल रहे हैं। यह पैसा सरकार के पास जा रहा है। इससे रोड बनती है। मैंने उनके मुंह पे कहा। आप 100 सवाल गलत पूछिए। देश की सारी रोडें बना दीजिए। पैसा कमाने के तो फिर और भी बहुत तरीके हो सकते हैं। किस-किस टीचर पे एफआईआर हुई है? राकेश यादव सर, नीतू मैम और नवीन सर हैं आरडब्ल्यूए से, आदित्य रंजन सर, विक्रमजीत सर। आप क्यों छूट गए? फिर मैं पूछना चाहता हूं। इतने ऊपर हो गई। आप क्यों बच गए? मैं क्यों बच गए? ये सरकार या सरकार के लोग ज्यादा अच्छे से बता सकते हैं। और मैंने मैं आपको एक चीज बताता हूं। पता नहीं ये खराब जाए या अच्छी जाए। मैंने इससे पहले आठ आंदोलन किए हैं। आप और सारे ऑलमोस्ट अवेलेबल हैं YouTube पे। आप देख सकते हैं कि किसी भी आंदोलन में ऐसा नहीं हुआ है कि पुलिस ने मेरे साथ मिस बिहेव किया या हाथ पकड़ लिया। मैं बहुत शांति तरीके से ही अपनी बात रखता हूं। मुझे नारेबाजी पसंद नहीं है। मैं वो आंदोलन नहीं बनाना चाहता हूं। हाय-हाय। इसीलिए आपने देखा होगा कि मैंने विपक्ष को भी कहा कि मैंने शिक्षकों को बुला के आवाहन किया है। तो आप यह मत सोचिए कि आप आएंगे। आप प्रेसिडेंट हैं। आप सेक्रेटरी हैं। कोई विपक्ष का नेता है। मैं आपको माइक दे दूंगा कि जी इसको लेट करिए। आप अपना आंदोलन खड़ा करके दिखाइए ना। अगर आप आना चाहते हैं, हमारी आवाज को बुलंद करना चाहते हैं, तो हमारे पीछे या साथ हमारे आके बैठिए। लेकिन अब तो आ रहे हैं सारे विपक्ष के नेता। हां, काफी लोग आ रहे हैं और सबने अभी अगले प्रोटेस्ट में जो हमारे पास खबर है उसमें काफी नेता आने वाले हैं। हां हां बिल्कुल बिल्कुल आने वाले हैं। लेकिन अगर उससे पहले सरकार से मंडे ट्यूसडे में बात हो जाती है और वो जो भी अभी सिस्टम की खामियां हैं उसमें वो कुछ पे भी बात करने को तैयार हैं। मानने को तैयार हैं। जैसा कि आपने चेयरमैन के भी इंटरव्यू में देखा कि उन्होंने कहा कि हम मान रहे हैं। वो हमारे चैनल पे हुआ था। हां आपके चैनल मेरे ही प्रोग्राम इन फैक्ट वो वीडियो पहली बार चला था। जी कि हम मान रहे हैं तो ये कौन सी बात है कि एक चेयरमैन ये कह दे रहा है कि हम मान रहे हैं। हमने चेयरमैन साहब को भी कहा है कि अगर आप मान रहे हैं तो आपकी कुछ साल की नौकरी आप भी हमारे साथ आकर बैठिए और सरकार से सवाल पूछिए क्योंकि आपको सिस्टम में कमियां क्यों हैं ये ज्यादा बेहतर पता है। आपके बच्चे आपको डिफेंड कर रहे हैं लेकिन सोशल मीडिया पर एक बड़ा वर्ग विपक्ष खासतौर पर ऐसा है जो कह रहा है कि आप गवर्नमेंट को लेके सॉफ्ट है। आपके पुराने ट्वीट्स को दिखा रहा है जिसमें मोदी जी को लेकर एक ट्वीट है जिसमें मोदी जी गए थे शायद मैच देखने के लिए और मोदी है तो मुमकिन है मोदी है तो मुमकिम आप यहां आठ लोग बैठे हैं ये सब बता सकते हैं कि अगर इंडिया वर्ल्ड कप हारी है हां और उसमें मोदी जी की पिक्चर सामने है और मैं लिख रहा हूं मोदी है तो मुमकिन है इसका मतलब क्या है बट वो मिड मैच की फोटो है ना तो मिड मैच की फोटो नहीं है हां मिड मैच की फोटो बीच की है लेकिन वो जो ट्वीट है वो हार के बाद हुआ है वो सारकास्टिक था कि मोदी है तो मुमकिन उसके अलावा आप देखेंगे कि कोई नहीं दिखा पाया है कोई भी ट्वीट। हां। ऐसा हो ही नहीं सकता है। मैं बता रहा हूं ना जब आपका दिल सच्चा है। मैं आज इसीलिए आपको क्या लगता है कि मुझे पॉलिटिकल पार्टियां अप्रोच नहीं करती कि आप आइए सत्ता में और इन सब चीजों को मिलके ठीक कर लेंगे। बहुत सारे ऑफर्स मेरे पास भी आते हैं। बट मैं हार्दिक पटेल नहीं बनना चाहता। मैं कन्हैया कुमार नहीं बनना चाहता कि मैं फिर इस सिस्टम के खिलाफ आवाज ना उठा सकूं। तो मेरा यह इंटेंशन नहीं है चाहे आज और मैंने जहां विपक्ष शब्द यूज किया है वह विपक्ष से लोगों ने ना आजकल सोशल मीडिया का दौर है वीडियो का कुछ भी पार्ट काट के आप जोड़ देते हो एक तरफ मैंने राहुल गांधी की बात की उसके बीच में मैंने और बातें भी की उसके बाद मैंने बोला विपक्ष की औकात नहीं है उसका मतलब लोग ये कह रहे हैं कि क्या राहुल गांधी अकेले विपक्ष हैं और किस एंगल से हैं राहुल गांधी अकेले मैंने बच्चों को देखा आपके सपोर्ट में जो आपको फॉलो करते होंगे उन्होंने आपके सपोर्ट में वीडियो बनाए कि एक वीडियो के आधार पर जज मत कीजिए लेकिन फिर भी मैं यह एक सवाल क्यों कोट कर सवाल बहुत ज्यादा आया था मेरे पास कि जब सत्ता पक्ष सवाल पूछना चाहिए था जब प्रोटेस्ट सत्ता पक्ष के खिलाफ होना चाहिए था तो सरकार या सरकार से जुड़े किसी लोगों का नाम आपने नहीं लिया विपक्ष के नेताओं का नाम ले लेकर फिर वो औकात वाला जिक्र कर दिया अरे मैंने उस मेरे जितने इंटरव्यूज हैं मैं बिना मोदी जी के शुरुआती ही नहीं करता हूं। लोग मुझे खुद कहते हैं। वहां पे बैठ के भी मैंने एक इंटरव्यू दिया है जिसमें लोग पूछ रहे हैं कि आप मोदी जी को क्यों जिम्मेदार ठहराते हैं? तो मैं हमेशा कहता हूं क्योंकि इस देश में सब कुछ मोदी जी के नेतृत्व में हो रहा है। आप रेल मंत्री का बयान सुनिए। जब वह अपना भाषण शुरू करते हैं। मोदी जी के नेतृत्व में हमने रेलवे को इतना ट्रैक पे ला दिया कि हर महीने में तीन-चार बार उतर जाती है। तो मेरी तो लड़ाई मैंने तो वीडियो जारी किया है कि यह देश एक वन मैन शो हो गया है। मोदी जी देश सही हाथों में हाथ में है लेकिन सही हाथों में नहीं है। रेल सही हाथों में नहीं है। अगर रेल की कोई समस्या है तो जहां रेल मंत्री हर बात पे यह कहता है कि मोदी जी के नेतृत्व में है तो सवाल किससे किया जाए? लोग नेतृत्व लेना तो सीखें। रेल मंत्री एट लीस्ट रेल का नेतृत्व तो ठीक करें या हर काम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में होगा। राजस्थान प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में चलेगा। मध्य प्रदेश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलेगा तो सवाल किससे पूछा जाएगा? आपको डर नहीं लगता नरेंद्र मोदी जी अमित शाह से। नहीं नहीं इसमें डर नहीं देखिए जब आप सच्चे हो और आपने कुछ भी गलत नहीं किया है तो आपको कभी डर नहीं लगेगा। और ऐसा कितनी बार हुआ है। हमने मोदी जॉब दो एक Twitter कैंपेन किया था। 70 मिलियन ट्वीट हुए थे। मैंने इनिशिएट किया था उस लड़ाई को। उसके बाद मोदी जी की एक टीम से हमें मैसेज आया था कि चाहते क्या हैं? हमने बताया कि 5 साल से आप रेलवे के बच्चों से पैसा ले बैठे हो। एग्जाम नहीं हो रहा। तो जब आप बोलते हो ना तो आप दिखते भी हो कि आप सच्चे हो। मैंने बहुत कुछ त्यागा है इन सब चीजों के लिए जो मैं आज बच्चों की लड़ाई लड़ पा रहा हूं। आप जो कह रहे हैं कि जब लोग सवाल उठाने मेरे पे भी लगे तो इतने सारे लोग जो सपोर्ट में आ जाते हैं। मेरे पास अपना कोई वीडियो एडिटर भी नहीं है आज की डेट में। मैं सिर्फ एक साधारण शिक्षक हूं जो पढ़ाता हूं। अभी भी मैंने अपने ट्वीट में कहा है कि जब मांगे मान ली जाएंगी तो आप लोग एक अच्छी राजनीति करिए। मुझे राजनीति में इंटरेस्ट नहीं है या शायद मैं कभी राजनीति में तब आऊं जब राजनीति किसी एक आदमी के नाम पे ना हो रही हो। जब राजनीति देश के हित में हो रही हो तब शायद मैं राजनीति में किस दौर में हो रहा था? राजनीति देश हित में? नहीं। अब ये आपने कमाल का सवाल पूछा है। किस देश दौर में हो रहा था? यानी कि अगर मैं आज इस बात तो खुलने वाले भी उस दौर में नहीं थे। तो क्या मैं इसके लिए भी मान लूं कि वह पार्टियां असफल थी जो खुलने वाला फोन फिर भी एक जान एक जानकारी क्योंकि आपका एक नजरिया है आपने कहा कि आप पॉलिटिक्स की तरह देखते हो वो कौन सा दौर था भारतीय राजनीति का जहां आपको लगता है कि अच्छी राजनीति चल रही थी। लेकिन इतनी बदतर नहीं थी। अगर मैं एक एग्जांपल देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी साहब का लूं। सेफ खेल दिया आपने बीजेपी वाले के नाम। नहीं नहीं मैं सेफ नहीं मैं आपको पूरी बात बताता हूं। जब वो विपक्ष से डिस्कशन उस वक्त हुआ करता था या आपने एक बयान अटल जी का यह भी सुना होगा जब वह विपक्ष में थे और उन्होंने कहा कि मुझे विदेश नीति के लिए बाहर भेजा गया था। सरकार में भी नहीं थे। यानी उस वक्त विपक्ष कोेंस दी जाती थी। तो वो तो अभी भी दी गई कि वो कह देंगे हमने शशि थरूर को भेजा। उमर अब्दुल्ला को भेजा। कहां भेजा? हां मैं मान रहा हूं। लेकिन जो विपक्ष का मेन नेता है आज आप मानसून सत्र की अगर बात देखें उसमें जितने भी डिस्कशन हो रहे हैं। राहुल गांधी जी ने सरकारी सिस्टम या जो एग्जाम सिस्टम इस पे आवाज उठाई या किसी भी चीज पे आवाज उठाई। तो आप मुझे बता दीजिए कि कौन सा ऐसा पक्ष का नेता है जो एक बात को भी यह कहता है कि नहीं नहीं आपने यह बात उठाई है। हम इस पे विचार करेंगे और इसे ठीक करने की कोशिश करेंगे। आज क्या हो रहा है? आज हम लोगों की होप क्यों टूट गई है कि आप मानसून सत्र में आवाज उठा दीजिए। आज हम लोगों ने मीडिया से भी कहना छोड़ दिया है। क्योंकि आवाज उठाना सिर्फ मकसद नहीं है कि मामला चर्चा में आ जाए। हल क्या होगा? आप देखिए मैंने 31 तारीख को हर मीडिया से सवाल किया कि आप आ गए हमारे पास। हमसे पूछते हैं यह मुद्दा है। कभी आप चेयरमैन साहब से जाकर पूछिए और हुए चेयरमैन के इंटरव्यू। तो अब ये चीजें सोचिए पॉजिटिव हो रही हैं कि लोग चेयरमैन का इंटरव्यू ले रहे हैं। अगर आज का यूथ इस तरीके से प्रेशर बनाता गया ना तो मीडिया जो बेचारी दब गई है उसको इतनी हिम्मत मिल जाएगी कि वो सीधे मोदी जी से सवाल कर पाएगी। क्योंकि हम 2014 के पहले के जो घोटाले थे उनसे इतने परेशान हो गए थे कि हमें मोदी जी के वादों ने ही मंत्रमुक्त कर दिया था और हम प्रेशर में आ के हंसते रहे। मोदी जी आए पहले वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे। एक दो इंटरव्यू करते थे। एक पत्रकार ने लिया था जहां पे बेरोजगारी की भी बात कही थी और उन्होंने कह दिया था कि बाहर समोसा बेचने वाला भी रोजगार ही है और उस पे वो पत्रकार ने हंस दिया था। अगर उस वक्त शायद इस बात को काट दिया गया होता तो मीडिया की हिम्मत रहती और प्रधानमंत्री साहब करते भी हमने ही तो उस हमारे डर ने हमारी खामोशी ने सरकार को तानाशाह बनाया मैं मानता हूं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं मोहन यादव जी उनका इंटरव्यू किया था और सरकारी नौकरी को लेकर उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने कहा सरकारी नौकरी हमारी प्राथमिकता में नहीं है। नहीं है। हम वो मॉडल डेवलप करना चाह रहे हैं जहां बच्चा एट नाइन 10थ के बाद जो करियर करना चाह रहा है वो कर ले। सरकारी नौकरी हम सबको नहीं दे सकते। इतनी बड़ी आबादी है। अब हमने उसे प्रायोरिटीज से हटा दिया है। सरकार के पहले प्रायोरिटी पे था उनकी। सरकार के तमाम नेता मंत्री से भी आप पूछेंगे तो जैसे ही आप नौकरियों का जिक्र करेंगे। वो कहते हैं कि हमने स्किल इंडिया ये वो दुनिया भर की चीजें मेक इन इंडिया शुरू होता है। किसके जरिए नौकरी दी गई? ये समोसा पकोड़े वाला भी जो जिक्र था वो उसी का कॉन्टेक्स्ट में उन्होंने किया था कि यह भी रोजगार है। अब सरकार की प्रायोरिटी नहीं है सरकारी नौकरी आज के दौर में। क्या इस वजह से यह इतने सारे विवाद आने लगे हैं लगातार हर साल? देखिए ऐसा मैं आपको पूरी सरकारी नौकरी की वजह बताता हूं। लोग समझ नहीं पाते हैं। शायद मोहन यादव जी के पास मुझे लगता है उस स्तर का दिमाग भी नहीं था कि वो इस चीज का सही जवाब दे पाते। मैं आपको देता हूं सरकारी स्कॉलर हैं आप मतलब आप ये स्टेटमेंट दे रहे हो काफी कंट्रोवर्शियल हो जाएगा। बिल्कुल नहीं होगा। ये अपने दम पे उन्होंने क्या किया है? देखिए देश की राजनीति अगर सिर्फ मोदी जी के नेतृत्व और उनके दम पे चलती रहेगी तो राजनीति का स्तर इसी तरीके से गिरता रहेगा। आप कंगना साहब के बयान देखिए मैडम के वो कहती हैं कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है। कंगना को किस स्तर पे एमपी बना दिया आपने? सिर्फ मोदी जी के नाम पे ना। अगर देश का विकास इस बात पे निर्भर करेगा कि देश का प्रधान भी मोदी जी चुनेंगे तो गांव कभी विकास नहीं कर पाएगा। तब तो गांधी जी कहते थे डीसेंट्रलाइजेशन। गांव का मुखिया अगर गांव के मुद्दों पे वोट लेके जीत के आएगा तभी उसकी जवाबदेही भी होगी। अगर मोदी जी किसी को भी गांव का मुखिया बना दे वो गांव के लोगों की बात ही नहीं सुनेगा। उसके लिए वह प्रायोरिटी पे ही नहीं है। तो मोहन यादव जी का कितना बड़ा अनुभव राजनीति में था कि उनको देश के एमपी जैसे राज्य की सत्ता सौंप दी गई। पढ़े लिखे हैं। मतलब उनके पास कई डिग्रीज है। अगर डिग्री को हम पढ़ाई का पैमाना मानते हैं तो। बिल्कुल। चलिए मैंने मान लिया डिग्री को अगर हम पढ़ाई का पैमाना मानते हैं तो उन्होंने ये बात बड़ी खराब कही है कि सरकारी नौकरी प्रायोरिटी पे नहीं है। अगर आपका रोजगार देना और इंडस्ट्री लगाना प्रायोरिटी पे हो गया तो सरकारी नौकरी अपने आप क्रिएट होगी। आपको प्रायोरिटी रखने की जरूरत नहीं है। आज एक बात बताइए अगर इस देश की जनता आधी हो जाए और आधी हो जाए तो बहुत सारी पुलिस की नौकरियों की भी जरूरत नहीं है। पुलिस किस लिए है? शासन व्यवस्था को चलाए रखने के लिए क्योंकि पॉपुलेशन ज्यादा है। जीएसटी डिपार्टमेंट की नौकरियां किस लिए हैं? ताकि जो इंडस्ट्री चल रही है उनसे ठीक तरीके से जीएसटी वसूला जाए और देश हित में लगाया जाए। इनकम टैक्स की नौकरियां किस लिए हैं कि जो लोग कमा रहे हैं उसको देखने के लिए। तो अगर आप इंडस्ट्री लगाओगे, अगर आप प्राइवेट इंडस्ट्री भी लगा रहे हो। अगर आपका फोकस उस चीज पर भी है कि बाहर से एफडीआई फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट भी हो रहा है तो सरकारी नौकरियां अपने आप क्रिएट होंगी। तो इनका जो मकसद है वो प्राइवेट नौकरियों को क्रिएट करना भी इनकी प्राथमिकता में नहीं है। सरकारी नौकरी कोई क्रिएट करने की चीज नहीं है। जरूरत होगी तब तो सरकार नौकरियों को लेगी। ये क्या कर रहे हैं? बेसिकली कॉन्ट्रैक्ट बेस पे काम करा रहे हैं। इनको लगता है कि ₹60,000 का काम अगर ₹8,000 में हो रहा है, यह देश के युवा की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। बात सिर्फ इतनी सी है। और अगर यही हालत रहे तो जो आज ब्यूरोक्रेट्स भी बैठे हैं ना, कल को यह भी कह देंगे कि हम आईएएस ऑफिसरों से भी अब 18 घंटे काम कराएंगे, 16 घंटे काम कराएंगे। उनको आवास भी नहीं देंगे। हो सकता है यह कह दें सैलरी भी आधी हो जाएगी। तो आदमी तो मजबूरी में काम करेगा। तो यह उस मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। सरकारी नौकरी इनको क्रिएट करने की जरूरत नहीं है। इन्होंने इतनी इंडस्ट्रियां बंद कर दी। लोग आज कहते हैं कि भारत पहले टेक्सटाइल का बहुत अच्छा बिजनेस करता था। लेकिन आज बांग्लादेश भारत से आगे निकल गया टेक्सटाइल में। कपड़ा बाहर से इंपोर्ट हो के आने लगा। सरकार का काम खाली इतना रह गया है कि बाहर से चीजें आ जाए। वैसे ये चाइना की चीजों का विरोध करते हैं और उस पे हमें टैक्स मिल जाए। हम बस इतना काम करेंगे। दैट्स कॉल्ड कारोबार। यह कारोबार है कि आपने टेस्ला यहां खोलने के बजाय एक कार बाहर से जो ₹ लाख की मिल रही है उस पे आपने ₹ लाख लेके कह दिया कि जी हमारे लोगों को अब 60 लाख में बेच दिए यह कारोबार है ना कि आप देश हित में कोई काम कर रहे हैं। तो आप ये कह रहे हो कुल मिलाकर सब चौपट कर दिया गया है। बिल्कुल चौपट कर दिया गया। एकदम सारी चीजें चौपट हो गई। आप मुझे बताइए अगर इतना कुछ है आज आप आवाज उठा रहे हैं। देश का नेशनल मीडिया आवाज उठा रहा है। क्या प्रधानमंत्री जी की तरफ से एक ट्वीट इस पे नहीं आ सकता था? आप लोग हैप्पी बर्थडे, हैप्पी बर्थडे खेल लेते हैं। आपको यह याद आ जाता है कि आज राजनाथ सिंह का जन्मदिन है। विश कर देता हूं। राजनाथ सिंह को यह याद आ जाता है कि जी मोदी जी ने विश किया है उनको थैंक यू लिखना है और यह बताना है देश आपके नेतृत्व में बहुत आगे जा रहा है। यह लोगों की अपनी एक दुनिया हो गई है जिसमें इनको लगता है कि देश बहुत आगे जा रहा है। इनको देश की जनता या उनके मुद्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप देखिए मोदी जी का एक बयान जिसमें वो कह रहे हैं कि आज से 10 साल पहले जो महंगाई की दर थी और जो आज महंगाई की दर है वो बहुत कम हो गई है। कल को यह भी कह देंगे कि बेरोजगारी जो 45 साल में हम लोग चिल्ला रहे हैं उच्चतम स्तर पे है। यह कहेंगे सबको रोजगार मिल रहा है। क्योंकि जो Zomato में लड़का डिलीवरी बॉय का काम कर रहा है 15 16000 कमा रहा है इनके लिए वो भी एक रोजगार है। इनके लिए वो भी रोजगार है जो कुली रेलवे स्टेशन पे सामान उठा रहा है। वो उस मां से पूछे जिसका बेटा सामान उठा के जिसकी कमर दब गई है। फ्रांस में तो नहीं है कुली। यहां मजबूरी में अगर आदमी दो वक्त की रोटी चलाने के लिए समोसे और चाट का ठेला लगा रहा है। बारिश के मौसम में वो भी नहीं लगा पा रहा है। ये उसे रोजगार कहते हैं। शर्म आनी चाहिए कि इनके तो 75 साल में भी सपने पूरे नहीं हुए। और यहां एक हुआ जिसको देश साल देश को आगे के 30 साल तक चलाना है और आप उसके सपनों की हत्या कर रहे हो। सरकार कितने साल की है? 5 साल 6 साल 4 साल प्रधानमंत्री और कितने साल सत्ता में रहेंगे? और एक युवा जिसको आगे के 30 साल के लिए देश चलाना है। फिर आप कहते हो 2047 में भारत विकसित होगा तो हमें रोड मैप दे दीजिए। आपने तो 2014 में भी बहुत बातें कही थी। तो विपक्ष से जो शिकायत थी वह यही थी कि अगर बंगाल में ममता जी की सरकार है तो वहां भी बीजेपी विपक्ष में है। तो मेरी उस विपक्ष से भी शिकायत है कि बंगाल में भर्तियां कौन सी ठीक तरीके से हो रही हैं। यूपी में समाजवादी की सरकार है तो वो भी सवाल करें और सिर्फ सवाल करना अब नहीं है। अब क्या हो गया? सवाल कर दीजिए। रील कट गई, डल गई, व्यूज आ गए। दैट्स इट। काम खत्म हो गया। मेरी तो इस चीज के भी लिए लड़ाई है कि प्रधानमंत्री जी आज गेमर्स को बुला के अवार्ड दे रहे हैं क्योंकि गेम बहुत बड़ी इंडस्ट्री है और वहां से सरकार को टैक्स से लेकर के बहुत रेवेन्यू आ रहा है। तो आगे आने वाले वक्त में ये लोग गेम खेलना कंपलसरी कर देंगे। पढ़ाई तो तिलंडे में चली गई है। आप गेम खेलेगा आपका बच्चा। YouTube पे बैठे हैं बहुत छोटे-छोटे बच्चे क्योंकि गेमर्स को प्रमोट किया जा रहा है। हर एक किलोमीटर पर ठेके खोलने जा रहे हैं। स्कूल सरकारी मर्ज किए जा रहे हैं, बंद किए जा रहे हैं। तो आप बताइए ना सरकार को तो वो काम करना अच्छा लग रहा है जहां से रेवेन्यू आ रहा है। कल को रेवेन्यू के चक्कर में दारू भी कंपलसरी कर देना। जो ना पिए उसको पुलिस उठा ले जाए। तो रेवेन्यू कहां से आ रहा है? सिर्फ सरकार का वह फोकस है। अगर एक्सपोर्ट से ज्यादा आ रहा है। बाहर से हम चीजें मंगा के यहां बेच रहे हैं। ज्यादा बन रहा है। क्यों चाइना में छठी क्लास का लड़का कैपेसिटर बना दे रहा है? और हमारे यहां छठी क्लास में ए बी सी डी सीखना मुश्किल हो जा रहा है। एजुकेशन पॉलिसी को देखें कि मेरे पिताजी ने जो किताब पढ़ी है वो मैंने पढ़ी है। क्या अपडेशन है? क्या सरकार एजुकेशन पे क्या प्रधानमंत्री जी को हम लोग कहते हैं बहुत विज़नरी हैं। विज़नरी हैं। क्या विज़न है उनका जो ये सोच रहे हैं कि ये यूथ का क्या होगा 10 साल बाद? जो बच्चा आज स्कूलों में जा रहा है, स्कूलों की जो हालत है वो क्या होगा? क्या उसको सिखाया जा रहा है? हम प्रधानमंत्री जी ने 362 करोड़ विदेश दौरे पर खर्च कर दिए। कभी उनको यह नहीं दिखा कि सिंगापुर में छठी क्लास के लड़के को पेचकस प्लास दे दिया जाता है कि स्किल डेवलप करनी है। यह भी तो सीख के आना था। पहले कि प्रधानमंत्री विदेश जाते थे तो आके बताते थे। यह हमने सीखा है। यह हम अपने देश में करेंगे। हमने इतनी कंपनियों से बात की है। यह इन्वेस्टमेंट होगी देश में। इतनी बेरोजगारी दूर होगी। आज क्या बात होती है कि प्रधानमंत्री साहब से ट्रंप ने हाथ कैसे मिलाया? पहले उसने हाथ आगे बढ़ाया नहीं बढ़ाया। बिहाइंड द सीन का गेम चल रहा है और बिहाइंड द सीन सबको पसंद होते हैं। आज 16 से ज्यादा अगर कोई यह कहे कि 16 के बिहाइंड द सीन दिखाए जाएंगे जहां पे बसंती तैयार हो रही है। रेडी विद मी तो शायद मुझे लगता है आज लोग ₹1500 की टिकट लेके भी सिनेमाघरों में चले जाएंगे। लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमें देश को क्या दिखाना है। आज मेरा बच्चा भी यह चाहता है कि उसको पूरे दिन मोबाइल चला के दिखाया जाए। मोबाइल पर वो वीडियो देखे पढ़े ना लेकिन यह मेरी अपने बच्चे के प्रति तो जिम्मेदारी है बेटा नहीं मोबाइल गलत है यह नहीं देखना है और आज चाहे वो यूथ हो चाहे प्रधानमंत्री जी जिस चीज को प्रमोट कर रहे हो वो सब क्या है उस यूथ से कोई मतलब नहीं वो हमारा बच्चा नहीं है उसे हम वो दिखाएंगे जो ज्यादा है। आज टीआरपी के गेम पर भी सरकार को लगाम कसनी चाहिए कि टीआरपी पैरामीटर नहीं होना चाहिए। आगे जाके ये चीजें भी फटेंगी। आज आप सरकार पे काफी गुस्सा दिखा रहे हैं। एक सवाल मेरे मन में आ रहा है। यह डैमेज कंट्रोल तो नहीं है जो सोशल मीडिया पर विपक्ष का पर आक्रोश निकला कि आप सरकार नहीं नहीं बहुत कम निकला है। जो सरकार पे मैं यहां पे आवाज उठा रहा हूं। इससे ज्यादा तो मैंने मैंने 2016 या 17 में पहला वीडियो बनाया था बेरोजगारी पे। तब लोग कह रहे थे मोदी जी अभी-अभी आए हैं। तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो? मैं तब से देख रहा था। मुझे लगता है कि बेरोजगारी को लेकर के मेरा विज़न ज्यादा बड़ा था साहब से कि मैं तब देख के बता दिया था। आज भी वीडियो पड़ा हुआ है और उस टाइम ऐसे वीडियो ट्रेंडिंग में भी चले जाते थे। तीन नंबर पर ट्रेंड किया था। आज तो आप कैसा भी वीडियो बना लीजिए ऐसा इतना रिपोर्ट होगा कि वो ट्रेंडिंग होगी नहीं। और मैं Twitter पे आई थिंक पहला ऐसा शिक्षक था जिसको ब्लू टिक Twitter ने दिया था और मैं आप शुरू से लेकर के अब तक के ट्वीट देख लीजिए। मैंने हमेशा सरकार से सवाल पूछा है हर एक चीज पे। बट इस देश में शिक्षा को लेकर परसेप्शन क्यों चेंज हो गए? जैसे हम लोग छोटे थे तो मुझे याद है कहते थे कि पढ़ोगे, लिखोगे, बनोगे नवाब। अब सोशल मीडिया के दौर में जो पढ़ लिख रहा बंदा है उसको अक्सर मैं Twitter पे देखता हूं खासतौर पर कि जब कोई चाय वाला या कोई TikTok पे कच्चा बादाम करते हुए एक नई गाड़ी खरीद रहा है तो लोग मजाक उड़ाते हैं कि हो गई तेरी पढ़ाई और ऐसे बहुत सारे बहुत सारे अनगिनत लोग हैं या कोई पत्थर ठोक के वीडियो बनाया वीडियो बना रहा है और उसके बाद सारे स्टार्स घूम रहा है बिल गेट्स को लेकर भी जब डॉली वाला आए तो लोगों ने कहा कि तुम पढ़ते पढ़ते रह गए तुम्हारी मुलाकात नहीं हुई देखो कहां कहां से कहां पहुंच गया? क्या वाकई में पढ़ाई लिखाई करके इंसान आज प्रैक्टिकली अगर मैं बात करूं आज के दौर में तो अपनी जिंदगी उस स्तर पर ले आ सकता है जिस स्तर पर सोशल मीडिया पर नाच गाना, पत्थर बजाना, डांस करना, कपड़े कम करना या गाली देकर पहुंचना आसान है। मैं एक-एक चीज पे दे दूं। इनमें जवाब जितनी चीजें आपने बोली हैं। जैसे पत्थर बजाने वाली बात जो है ये तो टेंपरेरी वायरलिटी है। यह तो रानू मंडल साहब की भी हुई थी। इसको मैं नहीं मानूंगा। कुछ लोग इसी चीज को क्या है परमानेंट बदल लेते हैं कि अगर उनके अंदर दम होता है तो वो इसे कंटेंट की दिशा में ले जाते हैं। आपने फिर डॉली चाय वाली की बात कर ली या फिर किसी और चाय वाली की बात कर लें तो ये कुछ ऐसे अपवाद भी होते हैं कि इंसिडेंट हुआ कि बिल गेट्स साहब आए और वो फेमस हो गया। अब मैं इस अपवाद को टारगेट बना लूं। ऐसा नहीं हो सकता। अपवाद देखिए इतिहास बनाता है। जैसे मैंने अब आप ये सोचें कि 10थ क्लास आपका एक वीडियो देखा आपने और फिर जावेद का जिक्र किया था। हां। कि मैं मैं फेमस हुआ तो मैंने अपना कम से कम मेरी किताब बिक रही बिक रही है। आज वह भी अच्छा कर रही है। उसको भी बहुत सारे सीरियल्स में काम मिल रहा है। रियलिटी शोज़ में जा रही है। एक-एक पोस्ट के स्पॉन्सर्स ले रही है। तो वो भी अच्छा कर रही है। वो भी अच्छे पैसे कमा रही है। जैसे आप कमा रहे हो। क्योंकि आपने ये कहा था। मैंने एक वीडियो आपका देख रहा था। आपने उसमें कोट एक नाम ले कोट कर दिया था। ये तब नहीं कमा रही होगी। तो हां। ऐसा हो सकता है कि तब नहीं कमा रही होगी। जब मैंने बोला होगा दो-ती साल पहले की बात होगी। तो देखिए आप फेमस हो गए। उसके बाद आप अगर अच्छा करने लगते हो तो कोई गलत नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि लोग गलत चीज करके फेमस हो गए लेकिन वो फिर अच्छा करने लगे तो ठीक है लोग उनको जान गए लेकिन ऐसे लोग बहुत कम है। मैंने वो अब बात वाली बात इसलिए कही कि आप ये कह दो कि जी सचिन तेंदुलकर 10थ फेल थे क्रिकेटर बन गए। अब बच्चा सोच रहा है कि जी मैं 10थ फेल हूंगा और मुझे क्रिकेटर बनना है। ऐसा नहीं हो सकता। प्राइमरी एजुकेशन जरूरी है। ये सब अपवाद है। 10थ फेल कितने लोग क्रिकेटर बन गए? अच्छा अगर इस देश में सारे लोग चाय वाले बन जाए तो चाय कौन पिएगा? इस देश में सारे लोग क्रिकेटर बन जाए तो कौन क्रिकेट देखेगा? मुद्दा इज दैट और फिर यह देश चलेगा कैसे? आज क्रिकेटर से जो वह कमा रहा है, सरकार की कितनी रिस्पांसिबिलिटी है, उससे जीएसटी भी वसूलना है, उससे इनकम टैक्स भी वसूलना है। हर कोई तो हर काम नहीं कर सकता ना। तो आज के यूथ को यह कहना कि तुम एंटरप्रेन्योर बनो, तुम भी चाय खोलो। आज सरकारी नौकरी की लोग इतनी तैयारी कर रहे हैं तो आसान है कि चाय बिक रही है। कल को सब चाय की दुकान खोल के बैठ जाएंगे तो कौन उनकी चाय पिएगा? और आप उस युवा हम लोग यहां बैठकर के इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठकर के यह नहीं देख पाते हैं कि एक गांव में मां-बाप जिसके पास अपना खेत भी नहीं है। दूसरे की खेती करके किस तरीके से ₹24000 जमा करता है और यह सोचता है कि इसकी कहीं नौकरी लग जाए। सरकारी किसी विभाग में छोटी-मोटी भी टैक्स असिस्टेंट भी बन जाए तो शायद घर की स्थिति बदल जाएगी। हम यहां बैठे-बैठे उस भारत को नहीं देख पाते। यहां बैठे-बैठे सोशल मीडिया पे हमें सिर्फ ये बड़े-बड़े चेहरे दिखते हैं। वो गरीबी वो शायद गांव में जाके जो हम देख पाए, महसूस कर पाए तब हमें पता चलेगा कि ऐसा नहीं है कि सब यही काम कर सकते हैं। यहां पे हर चीज की जरूरत है। यहां पे प्राइवेट इंडस्ट्री की भी जरूरत है। यहां पे सरकारी नौकरी की भी जरूरत है। सब कुछ हर एक चीज की जरूरत है। कल को कौन टैक्स वसूलेगा? सब एक्टर बने घूम रहे हैं। तो कैसे चलेगा देश? नहीं बट मैं जो सवाल मेरा कोर सवाल था कि एजुकेशन से उतनी जल्दी इंसान उतना राइज नहीं कर पा रहा जितना बाकी क्षेत्रों में कर जा रहा है। बिल्कुल तो इसका जवाब तो मैंने आपको पहले ही दिया कि एजुकेशन सिस्टम का स्तर गिर गया है। ये सरकार की जिम्मेदारी थी कि आप अच्छे स्किल डेवलप नहीं कर पाए। जैसे आज एक बच्चा जिंदगी भर खूब मेहनत करे। वो आईटी में सेलेक्ट हो जाए। जी। एक नॉर्मल इन्फ्लुएंसरर से फिर भी वो कम पैसा कमा रहा है। तो क्या ये आने वाले टाइम में उसको डीमोटिवेट नहीं करेगा एक जनरेशन को कि यार मैं इतनी मेहनत करूं। मैं बहुत टैलेंटेड हूं। मैंने कई साल तक क्लास 10थ 12th तक डेडिकेटेड रहा। मैंने तैयारी की। मैं आईटी में गया। मैंने वहां पर किया। बट मेरा पैकेज एक नॉर्मल इन्फ्लुएंसरर के पैकेज से कम जा रहा है। देखिए जो इन्फ्लुएंसरर बन रहा है उसको भी ये बात नहीं पता थी कि वो इन्फ्लुएंसरर बन जाएगा। उसने भी रिस्क लिया तो वो इन्फ्लुएंसरर बन गया। तो ये उसके हक में है कि वो ऐसा करना चाहता है। अब आप कहें कि एक बच्चे को फिफ्थ क्लास में ही अगर ये चीज सोच ली जाए कि वो इन्फ्लुएंसरर बन जाता है या वो गेम खेलना सीख जाता है। अब तो सारे मां-बाप ने पकड़ा दिया अपने बच्चों को। हां। अभी से बनाना शुरू कर दिया कि पैदा होता। उसके बाद से उसके वीडियो आने शुरू बताइए और YouTube इस YouTube इस चीज को कहां एप्रिशिएट कर रहा है? YouTube तो कह रहा है कि नहीं नहीं आप जब तक 18 साल के लिए तब तक आप गेम नहीं खेल सकते। तो लोगों ने तरीका निकाल लिया लेकिन नहीं हम अपने मां-बाप को बिठाएंगे। तो ये हमारी कहीं ना कहीं एजुकेशन सिस्टम का फेलोर है कि हम यूथ को मोटिवेट नहीं कर पा रहे एजुकेशन के लिए। यानी इस फील्ड में तो बहुत तरक्की हो गई कि पहले तो खाली एक्टर्स लोगों को फेम मिलता था। ऑनलाइन का दुनिया आई। इन्फ्लुएंसरर भी बनने लगे। सब फेमस हो गए। बट हमारा एजुकेशन सिस्टम भी अगर अपडेट हो जाता अगर यहां इंजीनियर्स को भी आज 2 लाख 4 लाख की सैलरी मिल रही होती उस तरीके की अपॉर्चुनिटी क्रिएट होती तो उनको यह इंफिनिटी फील नहीं होती। तो यह जिम्मेदारी थी सरकार की। आप देखिए आर्टिकल आई थिंक कौन सा आर्टिकल है? आर्टिकल 40 यह कहता है कि सरकार की जिम्मेदारी है राइट टू वर्क अपॉर्चुनिटी क्रिएट करना। यह सरकार की जिम्मेदारी है जो सरकार नहीं निभा रही है। क्योंकि सरकार भी इन्फ्लुएंसरर से इतनी इन्फ्लुएंस हो गई है कि सरकार के आज हर मंत्री को भी इन्फ्लुएंसरर बनना है। मजा आ रहा है सबको इसमें लेकिन हर मजा आने वाली चीज ठीक नहीं है जो जिम्मेदारी जिसको दी गई है वही उस काम को करे तो बेहतर होगा अनफॉर्चुनेटली सारे नेताओं को आज शायद यही करना है सबको यही करना है वही सबको पडकास्ट करना है पॉडकास्ट में जवाब किसी भी बात का ठीक तरीके से नहीं देना उनको ये है कि हम भी फेमस हो जाते हैं फेमस होने के लिए आप हमारे पॉडकास्ट देखिएगा कई नेताओं के साथ हां आपने मैंने देखे हैं मैंने कुछ-कुछ देखे हैं नितिन गडकरी जी का देखिएगा अरविंद केजरीवाल का देखिएगा मोहन यादव जी का देखिएगा हमने शिक्षा को लेके भी घंटों दो घंटों बातें की है। बात की है। बट वही वही है कि उन्होंने उस चीज पे मैं देखूंगा जरूर कि किस तरीके से जवाब दिया है कि क्यों इस सिस्टम की जड़े इतनी खराब हैं कि संविधान जिस चीज की परमिशन आपको देता है आर्टिकल 191 ये कहता है कि भैया आप शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जाहिर कर सकते हो। तो सरकार उसको फिर क्यों नहीं सुन रही है? क्या सरकार को नहीं पता कि अगर विरोध हो रहा है तो इसका जवाब देना चाहिए। आज की सरकार को यह लगने लगा है हम जीत कर आए तो आप हमसे सवाल नहीं कर सकते। जीत के आने का मतलब आपको 100% लोगों ने वोट दिया है? आपको तो 38 39% लोगों ने वोट दिया है। यानी 41% 61% लोगों की तो विचारधारा आपसे इत्तेफाक नहीं रखती थी ना। तो आपको समझना पड़ेगा कि आवाजें उठेंग और उसका जवाब आपको देना पड़ेगा। लेकिन सरकार ने यह सोच लिया कि हम जीत क्या आए? आपने अब लोग हमसे पूछते हैं फिर जीता कर क्यों भेजा? फिर जीता कर क्यों भेजा? अरे जीत तो समीकरणों से हो जाती है। इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा देश आपके साथ है। फेयर इनफ बल्कि आपको लेके आना पड़ेगा देश को अपने साथ कि आपने नहीं दिया था ना मुझे वोट। मैं दिखाऊंगा कि मैं आपके हक की भी लड़ाई लड़ रहा हूं। कोई ऐसा पॉलिटिशियन लगता है आपको देश में? पता नहीं उम्मीद मोदी जी से ज्यादा थी। मैं मोदी जी को समझ नहीं पा रहा हूं कि मोदी जी बहुत ज्यादा ईमानदार हैं या फिर ईमानदारी के पीछे वो बहुत बड़े एक्टर हैं। मेरी अभी तो यही सोच चल रही है। आज आप मेरी Google हिस्ट्री देखेंगे तो मैंने आज सुबह से सिर्फ यही सर्च किया कि तो मुझे चैट जीपीटी से लेके सबने अलग-अलग तरीके के आंसर दिए। मैं अभी मोदी जी के बारे में ही अपना परसेप्शन नहीं बना पा रहा हूं कि वो आदमी है कैसा कि वो आदमी एक छोटी सी चीज का भी दर्द समझ लेता है कि क्रिकेट टीम हारी है तो वो उनके इमोशंस पे भी दर्द बांटने चला जाता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है। सारे क्रिकेटर्स के पास अच्छी-अच्छी महिलाएं भी हैं उनका दर्द समझने के लिए। दूसरी चीज उनको बहुत पैसा हारने के बाद भी मिलता है। लेकिन जो युवा देश का जिसका दर्द हर जगह आप वीडियो हर जगह देख रहे हैं वो शायद उनको नहीं दिख रहा है। तो ये मुझे यही चीज नहीं समझ आती कि ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रधानमंत्री जी के पास आज तक मन की बात में कभी उन्होंने बेरोजगार या युवाओं की बात की हो। अब क्या हो गया? पहले चुनाव में वादे किए जाते थे कि हम ऐसा कर देंगे। आपने 2014 के चुनाव में देखा होगा यह कहा गया कि हम इतना डीजल पेट्रोल कम कर देंगे। बहुत सारे वादे होते थे। आज आप देखिए आज के चुनाव प्रचारों में तो अब वादों की भी जरूरत नहीं है। सरकार को ऐसा लगने लगा है कि अब हमें वादे करने की भी जरूरत नहीं है। अब तो सिर्फ हम बड़ी-बड़ी दो चार बातें कर लें, अच्छे से बोल लें, झूठ बोल लें उसी में हमें वोट मिल जाएगा। तो ये कहीं ना कहीं जनता का भी फेलोअर रहा है। बट मैं इसे फेलोअर नहीं मानता। हमने आंख बंद करके भरोसा कर लिया और बहुत दिनों तक आवाज नहीं उठाई। हमें लगा इतना पुराना सिस्टम है। शायद मोदी जी को ठीक करने में टाइम लग रहा होगा। आज तो सोशल मीडिया का दौर है। अभी आपने देखा ऑपरेशन सिंदूर हुआ तो मोदी जी सारे नेताओं के साथ बैठ के बात कर रहे थे। चर्चा कर रहे थे। क्या ऐसी चर्चाएं महीने दो महीने में एक बार सारे मुख्यंत्रियों के साथ नहीं होनी चाहिए कि आपके स्टेट में कोई आवाज उठ रही है। बंगाल में आंदोलन हो रहा है। ममता जी क्यों हो रहा है? दीदी बताइए आप। क्या शिकायत है लोगों की? यह तो प्रधानमंत्री जी का कर्तव्य है। इन सब चीजों के लिए उनके पास एकदम वक्त नहीं है। वो कभी नहीं लिखते। वो किसी दूसरे देश के प्रधानमंत्री का भी जन्मदिन उनको याद रहेगा। हर चीज होगी। अब यह आप कहोगे कि यह तो उनकी टीम करती है। उन्होंने लेकिन कहा है कि मैं खुद अकाउंट हैंडल करता हूं। कई इंटरव्यू में उन्होंने बोला है कि मैं खुद देखता हूं। कुछ करते होंगे बट लाजमी तो टीम ही करती थी। हां वही मैं तो क्या टीम की ये जिम्मेदारी नहीं है कि या उन्होंने ये टीम को कह रखा है कि देश में कुछ भी गलत हो रहा है तो मुझ तक नहीं पहुंचना चाहिए। तो अगर ऐसा बोला है तो ये भी गलत है। पॉइंट है। फेयर पॉइंट है। दो-ती साल पहले मैंने एक वीडियो बनाया था पेपर लीक पर। हम अभी भी और खबरें आती हैं। बिहार से लेकर राजस्थान हर बार आती हैं। इस देश में पेपर लीक क्यों होते हैं इतने? मैं जो समझ पाता हूं हो सकता है बहुत लोग मेरी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखेंगे कि जब किसी चीज को लेकर के इतनी ममारी हो जाए और आपको पता चले कि नौकरी नहीं मिल रही है। तो फिर लोग गलत दिशा का प्रयोग करते हैं। उनको लगता है आज बहुत सारे लोगों को आप कहते हुए सुनेंगे यार नौकरी नहीं मिल रही यार कुछ नहीं 30 लाख में बिक रही है। तो वह धीरे-धीरे करके ना चीजें कलेक्टेड होती चली गई। दो लोगों ने लिया। देखो पड़ोसी था। यह तो पढ़ता भी नहीं था। इसकी नौकरी लग गई। इसने 25 लाख दिए थे। अब मैं भी इसी राह पर आऊंगा। तो हमने उस वक्त शुरुआत के दौर में उन चीजों पे ध्यान नहीं दिया। उन चीजों को ठीक करने की कोशिश नहीं की। आज इसीलिए इस देश के युवा का इस एग्जाम सिस्टम से इतना भरोसा उठ गया है कि वो यही साधन देखता है। तो दोनों ही लोग जिम्मेदार हैं। जैसे मैं कहता हूं हमेशा एक बात कि दहेज लेना पाप है। लेकिन यह शायद तब रुकेगा जब देना भी पाप हो जाएगा। तो रिश्वत लेना पाप है लेकिन रिश्वत देना भी हो लोगों के मन में यह डर पैदा हो जाए कि जिसने दी होगी अब आप देखिए ना नीट एग्जाम में जो सबसे बड़ा सरगना था उसकी 90 दिनों में चार्जशीट फाइल नहीं हो पाई सीबीआई से इसीलिए उसको बेल मिल गई तो ऐसी चीजों से क्या है ना लोगों के अंदर डर खत्म हो रहा है कि कोई बात नहीं ऐसे लोगों को अगर सजा नहीं मिलेगी अब आप कहेंगे कि सीबीआई क्यों नहीं कर पाई अब सीबीआई कहेगी जैसे रेलवे कहता है हमारे पास लोगों की कमी है लोगों की कमी है तो आप भर्ती गलतियां क्यों नहीं कर रहे? आप बताइए कि आप उतना टैक्स नहीं वसूल पा रहे हैं। दिक्कतें हैं कहां? सरकार एक बार बताए तो सही कि सरकार इसी को तो कह रही हैं कि सरकार विफल हो रही है। अगर मेरे घर की जिम्मेदारी मेरे पिताजी के हाथ में है और मैं अगर रो रहा हूं सुबह से शाम तक और पिताजी उसको दूर नहीं कर पा रहे तो मां किसको जिम्मेदार ठहराएगी? बताइए। हम तो राजा को ही जिम्मेदार ठहराएंगे। और उसका कोई बयान भी इस चीज पे नहीं है। उनका कहना है कि नहीं देश में सब कुछ ठीक चल रहा है। तो ये इसीलिए चीजें कोलैब हो गई। पहले एक बार पेपर लीक हुआ। लोगों को लगा यार पेपर लीक होता है यार मेरा क्या होगा? पेपर कैंसिल नहीं हुआ। 2017 वाला लीक हुआ। सीबीआई जांच हुई लेकिन कैंसिल नहीं हुआ। ये अभी तक कोर्ट में ऐसे ही चलता रहा कि अब प्रोसेस बहुत लेट हो चुका है। जैसे सुप्रीम कोर्ट ने एक डिसीजन लिया कि 25 साल पुरानी शिक्षक भर्ती को कैंसिल कर दिया। मैं सुप्रीम कोर्ट के उस डिसीजन को ठीक इसलिए मानता हूं उन शिक्षकों के लिए मेरी सहानुभूति है क्योंकि उसमें बहुत सारे ऐसे भी होंगे जो सही तरीके से सेलेक्ट हुए होंगे। लेकिन उन्होंने कहा कि मेजर ऑफ द लोग गलत तरीके से आए थे सिस्टम में। आज एसएससी जैसा आयोग भी यह कहता है कि हमारे पास इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी है कि हम ये पता कर लेते हैं गलत कौन कर रहा है। तो अगर गलत कर रहा है आपने उनको क्या सजा दी। अगर आप इसी चीज को बाहर उजागर करने लगे और लोगों को 3 साल के लिए नहीं परमानेंट डिबार्ड कर दें और ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआरें भी हो और वो चीजें सोशल मीडिया के ऊपर भी आए इनकी वेबसाइट पे भी आए तो शायद लोगों के अंदर डर पैदा होगा। बट यहां पे क्या हो रहा है? हमें आपको लग रहा है कि ये चीजें बहुत छोटी हैं। सरकार को इनसे मतलब नहीं है। ये जो एजेंसियां फाइनल होती हैं, डायरेक्टर का कहना है कि ये गवर्नमेंट के रिगरस प्रोसेस से आती हैं। तो यह जो हमें यहां बैठ के लगता है कि यह 250 करोड़ का टेंडर है या 500 करोड़ का टेंडर है। यह टेंडर भी इससे कई गुना पैसा देकर के पास हो के आते हैं। क्यों बचाने पे लग जाती हैं? आप देखिए नीट का पेपर में 720, 720 मार्क्स आए। लोग सुप्रीम कोर्ट तक गए। शिक्षा मंत्री ने बिना कुछ जाने क्या बयान जारी कर दिया। कुछ भी गलत नहीं हुआ है। ये लोग क्यों बचाव में उतर आते हैं? वजह क्या है इसकी? यूपी में कांस्टेबल पेपर लीक हुआ। मुख्यमंत्री साहब, यूपी गवर्नमेंट के Twitter हैंडल से लिख दिया गया कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ है। आपको तो जनता के साथ रहना था ना। आपकी जनता सगी थी या आयोग सगे थे जो आपके लिए काम कर रहे हैं। बताइए। आप कहते थे नहीं। उसके बाद जब प्रोटेस्ट हुआ 20,000 लोग लखनऊ पहुंचे, तो यह कहा गया कि यह पूरा पेपर कैंसिल कर दिया जाता है। यानी सरकारें खुद इन आयोगों के बचाव में उतर रही हैं। अभी आप चेयरमैन के इंटरव्यू में देखिए वो कह रहे हैं कि पहली बार एग्जाम हुआ है इसलिए गड़बड़ियां हो गई। एसएससी पहली बार एग्जाम ले रहा है। पहली बार इस कंपनी ने करवाया। हमारा क्या मतलब है इससे? हमारे जवाबदे कंपनी से है क्या? आपने कभी आईआईटी का पेपर दिया है? हां। आपको पता है किस कंपनी ने लिया था? कौन वेंडर था? नहीं। पता ही नहीं है। हम लोगों को पहले वेंडर नहीं पता होता। हमें क्या मतलब? पीछे के प्रोसेस के बारे में हमें मतलब क्या है? सोचिए हमारी मजबूरी इतनी बन गई कि आज हम पीछे की जो प्रोसेस है कौन वेंडर है उसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। ये सत्ता के लिए शर्म की बात है। हमें जवाबदेही आयोग से लेनी थी। हमें बताना पड़ रहा है तुम्हारा वेंडर सही नहीं है। जिसके बारे में तो हमें पता भी नहीं होना चाहिए था। तो यह दुख का विषय है। इसीलिए मैं कहता हूं कि आज एग्जाम सिस्टम की इतनी बर्बरता और इतनी डाउनफॉल है जिस पे सरकार को सोचना चाहिए। यह हर स्टेट हर सरकार पे है। सब पे है। सब जगह यह हाल है। एडीटी पटवारी का एग्जाम लीक कर चुकी थी। अगर मुझे मालूम है कि कोई आदमी गलत कर रहा है। ये गलत किया था। 2 साल के लिए बैन हुआ था। या कोई बदमाश है उसने चोरी की थी। घरों में काम करता था। 2 साल जेल भी रह के आया। मैं कहता हूं अब नहीं है। अब इसका यह जेल से बाहर आ चुका है। मैं उसे अपने घर क्यों रखूंगा? जब किसी पे एक बार यह आरोप लग गया तो उसको तो टेंडर डालने की परमिशन ही नहीं होनी चाहिए। एक और कमाल की बात आपको बताता हूं कि टेंडर डालने के लिए लास्ट फाइव इयर्स का रेवेन्यू चाहिए होता है आपका। आप तो उस लास्ट फाइव ईयर में दो साल बैन थे। तो आपने अगर कोई भी और एग्जाम करा भी लिया तो वो लास्ट फाइव ईयर का रेवेन्यू में कैसे काउंट हो सकता है? इन सब चीजों पे भी सवाल उठ रहे हैं। और सरकार ने एक बार या आयोग ने एक बार आके ये नहीं कहा कि अगर यह एजेंसी पेपर लेने में विफल रही है तो हम इसे बदल देंगे। हमें वक्त दीजिए। बट कि सब लोग इसके फेवर में उतर आए कि ये पहली बार एग्जाम करा रही है। कौन जिम्मेदार है? हमें इससे मतलब नहीं है। और उस युवा का क्या जो आखिरी बार दे रहा है? इसके पहली बार कराने के चक्कर में उसका तो आखिरी बार है। उसके तो सपने कुचल दिए। वो बचा हुआ जीवन कैसे जिएगा जिसने अपने तीन साल इसी एग्जाम को दिए थे। इस सिस्टम को दिए थे कि अबकी बार सिलेक्शन हो जाएगा। बताइए। तो यह पहली बार दे के यह कह देना कि गड़बड़ियां हुई हैं। 2023 की गड़बड़ियां कोर्ट में लटकी रही। 2024 अभी फिर कोर्ट में चला गया। आपका हर एग्जाम कोर्ट में जा रहा है। हर बार आपके गलत सवालों की संख्या बढ़ रही है। इसका मतलब कि आप जिम्मेदार हैं। आप गलत कर रहे हैं। अब आपने इस बार कीबोर्ड और माउस में बच्चे को उलझा दिया ताकि आपको पता ही ना चले कि कहीं पेपर लीक भी हो रहा है। अब बड़ी चीजों पे तो रही नहीं। अब लड़ाई इस कदर आ गई है कि लोग यह कह रहे हैं हमें तो कीबोर्ड और माउस ही ठीक से दे दो। आप इतना मानसिक रूप से एक युवा को तोड़ दो कि वह आपसे सही कंप्यूटर या सही एग्जाम कराने की भीख मांगे। बस लीक क्या हो रहा है उसका कुछ नहीं पता। इस बार 2024 के एग्जाम में मैं आपको बताना चाहता हूं। मैंने लड़ाई लड़ी जब मुझे पता चला कि एग्जाम में ओवरएज लोगों को ले लिया गया है। मैंने वीडियो जारी की चेयरमैन तक बात पहुंचाई। चेयरमैन साहब का कहना था ऐसा हर साल होता है। यानी आपने किसी की चोरी पकड़ ली और चोरी है। कह रहा है मैं तो बहुत दिनों से चोरी कर रहा हूं। कोई दिक्कत नहीं है। हम पहले सुप्रीम कोर्ट गए। ओ हाई कोर्ट गए। हाई कोर्ट में रिट पिटीशन लगाई। उनको लगा कि मामला इतना सीरियस नहीं है। लंबी डेट मिल गई। हम कैट गए वापस और एग्जाम में बहुत कम दिन बचे थे। बीच में छुट्टियां भी थी। सम विंटर वेकेशन। कैट में पहले दिन ही हमारा इतना अच्छा यह रहा कि कोर्ट ने हमें आदेश दिया कि 525 लोग जो पिटीशनर हैं इनको आप टिएर टू एग्जाम में बिठाइए। बाद में देखेंगे कि यह एलिजिबल थे या नहीं। क्योंकि ये लोग हाई कोर्ट में यह बयान दे आए उसका हमने फायदा लिया कि हां 650 लोग गलत सिलेक्ट हो गए। हम उन्हें हटा देंगे। उस पे इनका ये कहना था कि हमने प्री में इसीलिए ज्यादा लोग लिए हैं ताकि बाद में हटा देंगे। ये क्या तरीका है? कल को तो अगर 165000 लोग ही ओवरएज आ गए तब तो किसी को नौकरी नहीं मिलेगी। ये इतने उलूल जुलूल जवाब देते हैं। इनके पास जवाब भी ठीक नहीं है। इस कदर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। तभी मैं इनको कहता हूं कि आप कुर्सी छोड़ दीजिए। आपके बस की बात नहीं है। उसके बाद रात को इनको लगा कि अब जवाब देंगे क्या? इन्होंने पूरा रिजल्ट रिवाइज किया। कट ऑफ कम हो गई। 69 और लोगों को इन्होंने कहा कि यह लोग और एग्जाम में बैठेंगे। परसों आपका एग्जाम है। आज रात को आपको पता चल रहा है। 3 महीने पहले रिजल्ट आया था कि अब मैं भी एलिजिबल हो गया हूं। उसके बावजूद भी कई सारे लोगों को नौकरी मिली है उसमें से। तो यह चीज सुकून देती है कि हमने वो लड़ाई लड़ी कोर्ट में जाके 40 से भी ज्यादा लाखों रुपए खर्च हुए। लेकिन यह हुआ कि कुछ लोगों को नौकरी भी मिली और एसएससी को भी यह समझ में आया कि आप गलत नहीं कर सकते। लेकिन इन्होंने उसके बावजूद भी उन 800 लोगों को बाहर नहीं किया। उनको भी रिजल्ट में इवैल्यूएट कर दिया जिसकी हमारी लड़ाई थी और नॉर्मलाइजेशन गलत क्वेश्चन पूछ के मार्क्स टू ऑल कर दे वहां इतनी अनफेयरनेस हुई कि एक बच्चा जो 344 नंबर ला रहा है 390 में सिलेक्शन नहीं पाता एक बच्चा जो 298 नंबर ला रहा है उसको जीएसटी इंस्पेक्टर मिल जाता है तो सोचिए ये कहां की फेयरनेस है इस देश में क्या पढ़ाई से ज्यादा आप टेंशन बच्चों को इस बात की है कि सेंटर कहां मिलेगा फिर तारीख कब होगी पेपर लीक होगा नहीं होगा क्योंकि बीते बिल्कुल 10 सालों में मुझे लगता है कि मैंने शिक्षा को लेकर केवल नेगेटिव खबरें सुनी है। जी कि सेंटर को लेकर बवाल हो। बच्चे पहुंच नहीं पाए। एग्जाम की तारीख बड़ी एंड में बताई गई। पेपर पोस्टपोंड हो गया। पेपर लीक हो गया। सेंटर पे पहुंचने के बाद क्योंकि सरकार या आयोग की मंशा इस चीज को ठीक तरीके से मैनेज करने की नहीं है। आप देखिए चुनाव कैसे मैनेज हो जाता है। आपको पता है जब चुनाव होता है तो सरकारी शिक्षकों की ड्यूटी लगती है। हां मेरी मम्मी जाती है। जाती है। बड़ी जिम्मेदारी का वाला काम है ना चुनाव लगाना। उनको पता है नौकरी चली जाएगी। थोड़ी बहुत भी गड़बड़ें हुई। वहीं क्या सरकार की जिम्मेदारी ठीक तरीके से एग्जाम कराने की नहीं है। यहां सरकारी शिक्षकों की ड्यूटी क्यों नहीं लग रही? यूपीएससी में ऐसा होता है। वहां इनविजिलेटर बनने के लिए गवर्नमेंट शिक्षक ही बनेगा। आप देखिए यहां पर कौन बन रहा है? जो लड़की पिछले साल खुद एसएससी का एग्जाम दे रही थी और Instagram पे रील बनाती है। वो इनविजिलेटर है। अंदर मोबाइल लेके जा रही है और वहां से भी रील डाल रही है। इस बार मैं इनविजिलेटर हूं। इतना बुरा एग्जाम सिस्टम हो गया है। तो सरकार का ही तो काम इसको ठीक कर। मैडम का वीडियो आपने भी देखा है। जी। तो ये मैं वही कह रहा तो यह मंशा के ऊपर है कि जब चुनाव ठीक तरीके से सफल हो सकता है जो रणनीतियां आप चुनाव में लगा रहे हैं। वह एग्जाम कराने में कह रहे हैं यूपीएससी वाले एग्जाम को लेकर प्राथमिकता है क्योंकि वहां से डायरेक्ट सरकार को शामिल होना होता है। उनके आसपास देश चला रहे हैं जी वो लोग देश चला रहे हैं। इनको उन्हीं की जरूरत है। उनको अच्छा रख रहे हैं। बाकी सब में करप्शन डाल दिया है। बस बस बस बस बहुत बड़े-बड़े घोटाले हैं। कई-कई लाख करोड़ के घोटाले हैं। कोई एजेंसी आ रही है। आप सोचिए हमारे पास एक ऑडियो आया जिसमें एक बंदा गारंटी ले रहा है कि मैं आपका प्री क्वालीफाई करा दूंगा और ₹15 लाख लगेंगे। स्टार्टिंग में आपको 2.5 लाख देने हैं। 1.5 लाख लोग प्री क्लियर करते हैं। आप सोचिए अगर 1.5 लाख लोग प्री क्लियर करते हैं तो आराम से 10 लाख लोगों से 15-15 लाख लिया जा सकता है। यह बोल के क्योंकि यही होता है। आपने सुना भी होगा बहुत सारे लोग पैसा भी दे देते हैं। उनका सिलेक्शन नहीं होता। उनको कह दिया जाता है देख उसका हुआ है ना अगली बार तेरा हो जाएगा। अगर 1.5 लाख लोगों का भला करना हो तो 10 लाख से आराम से पैसा लिया जा सकता है। तो कितना बड़ा घोटाला होगा और उसके बाद हर स्टेप पे जैसे रेलवे में आपको पता है कि इन्होंने फॉर्म भराया ₹500 फीस ली। बोला 400 वापस कर देंगे। 4 साल तक एग्जाम नहीं कराया। 52% लोग एग्जाम देने नहीं आए। 52% करोड़ों में जहां संख्या थी। कई करोड़ लोगों ने फॉर्म भरा था। उनका पैसा तो खा गए। जब आप इतने साल तक एग्जाम नहीं कराओगे तो आपको उनका पैसा वैसे ही वापस करना था। क्या पता वो ओवरएज हो गया हो। क्या पता उसकी उम्र हो गई हो। क्या पता इन तीन चार सालों में उसने भी समोसे का ठेला खोल लिया लेते हैं मेरे भाई का मुझे याद है एक साल तैयारी कर रहा था उसके एग्जाम की तैयारी ही नहीं आ रही थी आए फिर चेंज आए नीट शायद दे रहा था फिर चेंज आए फिर चेंज आए फिर चेंज आए आखिर में उसने कहीं सीडक कर लिया वही मैं कह रहा हूं तैयारी इसकी की और एग्जाम सीडक क्लियर कर लिया और वो उधर चला गया वही जबकि उसकी तैयारी किसी और चीज को लेकर मैं यही कह रहा हूं ही नहीं आ रही थी तो आप सोचिए रेलवे कमीशन ने कितना पैसा कमा लिया ये लोग सीईटी लेके आए थे आपने भी सुना होगा 4 5 साल पहले कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लेंगे सबका का आपको अलग-अलग देने की जरूरत नहीं है। इससे क्या होगा? नौकरी भी सही चीजों में जाएगी। अभी क्या होता है? आज रेलवे का हो रहा है बच्चा ने वह फॉर्म भर दिया। सीजीएल का हुआ वह फॉर्म भर दिया। उससे क्या है कि कई-कई लोगों को कई-कई नौकरियां भी मिल जा रही हैं। इसके लिए भी तो सरकार जिम्मेदार है कि आपका सिस्टम ऐसा है क्योंकि यहां कोई वेटिंग लिस्ट नहीं है। मान लेते हैं 1000 वैकेंसी 1000 लोगों को नौकरी मिली। अगर 1000 में से 900 छोड़ दें तो ऐसा नहीं है कि पीछे वाले हजार को नौकरी मिल जाएगी। तो ये सिस्टम का फेलोर है। इसी से संख्या इतनी बढ़ रही है कि हर साल आप देखेंगे कि कई-कई करोड़ लोग फॉर्म भर रहे हैं। तो ये सब व्यवस्था ठीक करना जिम्मेदारी कैसे? हम तो कहते हैं सरकार को कि आप एक एग्जाम एडवाइज़री बोर्ड बनाइए। मुझे उसका चेयरमैन बनाइए। मैं आपको राह सिखाता हूं कि कैसे इन चीजों से निपटा जा सकता है। आप कुछ करें तो सही उस दिशा में। आप वो कुछ भी पर आप लगा देंगे कि आप अपनी पर्सनल महत्वाकांक्षा के लिए कह रहे हो। हां वही मैं कह रहा हूं। नहीं बिल्कुल कह सकते हैं। बिल्कुल कह सकते हैं। तो पर्सनल महत्वाकांक्षा किसी के हित के लिए भी तो हो सकती है। अगर किसी के हित के लिए बट इतने जैसे आपने कहा 2016 से आप लोग प्रोटेस्ट कर रहे हो। मैं हर साल सुनता हूं। 13 से कर रहे हैं। 13 में किया गया पहले। मुझे बीपीएससी के छात्रों ने हजारों लाखों मैसेज किए। बिहार में था। राजस्थान के छात्र करते हैं। यूपी में शिक्षक भर्ती को लेकर लगातार मैसेजेस आते हैं। सात सात साल से नहीं आई अभी। हां। लगातार वो मैसेजेस करते हैं कि सर आवाज उठाइए। अभी रेलवे रिफॉर्म को लेकर मेरे पास लाखों मैसेजेस आ गए थे। उसके हमने भी उस पर आवाज उठाई। यह प्रोटेस्ट चल रहा है। आवाज उठ रही है। एक्स पर नंबर वन जा रहा है। ट्रेंड जा रहा है। लाखों लोग ट्वीट कर रहे हैं। रिजल्ट क्या आ रहा है? चार दिन की चर्चा फिर गायब। अब रेलवे रिफॉर्म पर इतनी चर्चा थी। क्या हुआ उसका? वही वही तो शिक्षक भर्ती पे क्या हुआ? इन्हीं सब चीजों को लेकर के ही हमने सोचा था कि हम डीओपीटी मिनिस्टर से मिलेंगे। ये एसएससी वाली प्रॉब्लम तो बहुत लेटेस्ट है कि सेंटर खराब थे। सेंटर के बाहर भैंसें बंधी हुई हैं। डीजे चल रहे हैं। खेतों में सेंटर हैं। बच्चों को सेंटर्स पे पीटा जा रहा है। एडमिट कार्ड टाइम पे नहीं आए। 500 600 कि.मी. दूर आप सेंटर दे रहे हैं। कई लोगों का अंडमान निकोबार आया। कश्मीर वालों का दिल्ली दिल्ली वालों का कश्मीर आया। यह तो एक फेलर बहुत बड़ा हो गया इसलिए इतना चर्चा में है। बट दिक्कतें तो सब जगह हैं। तो डीओपीटी मिनिस्टर से मिलने का मतलब ही ये था कि साहब आप 12 साल से इस पद पे बैठे हैं। आपका ध्यान इस तरफ क्यों नहीं है? आज सोचिए कंपनी में कोई एंप्लॉय अगर सीईओ को रिपोर्ट करता हो वो अपने आप को बहुत समझता है। यहां तो एक आदमी जो सीधे पीएम को रिपोर्ट कर रहा है। उसका एटीट्यूड क्या होगा? उसी एटीट्यूड से वो काम कर रहे हैं। वो किसी से मिलना जरूरी नहीं समझते। उनको ये सब चीजें कभी नहीं दिखती हैं कि इन सब चीजों पे आवाज उठ रही है तो जवाब देना बनता है। अगर 2023-24 में एग्जाम में गड़बड़ियां हुई हैं जिसकी वजह से बहुत सारे लोग बाहर हो गए हैं तो आपकी जिम्मेदारी ये भी है कि आप लोगों को एक मौका और दें। बट आपका सिस्टम तो ऐसा लग रहा है कि 2025 में और खराब होने वाला है। तो कैसे ठीक होगा? देखिए जो आपने कहा बिना आवाज उठे तो कुछ ठीक नहीं होगा। हमने जो आवाजें अब तक उठाई है उसमें हमने कुछ-कुछ पाया है। देश को आजादी भी एक दिन में नहीं मिल गई थी। बहुत सारे आंदोलन हुए जब आप कोई भी आंदोलन करते हैं सरकार के कानों तक आवाज जाती है। कुछ-कुछ चीजें ठीक होती हैं। तो बच्चा पढ़ाई करे आंदोलन की तैयारी करे। वही इसीलिए हमने इस बार बच्चों को नहीं बुलाया। बच्चा तो बेचारा परेशान हो गया। जिसको Twitter से कोई मतलब नहीं था। उसको Twitter पे बुला के ये कहना कि तुम ट्वीट करो। आज मैं तो कहता हूं कि इन कमीशंस को भी जब अपना एडवर्टाइजमेंट ये निकालते हैं रोजगार का उसमें लिखना चाहिए कि आपका Twitter अकाउंट होना कंपलसरी है। आपका Instagram होना कंपलसरी है। आपको रील वायरल करना आना चाहिए। आपको प्रोटेस्ट करना आना चाहिए। आपको सरकार पे आवाज उठाना आना चाहिए। यह सब चीजों की हिम्मत रखते हैं। आप एक्सपर्ट हैं तो आइए इस सिस्टम में। वरना फॉर्म लेके सन्यास ले लीजिए। और क्या है? आप बताओ Twitter पे बार-बार आवाज उठाना, चिल्लाना और फिर हमें हम खुश हो जाने लगे। इनिशियली तो यही हुआ। अच्छा इस मीडिया ने हमारी आवाज उठा ली। तो जब पहले इसी चीज से खुश हो रहे थे। अब समझ में आ रहा है नहीं यार हल चाहिए। इससे कुछ नहीं होगा कि आवाज उठ गई। मतलब ये वैसा ही था जैसे इंडिया पाकिस्तान मैच को लेकर हमने आवाज उठाई। फिर भी खेल रहे हैं वो। खेल रहे हैं। बताइए। आप एक तरफ यह कहते हैं तो आपका मैंने वही आपको कहा कि आज की राजनीति सिर्फ कारोबार कर रही है। उसको अगर यह लग रहा है कि इंडिया पाकिस्तान मैच से कई हजार करोड़ का धंधा हो सकता है तो यह नहीं टलेलेगा क्योंकि यह कई हजार करोड़ का मामला है। यह प्रॉब्लम है। हर चीज में सिर्फ धंधे की बात हो रही है कि सरकार किस तरीके से पैसा कमाए। पार्टियों के जो फंड अकाउंट हैं वो किस तरीके से ग्रो कर रहे हैं एक्सप्पोनेंशियली हो सकता है आगे आने वाले वक्त में हमें उनकी भी जानकारी ना दी जाए। राहुल गांधी, अखिलेश यादव, संजय सिंह कई नेताओं का नाम मैं सुन रहा हूं जो शायद आपके प्रोटेस्ट का हिस्सा बन सकते हैं। जी डर नहीं लगता कि अगर ये प्रोटेस्ट में आएंगे, पॉलिटिकल स्टेटमेंट आएंगे तो आप को लेकर एक परसेप्शन बन जाएगा क्योंकि बहुत सारे टीचर ऐसे भी हैं जो बीजेपी की विचारधारा से हैं। हां। और जितना मैंने सुना पढ़ा वो यह था कि वह प्रोटेस्ट में इसलिए शामिल हो रहे हैं क्योंकि बच्चे ने उम्मीद जताई और बच्चा नाराज ना हो जाए इसलिए मजबूरी में बस मजबूरी में आना पड़ रहा है वही देखिए एक शिक्षक की मुझे लगता है किसी पार्टी को लेकर के विचारधारा देखिए विचारधारा होना अलग बात है मैं सरकार का फैन नहीं हो सकता जब आप फैन हो जाते हैं तो आप मेंटली उसके गुलाम हो जाते हैं। आपको उसका गलत भी सही दिखेगा। मैं यह नहीं चाहता। मैं इतना पढ़ा लिखा हूं कि मैं किसी की भी विचारधारा का गुलाम नहीं हूं। हो सकता विचारधाराएं भी तो चेंज हो सकती हैं। मोदी जी जिस इंटेंशन के साथ आए थे कि मैं एक फकीर आदमी हूं झूला लेकर चल दूंगा। आज वही मोदी जी 10-10 लाख के सूट पहन रहे हैं ना उनकी खुद की चेंज हो गई। सब कुछ चेंज हो गया। जो स्कर्पियो में चलते थे सीएम रहते हुए आज वो करोड़ों की गाड़ियों में चल रहे हैं। मुझे इससे आपत्ति नहीं है। मैं बता रहा हूं कि विचारधारा या केजरीवाल साहब को ले लीजिए कि जो यह कहते थे कि मैं आम आदमी बन के रहना चाहता हूं तो उनके ऊपर भी आरोप लगे कि आपने ₹50 करोड़ बंगले में लगा दिए। सलूशन क्या दोगे? कैसे बचोगे फिर पॉलिटिकल चीजों से? क्योंकि अगर यह सत्ता फिर से विपक्ष हुआ ऐसा देखिए बिल्कुल भी नहीं कह रहे हैं बच्चे भी डिवाइड हो जाएंगे बच्चों में भी विचारधारा होगी बिल्कुल बिल्कुल तो हम ये बिल्कुल भी हम तो यह कह रहे हैं आप एज ए नागरिक हमारे साथ आके बैठिए ताकि सरकार को यह लगे कि इनकी आवाज बुलंद है। हम इसलिए नहीं बुला रहे हैं कि इस आंदोलन को कांग्रेस लीड कर रही है। इस आंदोलन को समाजवादी पार्टी लीड कर रही है। मैंने उसमें सत्ता पक्ष के लोगों से भी कहा है। मैं तीन एमपी सत्ता पक्ष के से भी मिला। मैंने उनसे भी गुजारिश की कि या तो आप हमारी बात मैं कल सुबह मैं अब कितने लोगों का नाम लूं कुछ का नाम नहीं ले रहा हूं लेकिन कुछ का ले रहा हूं। जैसे मैं कल महेश शर्मा से मिला डॉ. महेश शर्मा से तो मैंने उनको कहा तो उन्होंने कहा ठीक है मैं आपकी बात परसों संसद में और डीपीटी मिनिस्टर को बोलूंगा। मैंने उनको कहा कि आप हमारे साथ आकर बैठिए भी हमारी आवाज भी बनी है। देखिए अगर गलत हो रहा है तो सबको बोलना चाहिए। यह देश किसी एक के बाप की जागीर थोड़ी है। सबका है। इस डर से बाहर निकलना पड़ेगा। जो तानाशाही बढ़ी है वह ऐसा नहीं कि कोई आदमी आए और यह कहने लगे कि मैं तानाशाही बन जाऊंगा। ऐसे नहीं होता है। जब जनता का डर और खामोशी बहुत बढ़ने लगे तभी तानाशाही पनपती है। तो हमें वो चीज नहीं पनपने देनी है। अब वक्त आ गया है कि हमें गलत के खिलाफ बोलना पड़ेगा। आप बताओ ना मीडिया अब तक तो कोई भी आंदोलन होता था उसमें भी दो पक्ष रख देती थी कि ऐसा लग रहा है ये पॉलिटिकल है। अभी तक हमारी कोशिश इस चीज में सफल रही है कि मीडिया भी यही कह रही है कि शिक्षकों और छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है। आप कहीं नहीं सुनेंगे कि कोई ये कह रहा है सरकार के पक्ष की बात कर रहा है। नहीं तो ये चीज हमने हासिल की है। लगातार बोल के ये चीज हमने हासिल की। इसीलिए मैंने सवाल पूछा था वो कि जो आप विपक्ष के नेताओं को लाने वाले हैं। ऐसा तो नहीं कि उससे परसेप्शन आपका चेंज हो जाएगा। आपकी लड़ाई पीछे रह जाएगी और विपक्ष नहीं ये कोशिश ये कोशिश हमारी पूरी है कि हम यह प्रशासन चेंज नहीं करने देंगे। देखिए मैंने एक चीज अपने जीवन में ये सीखी कि अगर आप सच्चे हो जैसे आपने ट्वीट वाली बात भी कही और मैं इतने सालों से सच्चा था तो कोई कहां निकाल पाया उस एक ट्वीट के अलावा आप बताओ नहीं निकाल पाया ना? उसके अलावा आपको कहीं कुछ नहीं मिलेगा। बाकी सारे टीचर्स का तो लोग निकाल निकाल के डाल रहे हैं। दिखा रहे हैं कि ये वही शिक्षक थे जब मोदी जी पे इस तरीके की बातें कर रहे थे। मोदी जी का फैन होना कोई बुरा थोड़ी ना है। मैं खुद हूं। उन्हें तैयार होकर रहना पसंद है। मुझे भी पसंद है। वो कपड़े रिपीट नहीं करते। मुझे भी कपड़े रिपीट करना पसंद नहीं है। मुझे उनके बोलने का स्टाइल बहुत अच्छा लगता है। सब चीज है। मैं मोदी जी का फैन हूं। बट मुझे देश के प्रधानमंत्री से अपनी बात कहने का हक है। मैं उनको एज ए प्राइम मिनिस्टर और एज ए नरेंद्र मोदी दोनों अलग-अलग तरीके से देखते हैं। मैं देखता हूं कि 75 साल तक भी महत्वाकांक्षी रहा जा सकता है। आपको इतनी जल्दी हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है कि आपने कमा लिया। आप बैठ जाइए। नहीं आप बार-बार जीत कर आइए। आप बार-बार यह उम्मीद रखिए कि मैं जब तक जिंदा हूं तब तक मैं देश का लीडर बना रहा हूं। क्योंकि इससे ऊपर तो कुछ नहीं है। मोदी जी अगर आज भी एम्बिशियस हैं तो ये कमाल की बात है क्योंकि इससे ऊपर क्या है? एक आदमी सीएम बनता है। अरविंद केजरीवाल जी सीएम बने उनको उम्मीद थी यार पीएम भी बनूंगा। तो वो काम कर रहे हैं। लेकिन मोदी जी आज भी पीआर से लेकर हर चीज पे ध्यान दे रहे हैं। तो ये कमाल की बात है कि अब उनकी महत्वाकांक्षा क्या है? हम तो यह सोच रहे थे दो बार पीएम बन गए। मुझे लगा आप शायद यह सोच रहे होंगे कि मैं किसी भी पीएम से ज्यादा दिनों तक कैसे रह सकता हूं। अब तो वो भी काम पूरा हो गया कि वो एक और पीएम थी इंदिरा गांधी जी उनसे ज्यादा दिनों तक पीएमली तो सब कुछ तो हो गया जो इस एक देश में टॉप लेवल पे पहुंचने के लिए कुछ भी सोचा जा सकता है वो सब कुछ उन्होंने अचीव किया राष्ट्रपति बनना बाकी है अभी अभी राष्ट्रपति अरे नहीं हमारे देश में प्रधानमंत्री से ऊपर क्या है अब ऐसा तो नहीं होगा कि यूएस के राष्ट्रपति बना दिया जाएगा मोदी जी को अगर वो बहुत पीआर करेंगे मोदी जी आपको नहीं लगता कि हम ने और आप लोगों ने भी पीआर करना मोदी जी से बहुत सीखा है मैंने तो नहीं सीखा मैं मुझे ये चीजें नहीं पसंद लेकिन बाकी के लोगों को आप देखेंगे कि किस एंगल से कहीं जा रहे हो तो आज कोई लोग प्रोटेस्ट में भी आते हैं तो आप देखेंगे कि किस एंगल से ऐसी फोटो खिस सकती है जो इमोशनल रूप में लोगों के बीच में जाए। आज सब ये मोदी जी ने सिखाया देश को। इससे पहले लोग ऐसा नहीं सोचते थे। आज लोगों का मकसद रहता है मकसद है चर्चा में आना। मुद्दा चाहे जो भी हो। आज जो विपक्ष के लोग इसमें आपकी बिरादरी भी फेमस है। आज बिरादरी मैं कहता हूं सबसे ज्यादा है। वो लोग सबसे ज्यादा हैं। मैं अब मुझे नहीं बोलना चाहिए। इस वक्त एकदम जहां देश के सब शिक्षक साथ है बट वो तो सबसे ऊपर निकल रहे हैं। उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ दिया। मुझे लगता है कि आजकल एक हमारे नॉर्मल लोगों में परसेप्शन में लगा है कि शिक्षक के पढ़ाई वाले वीडियो छोड़ के बाकी सब कुछ बाकी सब हमको देखने को मिलता है। सही सही कह रहे हैं आप बिल्कुल किसी हर मसले पे हर विषय पे जाना उनको बोलना है। ज्ञान देना है। उनको न्यूज़ भी सुनानी है। गणित का शिक्षक है तो उसको जीएस की किताबें भी बनानी है। वो आज वो शिक्षक शिक्षक वो इन्फ्लुएंसर उसको ज्यादा पता है कच्चा बादाम में किसने नाचा सनी लोन ने कहां थी नूरा फतेह कौन सा बिलकुल बिलकुल और देखिए शिक्षक की बहुत सारी नैतिक जिम्मेदारियां भी हैं। शिक्षक के बोलने के दायरे भी हैं कि उनको किन मुद्दों पे कितना बोलना है। लेकिन वो सब चीजें आज पीछे छूट गई। मोटिवेशनल वायरलिटी का दौर है लेकिन बहुत दिनों तक नहीं चलेगा। मैं आपको बता रहा हूं। आप जब छोटे हो गए तो आप देखते होंगे कि बोरो प्लस जब करीना कपूर लगाती थी तो हम लोगों को लगता था यार मुझे ये लगा रही है। लेकिन बाद में समझ में आ गया कि यार करीना कपूर बोरो प्लस नहीं लगाती। ये तो सिर्फ ऐड है। जैसे आज कार्तिक आर्यन आप देखेंगे स्केचर के शोरूम के बाहर फोटो लगाया तो आज बहुत सारे लोगों को हमें आपको पता है कि वो स्केचर नहीं पहन रहा। लेकिन बहुत लोगों को नहीं पता और वो शायद इसलिए जा रहे हैं। विदेशों में आपको पता हो यूएस आप चले जाइए या दुबई आप चले जाइए। वहां कोई ऐसी सेलिब्रिटी नहीं है जिसकी फोटो लगी है। वहां उनको पता चल गया है। वो हमसे आगे हैं। उनको पता चल गया है कि सेलिब्रिटी के नाम पे जूता नहीं बिक सकता है। विदेशों में ऐसे ब्रांड फेमस हैं जिन पे टैग भी नहीं है कहीं। आप देख के नहीं बता सकते कपड़ा कौन सा है। आप देख के नहीं बता सकते मेरे जूते किस ब्रांड के हैं। नहीं। वो क्वालिटी पे फोकस कर रहे हैं। तो अपने देश में भी ये दौर आएगा। यह वायरलिटी इस चीज का भी बबल फटेगा और एक वक्त रह जाएगा जब सिर्फ कंटेंट की चर्चा होगी। आज गेम है टीआरपी का। मैं आगे के 10 साल की बात कर रहा हूं। ठीक है। अब मैं एसएससी और इस विषय से आगे बढ़कर थोड़ा आपकी जिंदगी को एक्सप्लोर कराता हूं अगले आधे घंटे में। अ मैंने कुछ गलत तो नहीं? नहीं नहीं बढ़िया कहा आपने। एक सवाल कई सारे सवाल जो लड़कों के आए थे। तो हमने कहा लड़कों से सवाल ही पूछ लेते हैं कि आपके पर्सनल लाइफ को लेकर ज्यादा क्वेश्चंस होंगे इसमें। एक क्वेश्चन आया था कि महाराज निक्कर पहने काहे पढ़ाते हो आप? निक्कर पहने लेकिन और निक्कर पहने भी जब पहने उसके ऊपर बेल्ट काहे लगा लेते हो? अरे अरे वो कई बार क्या है कि कैमरा की सेटिंग नहीं मेरा ये रहता है कि देखिए ऑफलाइन में पढ़ाना एक अलग चीज है। ऑनलाइन में बच्चों को क्या है बीच-बीच में हंसा देना कोई ऐसी बात के दिखाए थे अभी तो हम भी देखे फिर वो वीडियो अच्छा कि नीचे लाल चड्डा पहने थे और उस पे शर्ट में बेल्ट लगा के एक्चुअली वो तो देखो बेल्ट लगाए हुए हैं। नहीं नहीं वो देखिए वो पता है वो बिल्कुल फील नहीं आता है फिर तैयारी वाला। तो अब घर में है तो मैं हमेशा ऐसे करता हूं कि अगर मुझे शर्ट दबाऊंगा नहीं तो मुझे वो फील नहीं आएगा। तो पट पहनने का समय नहीं था। कच्छा भी टाइट कर दिए। अरे घर पे रह के ही वीडियो बनाते हैं तो मतलब कुछ तो ऐसी भी फोटो फिर आपको दिख मैं नहीं बताना चाहता यहां पे मान लो कोई लड़का कच्छा पहन के कोचिंग में चला है आपके तो उसको तो गाली दोगे आप मारोगे पटक के कि साले तुम तैयार हो के नहीं आए। लेकिन कैमरे में क्या है कि अपर बॉडी ही दिख रही है। तो कई बार जूम ज्यादा हो गया और पता चल गया कि यार निक्कर भी पहना हुआ है और ऊपर से बेल्ट भी लगाई हुई है। तो ऐसा हो जाता है। हमारे यहां भी लोग करते हैं मीडिया में। हां। हां एक बड़े फेमस जर्नलिस्ट है वो नीचे शॉट्स पहन के ऊपर ब्लज़र डाल के शूट कर लेते थे। अच्छा अच्छा हां लेकिन उस केस में पता है ब्लज़र डालने में ये है कि आपको बेल्ट लगानी पड़ेगी नहीं तो कॉन्फिडेंस आना बड़ा मुश्किल है। तो मैं कह रहा हूं उतनी देर पैंट काहे नहीं पहन लेते। वो बेल्ट तो उसके बाद उतर जाती है। फिर स्टूडियो से फिर वापस जाके नीचे हवा लगती रही थोड़ा अच्छा लगता है। फील गुड फैक्ट अच्छा लगता है। ये बात आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। एकदम ठीक है। अगला क्वेश्चन। एक रील हमने देखी। किसी लौंडे ने कहा कि सर डांस करके दिखाओ। आप उसको घर आए पहले फिर अंजली अरोड़ा नूरा फतेही का जिक्र किए लेकिन आखिर में नाच दिए नहीं मैं आपको बता रहा हूं ये रील जो है ना रील का जमाना मुझे इसीलिए डर लगता है आपको मैं बताना चाहता हूं आप अगर उसमें देखेंगे तो ड्रेस अलग होगा हां पहले आप नहीं मैंने बोला कुछ और होगा और उसके बाद वो डांस वाली कहीं और से उठाई होगी जैसे गरियाते गए थे क्या आप मैं अंजली अरोड़ा हूं कच्चा बादाम करूं ये करूं वो करूं वो करूं मैं ऐसे-ऐसे नाचूं फिर आप नाचिए बकायदा नहीं वो डांस लौंडे का और उठाया होगा डिमांड तो पूरी हो गई नहीं नहीं वो उसने वीडियो कहीं और उठाया होगा वैसे भी डांस में क्या होता है ना मैं कई बार ऐसे ये बिजली डांस करता हूं। मैं कहता हूं कि थोड़ी एनर्जी लेके आओ पढ़ाने में, पढ़ने में। तो वो उसके लिए ऐसा कर देते हैं। बचपन में नागिन डांस बहुत किए होंगे आप। नागिन डांस तो बिजली डांस ही किया है हमेशा। एक ही डांस आता है। दैट्स बिजली डांस। नाचते तो आप हो। खान सर के रिसेप्शन में देखा था हमने। किसी को पकड़ लिए थे। आपके सबसे ज्यादा वायरल वही है। अच्छा। अच्छा। हां। वो बंदा भी ये कह रहा है कि उसको पूछा गया कि आपको कितने पैसे मिले? बोले ये तो अभिनय सर बताएंगे। उसको ये लग रहा है वो मेरी शादी में आया है। नाचने का शौक है आपको? हां। अच्छा मतलब थोड़ा बहुत मैं जहां पे रहता हूं तो उस मोमेंट को एंजॉय करता हूं तो अपने आप निकल जाता है जब गाना हो वैसे ऐसे कोई स्पेशल ही नहीं है बट गाने की धुन वगैरह आती है तो निकल जाता है आप बॉयज कॉलेज में पढ़े हो ना हां बॉयज शुरू से शुरू से बॉयज कॉलेज में पढ़े बॉयज स्कूल में पढ़ने क्या नुकसान होता है कि बहुत दिनों तक आपको यही लगता है कि आप किसी लड़की से बात नहीं कर पाते आपको लगता है कि अभी आपकी औकात उतनी नहीं है आप अपने को एलिजिबल नहीं समझते हो ये सब बहुत दिक्कतें हैं बॉयज स्कूल में पढ़ने की हमें हर एक चीज बहुत बड़ी लगती है लड़की लड़की की कोई छोटी सी बात और ये लड़की हमसे कैसे शेयर कर सकती है और हम उन चीजों को बहुत बड़ा देखते हैं। तो यह बॉयज स्कूल में पढ़ने का नुकसान है। फायदा क्या होता है? फायदा यह होता है फायदा तो मुझे नहीं लगता कुछ बहुत ज्यादा होता है। बट मन में अकेले प्रेम कथा चलती है लड़कों के अकेले फिर आप ट्यूशन वगैरह में तो हम लोग जानबूझ के देख के ट्यूशन लगाते ही थे कि महिलाएं उससे मोटिवेशन आता है पढ़ने का कि पहले से पढ़ के जाएंगे सारी चीजें। सामने से बता के बोलेंगे वो देखिए कि इसको बहुत आता है। तो लड़कों का इंटेंशन तो यह रहता ही है कि वो महिलाओं को इंप्रेस बढ़ जाती है। अगर कोई स्कूल की सुंदर लड़की आके बैठ गई इस फला टीचर यहां पढ़ती है तो वहां भीड़ मैं बता रहा हूं आपको कि जब मैं कोटा गया छोटे शहरों में तो देखा है 12th के बाद जब मैं कोटा गया तैयारी करने हां तो मैंने क्या किया कि कोचिंग में पहले तो क्या होता था कि नंबर लिखा लेते थे ना जो डेमो में आ रहा है तो एक लड़की ने नंबर लिखा मैंने पीछे लिखा तो मैंने उसका नंबर अपनी आंखों में कैद कर लिया अब मैंने सोचा यार कैसे कॉल करनी है कैसे कॉल करनी है दो-तीन दिनों तो मैंने क्या किया मुझे यह भी नहीं पता था मैं जब कोटा सीधे गांव से गया बहुत हल्का शरीर था 44 किलो वजन था तो वैसे अपने आप को अनफिट समझते थे। फिर भी कहा कि नहीं जज्बात तो हैं। तो मैं अपने बालों को सेट करता था। पहले मुझे यह भी लगता था कि बाल कड़वे तेल से ही सेट किए जाते हैं। पूरा मैं ऐसे सेटवेट करके जा रहा हूं कि देख नहीं हुआ। मैंने एक दिन कॉल लगा दिया। कॉल लगा के बस खाली बोला हेलो। अब उस टाइम शायद मां-बाप भी किसी की बच्ची बाहर है तो वो ऐसे होते होंगे और वो लड़की के मां-बाप भी वहीं रह रहे थे तैयारी के साथ। तो मुझे रात को 10:00 बजे फोन आया कि तूने फोन किया था सीधे गाली गलौज। अभी वहीं आ रहा हूं जहां तू है। आप यकीन नहीं मानेंगे। मैं 3:00 बजे तक घर के सामने वाले पार्क में बैठा रहा। मुझे लगा सच में आ रहा है। तो यह होता है कि जब आप बॉय स्कूल में नहीं पढ़ते आपके अंदर इतना डर व्याप्त हो जाता है। उसके बाद मैंने कई साल तक ऐसी कोशिशें नहीं की। हम प्रेम मेरे जीवन में फिर सन 2012 में आया। सोचिए कितनी उम्र और बाद मतलब ये सब चीजें हासिल हुई। इसका 2014 के बाद आपकी पहली गर्लफ्रेंड बनी होगी। नहीं प्रेम जब 2012 में आ गया तो गर्लफ्रेंड इतनी लेट क्यों बनेगी यार? हम लोग भी जैन जी से थोड़ा ही पीछे हैं। ऐसा नहीं है कि क्योंकि अगर एक्सक्यूज मी कहने वाले को आप बात करने वाली समझ रहे हैं हां तो हमको आपके लक्षण तो नहीं लगे फिर? नहीं नहीं और ये तो 14 ही घटना थी कि मेट्रो में किसी लेकिन हम आज तक भी जो भी प्रेम प्रसंग जो हमारा शुरू हुआ है वो Facebook से ही हम कर पाए हैं। वो हमसे नहीं हुआ है। सामने से नहीं जिगरा सवाल ही नहीं उठता है। तो Facebook से ही हमारी प्रेम गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में डायलॉग था फट के फ्लावर हो जाना। हां तो मतलब वो हिम्मत हमारे साथ नहीं थी क्योंकि जब आप गांव से होते हो और आपको लगता है कि आप यह आप ऐसा कैसे हो सकते आप इसकी जिंदगी के लड़के कैसे हो सकते हो तो ये डाउट बहुत रहता है सेल्फ डाउट पहली बार मोहब्बत कब हुई तो हुई होगी वो तो अलग बात है पहली बार गर्लफ्रेंड कब बनी मोहब्बत तो बचपन से चल रही होगी मन में एक तरफा हां मतलब एक तरफा हां कि ये हमारी वाली है देखिए एक तरफा तो लड़कों के दिमाग में ऐसा चलता ही रहता ए क्लास से ही चलना शुरू हो जाता है आई थिंक और बट अगर यह कहें कि वह वाली मोहब्बत कब हुई तो 2013 में शुरुआत हो गई थी बनी कब गर्लफ्रेंड 2013 में ही मतलब कोशिशों के बहुत जल्दी रिजल्ट आ गया था तो ऐसा नहीं है कि पढ़ाने लगे थे ना उस टाइम थोड़ा तो पढ़ाने लगे थे कॉन्फिडेंस आने लगा था लोग अप्रोच करने लगे हां तो कामवाम के बारे में बात हुई तो कॉन्फिडेंस रह गया कॉन्फिडेंस आ गया कि चलिए हम आपको गणित सिखा देंगे देते हैं। उस तरीके से महाराज गणित का प्रॉब्लम सॉल्व करते-करते अपना प्रॉब्लम सॉल्व कर दिया। आप यार कमाल करते हैं। मतलब एकदम ऐसे कह देते हैं कि जो देख भी रहा हो बंदा कहेगा बताओ हमारे बारे में मजाक किया जा रहा है। तो बाकी प्रेम पे मेरी बहुत गहरी समझ है। आप प्रेम पे सवाल पूछ सकते हैं। क्या है प्रेम? चलो बता दो। प्रेम क्या है? प्रेम मुझे लग प्रेम आत्मा का निस्वार्थ समर्पण है। प्रेम में अनंत आज वाला प्रेम प्रेम नहीं। प्रेम में अनंत दया है। प्रेम में अनंत क्षमा है। प्रेम उदारता है। बहुत कुछ है प्रेम। वह आज वाला वह प्रेम नहीं है कि जहां पे हम बेहतर की तलाश में लगातार हैं। लगातार हम बेहतर की तलाश में हैं। और जैसे ही हमें मौका मिलता है हम चले जाते हैं। लड़कों के लिए प्रेम भगवान ने अलग तरीके से बना कर दिया है। लड़कियों के लिए भगवान ने प्रेम अलग तरीके से बना के दिया है। क्या फर्क है लड़का और लड़की के प्रेम में? यही सबसे बड़ा फर्क है कि लड़का ब्रेकअप लड़कों के ब्रेकअप बहुत ज्यादा होते हैं। आप सुनेंगे कि दो लड़के आपस में यही चर्चा करते रहते हैं कि ब्रेकअप हो गया। लड़कियां नहीं करती हैं। लड़कियां पूछती भी नहीं है कि तेरा ब्रेकअप हुआ। क्योंकि पूछने की नौबत ही नहीं आती है। उससे पहले वो एक रिलेशनशिप में जा चुकी होती है। लड़के को यह लगता है जब उसका दिल टूटता है तो उसका भरोसा उठता है। वो तो यह कहता है कि अब मैं शादी भी नहीं करूंगा। इस तरीके का उसका भरोसा हो जाता है। यह बेसिक डिफरेंस है। लड़कियां मूव ऑन कर लेती हैं। आज आपकी जिंदगी से एक लड़की जाएगी। हो सकता है 3 साल 3 महीने बाद सोनू की जिंदगी से गई है और मोनू की जिंदगी में एंटर किया है और उसकी लहंगे की चुन्नी पे लिखा है मोनू की दुल्हनिया और सेज डांसिंग। और आपको ऐसे लगेगा जैसे मोनू कितने सालों से इसके जीवन में है। तो यह अंतर है। लड़का की शादी अगर 3 महीने बाद कर दी जाए। पहली बात तो संभव ही नहीं है ब्रेकअप के तीन महीने बाद अगर शादी कर दो तो वह शायद बात तक ना कर पाए लड़की से तो लड़का टूट जाता है। लड़की शायद इसलिए नहीं टूट पाती क्योंकि भगवान ने उनको बनाया इस तरीके से है। लड़की प्रेम करती है। लड़का मोह करता है। लड़की जब तक आपके साथ है प्रेम है। उसको जाने के बाद आपकी फिक्र नहीं है। लड़के को यह है कि छूटना नहीं चाहिए। ये अंतर है बेसिकली दोनों। का एक फर्क ये भी हो सकता है कि लड़के कैद करके रखे जाते हैं। लड़कियां उतना कैद नहीं करती या लड़के मुंह ज्यादा मारते हैं कई जगह पर। गलतियां ज्यादा करते हैं इन कंपैरिजन। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता। समझदार कम होते हैं। नहीं देखिए वो बेचारे समझदारी दिखाते नहीं है। वो उसे खुश देखना चाहते हैं। मैं ऐसे लड़कों को भी जानता हूं जिनको पता होता है। लेकिन फिर भी ऐसे बिहेव करते हैं मुझे नहीं पता ताकि लड़की को लगे बड़ा इनोसेंट है। वो उसकी नजरों में इनोसेंट बने रहना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि लड़कों को कम समझ है। वो सब कुछ समझ रहा होता है। उसको पता होता है। एक लड़का भांप लेता है कि अब ये उसकी जिंदगी से जा रही है। के मैं पीछे की वजह जो मैं जान पाई हूं वो यह है कि जब एक लड़का लड़की एक रिलेशनशिप में आते हैं तो लड़के को ना सीरियस मोहब्बत होने में वक्त लग जाता है। वहीं लड़की पहले, दूसरे, तीसरे या चौथे दिन से इस तरीके से आपके साथ बिहेव करने लगेगी कि उसको बहुत प्यार है। वो शायद कितने सालों से आपके साथ है। लड़का उस वक्त उसको वहेंस नहीं दे पाता। यह शायद भगवान ने ऐसा मैकेनिज्म सेट करके दिया है कि लड़का उतना डूब नहीं पाता। यह प्रोसेस जब एक दो साल तक चलता है और जब लड़का धीरे-धीरे डूबता है तो प्रेम की पराकाष्ठा तब तक है मैं उसको प्रेम की पराकाष्ठा मानता हूं जब तक लड़का यह नहीं कह देता है कि अब मैं तेरे बिना जी नहीं सकता। उस दिन प्रेम खत्म हो जाता है और लड़की उस स्पीड से आपसे दूर भागती है जितनी स्पीड से तो आप दोनों पास नहीं आए थे। तो प्रेम की पराकाष्ठा वहीं तक है और यह चीज कहने में लड़के को दो-चार साल लग जाते हैं। मैं हमेशा कहता हूं प्रेम अति है। अति के बाद अंत है। हर 4 साल के बाद चीजें मरती हैं। आज डिजिटल आज टीवी मीडिया फीका पड़ गया है। बहुत सालों बाद YouTube मीडिया आ गया है। या पहले हो सकता है Facebook मीडिया आया था। Facebook का क्रेज कम हुआ। कुछ सालों में YouTube आ गया। ऐसा नहीं YouTube हमेशा चलेगा। कुछ सालों बाद ये भी खत्म होगा। कुछ और नया आएगा। तो सेम अटैक आप देख लीजिए। चार साल तक बहुत बूम किया। खत्म हो गया। अति के बाद अंत है। सेम प्रेम के साथ भी यही है। तो लड़के को फिर यह लगता है कि जो लड़की 2 साल पहले इतना कुछ कर रही थी कि इसके बिना लड़की शुरुआत से ही कह रही जी नहीं सकती। तो जब उसको फिर यह गैप जब फील होता है तो वहां पे आपको लगता है कि अब स्वतंत्रता छीन रही है। शुरुआत के 2 साल आप कभी नहीं देखेंगे कि लड़का रोक-टोक कर रहा है। वो कहती है मुझे मामा के लड़के के यहां जाना है। चली जाओ। जब लड़के को मोह होता है, प्रेम जब उसका मोह में बदलता है, जो आप स्वतंत्रता छीनने की बात कर रहे हैं, वह वह स्टेज है जब प्रेम मोह में बदल रहा होता है। मोह यही है। प्रेम यह है कि मैं चाहता हूं कि तुम आओ। लेकिन तुम तब आना जब तुम चाहो। मोह है कि मैं चाहता हूं तुम आओ। तुम्हारा मन है या नहीं है। ये स्थिति जब आती है तो लड़की फिर वो पुरानी बातें याद दिलाने करती है। शुरुआत के 2 साल में तो तुमने ध्यान नहीं दिया। वो जब उन चीजों का बदला लेना शुरू होता है व सब खत्म हो जाता है। अभिनव सर रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं। अभिनय सर अपनी एक गर्लफ्रेंड को भूल क्यों नहीं पाए? नहीं मतलब ऐसा नहीं कि भूल नहीं पाए। अभी हमने एक रील देखी तुम्हें भुलाने में शायद जमाना लगे। नहीं देखिए लड़के गाड़ी में चल रहे थे अकेले। एक रील बना ली। लाइन वही चुनी जो जज्बातों को बिल्कुल हरा कर रही थी। अच्छा नहीं देखिए लड़के इसलिए भी शायद नहीं बुला पाते हैं क्योंकि दोस्त इसके पीछे बहुत आप लड़कों की बातें नहीं कर रहे हम आपकी बात कर रहे हैं। अच्छा आप मेरी बात कर रहे हैं। नहीं मेरा एक्चुअली ब्रेकअप नहीं हुआ है। मैं आपको पहली चीज ये बताना चाहता हूं। आपका नहीं कटा। नहीं नहीं मेरा ब्रेकअप नहीं हुआ है। मैं ब्रेकअप नहीं मानता कि मेरा लाइफ में कभी ब्रेकअप हुआ है या कुछ भी ऐसा हुआ है। उसके पीछे की एक वजह भी है जो मैं लड़कों को भी सीख देना चाहता हूं कि जब ऐसा वक्त महसूस होने लगे तो यू टर्न ले लेना चाहिए। जब रिश्ते लगे कि आप अंतिम पड़ाव पर हैं तो यू टर्न ले लेना चाहिए। तो मैं हर चीज में ही चाहे वह बिजनेस हो या कोई भी चीज हो मैं और भी बहुत सारे बिजनेसेस करता हूं। मैं मुझे यू टर्न लेना आता है। तो इसलिए मैं उसे ब्रेकअप नहीं मानता। आपको क्या होता है ना कि छोड़ने में कई बार हम साथ चलने के सफर में यह भूल जाते हैं कि अकेले लौटना पड़े तो क्या होगा? तो वो चीज मेरे हमेशा दिमाग में रही कि लौटना अकेले पड़े। कुछ भी यहां परमानेंट नहीं है। तो मैंने आपको नहीं डर लगता अकेलेपन से? नहीं मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगता। आ तौर पर लड़कों का जो डर होता है रिश्ते में वो यही होता है कि अगर ये इंसान चला गया हां तो जिंदगी कैसे चलेगी? देखिए हर अकेलेपन को ना भरने के तरीके हैं। जब आप कुछ भी नहीं है और आपका ब्रेकअप हो गया तो शायद सरकारी नौकरी आपके उस अकेलेपन को भर देगी। हम सरकारी नौकरी रहते हुए आपके जीवन में ब्रेकअप हो गया तो शायद आप कोई बड़ी सरकारी नौकरी ले लें। वो आपके जीवन के अकेलेपन को भर देगी। आप मान लेते हैं ऑलरेडी एक बड़ी पोस्ट पे हैं और आपको लगता है आपका ब्रेकअप हो गया जीवन में तो शायद आप बड़े बिजनेसमैन बन जाए तो वो चीज आपकी अकेलेपन को भर देगी तो अकेलेपन को भरना पड़ता है किसी ना किसी चीज से प्रेम या करियर कुछ भी हो सकता है अगर एक चुनना प्रेम या करियर में से अगर एक ही चुनने का मौका हो तो करियर चुनना चाहिए क्यों क्योंकि प्रेम में आने के बाद करियर तिलंडे में चला जाएगा और करियर अगर चल गया तो प्रेम अपने आप झोले में आ जाएगा अपवाद तो है शाहरुख खान प्रेम प्रेम में पढ़कर करियर भी चमका ले गए। नहीं एक दो देखिए फिर वही वाली बात है। यहां हम अपवादों की बात नहीं कर सकते हैं। लेकिन मैक्सिमम अगर आप देखेंगे आज के यूथ को तो वो इस चीज में परेशान है। तो अगर करियर है तो प्रेम भी ठीक हो जाएगा। सब कुछ ठीक हो जाएगा। कहीं और दिल लग जाएगा देर सवेेर। बिल्कुल बिल्कुल बिल्कुल। प्रेम अगर आप कर भी रहे हो तो उस वक्त मोह मत करो। मोह में फंस के आप परेशान हो। कहां है? बात नहीं हुई। लड़ाई हो गई। लड़कों का रहता है। अब मुझसे बात मत करना। लड़के खुद ही इनिशिएट। अब मुझसे बात मत करना। मैं रख रहा हूं। आज के बाद बात नहीं होगी। उसके बाद क्या होता है? मैं लड़कों को सलाह देना। कभी मत कहिए ऐसा। आपको आज के बाद बात नहीं करनी है। आप ऐसे ही कह के रख दीजिए। आप जब ये कह के रख देते हैं और वो कहती है ठीक है इट्स ओके। इसी में आपके ईगो की ऐसी तैसी हो जाती है। फिर आपको लगता है अब कॉल कैसे नहीं आ रहा है। अब कॉल कैसे और आप कर नहीं सकते। आपने कह दिया आप मत करना। तो जब लड़का ये बार-बार जलील होता है ना ये चीज उसको पीछे लेके जाती है जीवन में। जब आप तैयारी कर रहे हो किसी भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की। हम उस वक्त क्या प्यार मोहब्बत इश्क में पड़ना चाहिए? क्योंकि एक सीरीज भी आई थी उसमें कहा गया था कि मुखर्जी नगर के रिश्ते मुखर्जी नगर में खत्म हो। मुझे तो लगता है कि यह सही चुनाव के ऊपर है। लड़के बहुत जल्दी में हैं। जल्दी में है तो सही प्रेम की तलाश में नहीं है। मैक्सिमम लोगों के साथ हो रहा है कि वह गलत इंसान के साथ फंस गए। तो उस केस में आपका करियर बर्बाद होना तय है। अब ये कैसे तय किया जाए? सही इंसान है या नहीं? इसकी प्रोबेबिलिटी बहुत कम है। तो इससे अच्छा अकेले रह के तैयारी की जाए। यह मेरा मानना है। क्योंकि कैरियर पीछे जाता है इन सब चीजों में। ये 100% तय है। ये चीजें आपको क्योंकि सारा कुछ खेल दिमाग से है। अगर आप मेंटली ठीक नहीं है। एक लड़के को निकलने में जमाना लग जाता है। तो मैं ये कहता हूं कि मोहब्बत उतनी करें कि संभल जाएं चले जाए। ऐसा ना हो कि दम ही निकल जाए। यही तो रील में आप भी कह रहे थे। तुम्हें भुलाने में शायद मुझे जमाने लगे। हां याद रखना किसी के लिए खराब चीज नहीं है। अगर आप किसी को याद रख रहे हैं। एकदम अब भगवान हम लोगों को हर वक्त याद रहता है। तो ऐसा नहीं कि मैं उसके साथ काम नहीं कर पा रहा हूं। आपने प्रेम में भगवान का जिक्र किया हमें पुंडरिक महाराज की बात याद आ गई। हम नहीं प्रेम उस लेवल की चीज है। प्रेम शरीर से नहीं होता। प्रेम व्यक्ति से नहीं होता। प्रेम आत्मा से नहीं होता। प्रेम सिर्फ भगवान से होता है। और जिस दिन इंसान से हो जाए उस दिन वो इंसान को भी भगवान बना देता है। बिल्कुल सही बात है। बिल्कुल सही बात है। ये तो है ही एकदम आत्माओं का मिलन है। दो आत्माओं का मिलन प्रेम है। मैं इन बातों को भी आज सत्य मानता हूं। जिनमें कहा गया है कि राधा जी अगर दूध पीती थी तो कन्हैया जी की जीभ जल जाती अगर गर्म दूध है। मैं इस बात को सत्य मानता हूं कि ऐसा बिल्कुल हुआ होगा। यह संभव है प्रेम में। बट जो बच्चों को आप पढ़ा रहे हो, मैं आपके एक्सपीरियंस से पूछना चाहता हूं कि सफलता ज्यादा किसे मिली? उन बच्चों को जिन्होंने कोचिंग सेंटर में आकर किसी के साथ प्यार करके साथ में तैयारी की या जो सिंगल रहकर तैयारी करते हैं। मतलब अगर यह कहेंगे जो सिंगल रह के करते हैं तो उनका परसेंटेज शायद ज्यादा होगा। क्योंकि इसमें ना झगड़े बहुत हैं। आप प्रेम करेंगे। अब बिरादरी में प्रेम नहीं हुआ, तो समाज का झगड़ा अब इसी चीज के लेके चल रहा है कि शादी होगी या नहीं होगी। तो यहां इतनी बाधाएं हैं जहां इतना सोच समझ के अगर प्रेम करना पड़ रहा है तो इससे अच्छा है कि पहले करियर बना लें फिर किया जाए तो बेहतर है। क्योंकि जब दो तरफ की फ्रस्ट्रेशन होती है ना जब आपको कोई छोड़ के जाता है और आपका करियर सेट है तो आप संभल जाते हैं। आपने करियर भी खो दिया और कोई छोड़कर भी चला गया आपको। आप बिल्कुल टूट जाते हैं। इतने खाली हो जाते हैं। अगर आपने इतना कुछ देखा तो आपने एक रील यह भी मेरी देखी होगी। मैंने जिसमें बोला था कि इतना खाली किसी के लिए मत करिए। इतना जज्बात, पैसा, इमोशंस किसी पे मत लगाइए कि आप अंदर से खाली हो जाए कि आपके पास किसी और को देने के लिए कुछ है ही नहीं। तभी शायद चीजें चल भी सकती हैं। ब्यूटीफुल लाइन। हां। क्योंकि टॉप के बाद तो अंत है। तो टॉप धीरे-धीरे पहुंचिए। अपने सपोर्ट क्रिएट कर करके पहुंचिए। आप स्टॉक मार्केट में देखेंगे अगर कोई स्टॉक अचानक से ऐसे भाग जाए तुरंत नीचे आ जाता है। लेकिन वो स्टॉक जब सपोर्ट क्रिएट कर करके ऊपर पहुंचता है तो अपने सपोर्ट बना के चलिए। सपोर्ट से लाइफ में मतलब है अपने दोस्त बना के चलिए। कई लोग इन सब चीजों में दोस्तों को भुला देते हैं। घर वालों को भुला देते हैं। अपने सपोर्ट अगर आप क्रिएट करते-करते प्रेम में भी ऊपर पहुंच रहे हैं तो गिरेंगे भी तो संभालने वाले लोग आपको हैं। तो सब कुछ मत दे दीजिए। जिन चीजों की शुरुआत चरम से होती है उनका अंत जल्दी होता है। अंत जल्दी होता। अति के बाद तो अंत है। एकदम ओके। टाइम मैनेजमेंट कैसे करें? सबसे बड़ी जैसे मैं जब पढ़ाई करता था तो मेरे साथ बड़ी समस्या थी कि अभी भी मुझे कई बार होती है टाइम मैनेजमेंट को लेकर। कुछ लोग बहुत अच्छा टाइम मैनेज कर लेते हैं। तो जो बच्चा तैयारी कर रहा है या आमतौर पर जिंदगी में आप एक शिक्षक हैं। टाइम मैनेजमेंट जिंदगी में कितना जरूरी है? टाइम मैनेजमेंट जिंदगी में बहुत जरूरी है। और मैं थोड़ा सा एक मिनट लूंगा इसमें बताने के लिए कि टाइम मैनेजमेंट की जरूरत आज क्यों है? या आप मेरे से ये सवाल क्यों पूछ रहे हैं? आज से 20 साल पहले तो नहीं था। माएं घर का सारा काम कर लेती थी। तीन बच्चे भी पाल लेती थी। आज की माएं एक बच्चा नहीं पाल पा रही। नैनी भी लगी हुई है। घर में खाना बनाने वाला भी है। फिर भी वह यह कहती हैं कि उनके पास टाइम नहीं है। आज एवरीवन इज बिजी विदाउट एनी वर्क। अभी मूवी का पास दे दीजिए। तुरंत निकल जाएंगे आईपीएल देखने। तुरंत मूवी देखने चले जाएंगे। टाइम मैनेजमेंट की जरूरत आज इसलिए पड़ी क्योंकि हमने जब अपनी लाइफ को आसान बनाना चालू किया। पहले हमें जाने के लिए दूर तीन-तीचार दिन लगते आज फ्लाइट है 5 मिनट में पहुंच जाते हैं। इतना सब कुछ करने के बाद लाइफ को सरल करते-करते हम इस टेक्नोलॉजी के इतने आदि हो गए कि हम इन चीजों का दुरुपयोग करना शुरू कर दें। आज हम मोबाइल का जितना दुरुपयोग कर रहे हैं अगर शायद ना करें तो हमें टाइम मैनेजमेंट में दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि जो मोबाइल हमें सिर्फ इसलिए दिया गया था कि हम अपना काम करें। एक बच्चा है उसे इसलिए दिया गया था कि वो पढ़ाई करें। लेकिन वो बाकी की चीजें बहुत ज्यादा कर रहा है। तो इसीलिए टाइम मैनेजमेंट की जरूरत पड़ रही है। तो अगर आपको टाइम मैनेजमेंट से बचना है तो आप अपने WhatsApp के नोटिफिकेशन ऑफ रखिए। ये सबसे अच्छा तरीका है। आप थोड़ा बहुत फोन से दूर भी रहिए। 3 घंटे के लिए फोन ऑफ कर दीजिए। बहुत जरूरी है। आज आधा घंटा बैठने का वक्त किसी के पास नहीं है खाली। कोई भी खाली नहीं बैठ रहा है। वाशरूम तक वो मोबाइल में ही जा रहा है। हम इतने आदि हो गए हैं। हमारा दिमाग सोशल मीडिया का इतना गुलाम बन गया है कि आज एक थंबनेल हमारी मानसिक स्थिति को बदल दे रहा है। जब आप राज सामानी के शो में विजय माल्या का पडकास्ट के थंबनेल देखते हैं। आई एम नॉट चोर तो हमें लगता है ओ यार माल्या तो चोर नहीं था। उसके दो दिन बाद जब हम ध्रुव राठी के थंबनेल को देखते हैं कि नहीं नहीं वो चोर था। ऐसे थोड़ी होता है। तो हमें अजी यार ये तो चोर था। यानी सोशल मीडिया सोचिए हमारे दिमाग पे कितना हावी है कि थंबनेल और एक रील हमारी मानसिकता को बदल दे रही है और हम क्या सोचते हैं मैक्सिमम लोग अरे मुझे सीखना है सोशल मीडिया पे इतनी सारी बातें मुझे ज्ञान लेना है देखिए बहुत ज्यादा ज्ञान भी डिसकंफर्ट करता है आप कितना ज्ञान लेंगे क्या खाली ज्ञान लेने से जीवन सुधर जाएगा देखिए दीवारों पे भी बहुत बड़ी-बड़ी बातें लिखी हैं बट दीवारें महान नहीं हो गई सासे कब से रामायण महाभारत पढ़ रही हैं लेकिन सास बहू का झगड़ा अभी भी खत्म नहीं हुआ है औरत औरत की आज भी दुश्मन है तो ज्ञान लेने से नहीं होगा इंप्लीमेंट कमेंट करना आना पड़ेगा। हम बस रील देख के भूल भी जा रहे हैं कि क्या दिया था। आज हालत है कि अगर कोई किसी काम के लिए भी फोन उठाए तो वो काम ही भूल जाता है क्या करना था। इतना हम डूब गए तो हमें मोबाइल के इस्तेमाल पे कंट्रोल करना पड़ेगा या और भी चीजें उनके इस्तेमाल पे कंट्रोल करना पड़ेगा। आज मोबाइल हमारा पेशेंस खत्म कर रहा है। आज हम कह रहे हैं ना कि बॉलीवुड मूिया क्यों नहीं चल रही? ऐसा नहीं कि वो लोग अच्छा काम नहीं कर रहे या पहले अच्छा काम करते थे। आज इसलिए नहीं चल रही क्योंकि हमारे पास पेशेंस नहीं है 3 घंटे की जाके मूवी देखने का। हम 30 सेकंड की रील में ही वो आनंद उठा ले रहे हैं। तो बात यह है हमारा पेशेंस खत्म कर दिया बिलिंग किट ने। ने हमारा पेशेंस खत्म कर दिया sविg ने। हम जबकि वो लाइफस्टाइल खराब नहीं थी। अच्छी थी। इतना भी अपडेट नहीं होना था और खैर ये साइकिल है। आप फिर वापस लौट के आएंगे वो। अभी एक बार टॉप छुएंगे फिर लौट के आएंगे। आजकल याददाश्त भी कमजोर हो गई लोगों की। इसीलिए भूल जाते हैं हम। भूल जाते हैं। उसकी वजह टाइम से ना सोना है। मोबाइल हम सोते-सोते भी यूज़ कर रहे हैं तो वो बातें दिमाग में रह जाती हैं। तो प्रॉपर स्लीप नहीं हो पाती। मैं आपको साइंटिफिक रीजन बताता हूं। 9:00 से 12 की स्लीप जो 3 घंटे की होती है रात को वो 6 घंटे के बराबर होती है। आप कभी ऐसा देखना कौन से टाइम की? 9:00 से 12 की रात को। आप कभी देखना कि गलती से आपकी 9:00 बजे आंख लग गई और आप 10:00 बजे ही जग गए। आपको ऐसा फ्रेश फील होता है आप कितने देर सो लिए। 12:00 से तीन की 3 घंटे के बराबर होती है। 3:00 से छ की सिर्फ 1ढ़ घंटे के बराबर और छ की बात की तो काउंट ही नहीं है। तो आज जो हम फिजिकली भी बट 9:00 बजे कौन सोता है आज के टाइम में? वही तो आप देखिए आज लोग परेशान भी हैं। लोग देख रहे हैं कि कैसे योगा करना चाहिए। आज कितने लोग फिजिकली मेंटली हर तरीके से अनफिट हैं। किसी को थायराइड हो रहा है। विटामिन बी की डेफिशिएंसी है। विटामिन डी की डेफिशिएंसी है। बीमारियां बढ़ रही हैं। सोचते हो आप? मेरी कोशिश तो होती है कि मैं 6:30 बजे डिनर कर लूं। और सोने में मतलब स्ट्रिक्ट रूल तो 10:00 बजे का है। बट अभी जैसे यह चीज चल रही है तो 12:00 बजे भी जा रहे हैं। बट ये मेरा नहीं है। यह पत्नी जी का है कि 10:00 बजे सोना है तो सोना है हर हाल में। जबरदस्ती मोबाइल वाइल चाहिए। भी डरते हो पत्नी से। अब जहां सही चीजें लगती है मुझे तो मैं मान लेता हूं। मेरा यह नेचर है कि सीखना चाहिए, मान लेना चाहिए। वो बहुत हेल्थ को लेकर के हेल्थ कॉन्शियस है तो मुझे लगता है कि चलो ठीक है ये तो अच्छी बात है। तो जब पत्नी जी आपकी सुनती हैं कि गलत तो उसके दिल पे नाम लिख रखा था। हां ये ये आपने देखी। मैंने बड़ी कमाल की लाइन लिखी। आप पूरे दुनिया के किसी कोने में गलत थी तो हमने उसके दिल पे नाम लिख के की थी। हम जिसे कोरी स्लेट समझते रहे उस पे ना जाने किस-किस ने लिख के मिटा रखा था। तो इस पे बेलन चप्पल नहीं पड़ते आपको। अरे बाबू वो बहुत सोशल मीडिया से दूर है तो उतना तो पता भी नहीं चल पाता कि मैं क्या कर रहा हूं। ये है ये क्यों लिखा गया था ये गलत तो उसके दिल पे नाम लिख रखा था। पता नहीं मैं एक्चुअली क्या हुआ था कि मैं एक सवाल सॉल्व कर रहा था तो मैं सवाल लिख रहा था तो कुछ गलत लिख गया था मुझसे तो एक बच्चा बोला सर आपने गलत लिख दिया। तो वहां से मेरे दिमाग में आया कि यार गलत तो उसके दिल पे नाम भी लिखा था जिसे हम कोरी स्लेट समझते रहे। उस पे ना जाने किस-किस ने लिख के मिटा रखा था। यह तो हर लड़के का मुझे लगता है कनेक्टिंग होगा। वो सोचता होगा। यह बात तो सच है। क्योंकि लिखा नाम मिटता तो नहीं है। उस पे आप लिखते रहते हो। बस ओवराइट होता है। जैसे कंप्यूटर में होता है ना तो बस वो ओवराइट होता है। फिर हमारे मन में वही सवाल आता है जो हम बार-बार पूछते रहते हैं कि पत्नी कितनी भी अच्छी हो लोग प्रसी को याद रखते हैं। नहीं पत्नी की प्रेसी बन जाती है। एक क्यों पासवर्ड बना रहते हैं एक्स गर्लफ्रेंड ही। ऐसा लगता है बट मुझे ऐसा नहीं लगता। मतलब आई एम वेरी वेरीरी हैप्पी विद माय वाइफ। वो और ऐसा नहीं है कि मैं ये यहां वो ठीक है लेकिन जैसे आप कूद के बैठे अभी जैसे गलत उसके दिल पे नाम लिख रखा था हां वो जो जो ये करंट आया यार नहीं बिल्कुल सही बात है और वो ऐसा कोई पुराना तार छेड़ दिया हम हम ये अकेला नहीं है आपका इसके अलावा भी आपने और भी कर रखा है इस बारे में तुम में सुकून अब नहीं मिलता तुम में सुकून अब नहीं मिलता नहीं देखिए एक वक्त के बाद मैंने कहा ना कि प्रेम रह जाता है जब कोई भी दो बंदे एक रिलेशन शिप से बाहर आते हैं तो बस मोह खत्म होता है। प्रेम तो रह जाता है। यहां भी कई आशिक बैठे हैं जिनके दिल टूटे हैं। मैंने बहुतों को कंधे दिए हैं। तो प्रेम तो रह जाता है। प्रेम कभी नहीं मरता है। वो जो गाने में एक लाइन है कि प्रेम कभी मरता नहीं। हम तो मर जाते हैं। ये सच बात है। प्रेम रह जाता है। मोह छूट जाता है। और प्रेम में जब मोह आ जाता है जो आपने स्वतंत्रता वाली बात कही थी ना तब प्रेम का छूट जाना तय होता है। मतलब कि आप अलग तो हो जाओगे। अब प्रेम रहेगा, मोह नहीं रहेगा। क्योंकि जैसे ही आप बांधने की कोशिश करने लगते हो। पॉसिबल नहीं है। मैं आपको एग्जांपल से समझाता हूं। प्रेम में भी दूरियां जरूरी हैं। जब हम कोशिश करते हैं कि यह हॉल के अंदर चार पिलर हैं। अगर यह एक पास आ जाएंगे तो इसकी छत का टिका रहना संभव नहीं है। आज अगर यह लड़का सोचे कि हम दोनों पैर बांध के चलेंगे एक ही दिशा में तो कैसे चल पाएंगे? लंगड़ाने लगेंगे। ये दिक्कत है। तो इतनी दूरी रहना जरूरी है। प्रेम के अंदर भी एक डिस्टेंस रहना जरूरी है। वही गाना आखिर में लगा देंगे। तुम्हें भुलाने में शायद जमाना लगे। अच्छा यह क्या नाम है? अंबानी साहब की शादी में इतना पैसा खर्चा हुआ। आपका खाली 12 ₹1300 एक हिसाब से खर्चा हुआ। अच्छा मैंने क्या कहा उस पे? हां आपने कहा कि मतलब एक तरीके से मान लो 12 ₹1300 खर्चा हुआ। हां देखिए वो दुनिया को लग रहा था बहुत पैसा खर्चा हुआ। बहुत पैसा खर्च हुआ है। लेकिन हमें देखना पड़ेगा कि जिसके पास इतने लाख करोड़ हैं हम उसने तो उतना नहीं किया ना। उसके हिसाब से तो वो 12 से ₹1300 ही हैं। उस एंगल से मैंने ये बात बोली थी कि हम कह रहे थे उसने क्यों कितना खर्च किया। अब जिसने कमाया है तो उसको खर्च करने का अधिकार है। इस पे मुझे लगता है लोगों को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। आज शायद लोग आपत्ति ना करके अपने कमाने पर ध्यान दें तो अच्छा है। आज लोग टीवी एंकर्स को भी सोचते हैं कि यह इतना मोटा पैसा कैसे ले सकता है? आज लोग शिक्षक को सोचते हैं कि यह लाख रुपए घंटे ₹ लाख घंटे कैसे ले सकता है? तो यह सोचना गलत है लोगों का कि एक कभी अमीर नहीं हो सकता या एक एंकर बहुत अमीर नहीं हो सकता या एक शिक्षक बहुत अमीर नहीं हो सकता। देश बदल रहा है। हो सकता है। मैं आपका एक वीडियो सुन रहा था। उसमें आपने कहा कि जब हम लोग छोटे थे तो घर में गरीबी थी। इतनी गरीबी थी कि रोटी चटनी के साथ खाते थे। बिल्कुल। हां। तो, यह तो वहां चटनी से खाने से अब जब गाड़ियों का शो ऑफ हर पॉडकास्ट में होता है कि आई हैव नाइन कार्स। अरे नहीं मतलब अब तो नहीं होता है। स्टार्टिंग में ही था थोड़ा। बहुत जबरदस्त फ्रॉड किए हो लेकिन अपनी गाड़ी का। इतना रील बना आपकी गाड़ियों का। इतना रील बनािय। हां। यार मैं आपको सच बता रहा हूं कि मैंने पर्सनल बहुत कम शायद ही कोई कि मेरे मेरे मेरे बच्चों को ऑटो वाली फील देने के लिए मैंने ऐसी गाड़ी खरीदी जिसमें रूफ नहीं था। हमने कहा Jio लाल। मैं मैं आपको एक बात मैं एक बात बताता हूं शायद एक पडकास्ट के अलावा आप जैसे देखेंगे कि मेरी कभी डिलीवरी की भी आपको वीडियोस या फोटो नहीं मिलेंगी क्योंकि वो ये आपको शौक है ये मैंने देखा है गाड़ी का कपड़े का बड़ा तगड़ा शौक है और इस बारे में आप बात भी करते हो हां सो आई लाइक दैट थिंग अबाउट यू कि आप दोनों चीजें आपने मेहनत की कमाया वो आपका है ठीक है बट इसके पीछे क्या लॉजिक है देखिए आप बहुत बात करते हो मतलब अपने कपड़ों के बारे में कपड़ा रिपीट नहीं करता मेरे पास इतनी गाड़ियां है नहीं देखिए यकीन बहुत सारे वो कौन थे रवींद्र नाथ टैगोर ना जिन जिनसे गांधी जी मिलने गए थे और वो मिलने नहीं आए थे। उन्होंने कहा मैं तैयार हो रहा हूं। आधा घंटा लगा दिया था तैयार होने के लिए। बहुत सारे लोगों को तैयार हो के मिलना पसंद होता है। हम तो ये उसका इंडिविजुअल है। ऐसा मुझे लगता है कि मुझे अच्छा लगता है तैयार हो के रहना। या इसलिए कि बचपन मुफिलसी भी रहा तो ये एक बड़ी वजह है। मैं आया तो उसको लग रहा है कि आप मैं जिंदगी जी। आप बिल्कुल कमाल की बात कह रहे हैं। बिल्कुल आपने बहुत सही बात कही है। 12th क्लास में एक लड़की ने मुझे ये कह दिया था कि तुम्हारे पास एक जोड़ी कपड़े हैं और बात करते हो। हमने थोड़ी सी अप्रोच करने की कोशिश की थी। और यहां पे जो एक भाई बैठा है यह मेरा कजिन है। इसी के भाई के कपड़े पहन के हमने सोचा कि अब आज इसको दिखाते हैं। रिपीट नहीं है। हमने उसके कपड़े चेंज किए। आपस में घरों में बनती नहीं है ताऊ चाचा में। वो स्कूल जा रहा था। मैंने कहा आज तुम मेरे स्कूल चलो और मुझे अपने कपड़े दे दो। खेत में हम लोगों ने कपड़े चेंज किए और मैंने कहा मैं आज ये पहन के जाऊंगा और 15 अगस्त का फंक्शन था। तो मैं उसके स्कूल में चला गया क्योंकि मेरा स्कूल दूर था। ट्यूशन वाले में कई सारे दोस्त बन गए थे। मैं उस स्कूल में चला गया। मैंने बोला आधा घंटे में आ रहा हूं। हालत ऐसी हो गई कि वो बदतमीज भाई उस स्कूल में पहुंच गया आधा घंटे के बाद। और जो रही बची इज्जत थी वो भी गुजर गई। तो उस महिला को आज बहुत अफसोस भी है। एक दिन फोन आया था कि कुछ पैसे उधार चाहिए वो भी सिर्फ 1500। तो मुझे बड़ा खराब भी लगा। मैंने कहा बताओ किस्मत वक्तव की बात है। ऐसा नहीं सोचना चाहिए। उसने ऐसे मैं रिजेक्ट कर दिया था और मुझे जैसे आप ब्लजर पहनते हैं। मुझे ब्लजर पहनने का बहुत शौक था। मैं सोचता था मेरे पास ब्लजर्स होने चाहिए यार। मैं कमाऊंगा तो मैं बहुत सारे लड़के ब्लज़र में वैसे भी अपने को ब्रेफिट समझते हैं। हां ये प्रॉब्लम है। मैंने कह रहा अभी मैं तो अब पिछले जब सब पहनने लगे तो मैंने 2 साल पहले छोड़ दिया। वरना मैंने बहुत पहने एकदम ब्लज़र ब्लजर बदलना नहीं चाहिए। ये वो फील तो आती है। फील तो आती है उसमें एकदम तो कपड़ों का शौक शायद रहा होगा। बचपन में जो आपने ये वाली बात मुफ्लसी वाली बात कही है। ये आपने एकदम सही कही है। शायद इस वजह से ऐसा लगता है कि यार वक्त मुझे बड़ा अच्छा लगा। मैंने कहा कि बच्चों को गाड़ी में थोड़ा फोबिया होता है। तो मैंने कहा ऑटो वाला फील देने के लिए एक करोड़ों की गाड़ी खरीदते हैं। हमने कहा Jio ये होते हैं अमीरों के शौक। अरे नहीं नहीं मतलब ये है कि सब लोगों का वैसे मैं आपको एक बात आपके पॉडकास्ट के माध्यम से ही बताना चाहता हूं क्योंकि बहुत सारे इंटेलेक्चुअल लोग देखेंगे कि अगर कोई यह सोच रहा है कि मैं एजुकेशन से पैसा कमाता हूं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आज तक किसी बच्चे ने मुझे यह कह दिया कि ₹1 फीस है तो मैं ₹1 में पढ़ाया और मुझे खुद देख के लग गया कि इसने फीस गलत दे दी। यह तो बहुत गरीब है। तो मैंने उसकी फीस को वापस कर दिया। मुझे भगवान ने बाकी के रास्तों से पैसा बख्शा है। मैं ऐसी कंपनियों के साथ जुड़ा जिनके पास फंडिंग आई तो उन्होंने मुझे बहुत पैसा दिया। विदेशी पैसा भले ही वो आज किन्ही भी हालातों में है लेकिन उस वक्त उन्होंने दे दिया। तो मुझे भगवान की दया से पैसा मिला है। मैंने ऐसा नहीं है कि डायरेक्ट कोई अपनी कंपनी थिंक इट्स अ इंस्पिरेशन आल्सो जैसे मैं जयसवाल को देख रहा था। यशस्वी जैसवाल क्रिकेट की दुनिया में गया। वो आजाद मैदान में रहता था। मां-बाप से दूर हो गया। आपने उनके कोच का मैंने इंटरव्यू किया तो उनके वो तबेले में रहा था। पानी पूरी वाली स्टोरी तो उसकी फर्जी है। वो फर्जी स्टोरी है। अच्छा वो असली स्टोरी नहीं है। वर्जी स्टोरी है। वो तो कोई और चाचा खड़े थे। फोटो खाली खींच गई थी। बट वो तबेले में रहा। वो आजाद मैदान में खेलता था। वहीं बाहर काम करता था तबेले में। और वहां से निकलने के लिए किया तो अगर खर्च कर रहा है तो वो इंस्पिरेशन है। बिल्कुल सही बात है। लेकिन हमारे वाले में क्या होता है ना कि हमारे में स्टूडेंट्स हैं तो लोगों को कहीं ना कहीं ये लगने लगता है कि आपने विद्यार्थियों का पैसा लिया क्योंकि सच बात भी है कि शिक्षा में पैसे की बात नहीं होनी चाहिए। शिक्षा में डिस्काउंट की बात नहीं होनी चाहिए। ये सब चीजें एक विद्यार्थी और शिक्षक के बीच में शोभा नहीं देती। चलो इसी सवाल पूछता हूं मैं। मुखर्जी नगर मार्केट के बारे में बताओ। क्योंकि वहां भी सेल लगती है। सेल सेल सेल कितना बुरा हाल हो गया। तो दुख लगता है मुझे तो मैंने इस पे एक मुखर्जी नगर मसला करके एक फिल्म ही बनाई थी 15 मिनट की और मैं अभी मुखर्जी नगर मसला पार्ट टू भी बनाना चाहता हूं जहां पे दिखाऊं तो एजुकेशन का स्तर और शिक्षकों का स्तर इतना तो चला ही गया है कि हम लोगों ने एक भिंडी बाजार जिसको कहते हैं वो बना दिया है कि ₹100 ₹400 ₹300 ये लो कॉल आ रही है मतलब फोमो क्रिएट करके bleरो मिलेगी स्कर्पियो मिलेगी फोमो क्रिएट करके आज के यूथ को ठगा जा रहा है बेसिकली कोई गरीबी बेच रहा है और कोई यह कोशिश कर रहा है कि अगर हम हर जगह दिमाग पर छाए रहेंगे तो शायद हम बहुत पैसा कमा लेंगे। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप सच्चाई के रास्ते पे हो तभी आपका पैसा टिक पाता है। मैं आज और भी बिजनेसेस करता हूं। बहुत बढ़िया चल रहे हैं। भगवान की दया से जिस वक्त थोड़ा पैसा आया तो ग्रेटर नोएडा जैसी जगह में प्रॉपर्टी से पैसा बन गया। तो ये भी याद आया मुझे बहुत सारे फ्लैट्स हैं मेरे जहां मैं किराए नहीं लेता तो आप पूछिए कि वो उस वक्त कितने सस्ते थे? आज ना पैसा बन गया। तो जब आप अच्छा करते हो तो पैसा अपने आप बन जाता है। ये मैं डंके की चोट पे कहता हूं कि मैंने विद्यार्थियों को गुमराह करके मैंने विद्यार्थियों को ठग के पैसा नहीं कमाया। आज भी मेरे पास जो तीन-चार लोग हैं वो सिर्फ यही देखते हैं कि बच्चों की प्रॉब्लम क्या है? कोई बच्चा अगर यह कह दे कि मेरे पास पढ़ने के लिए पैसे नहीं है तो यह जवाब नहीं हो सकता हमारी टीम का कि यह कह दे कि नहीं आपको देने पड़ेंगे। मैं डायरेक्ट बच्चों को कहता हूं कि आप मुझे मेल करिए, मैसेज करिए और सिर्फ मेरे यहां ही नहीं दूसरे कोचिंग में भी आपको एडमिशन लेना है तो मेरी इतनी चलती है कि मैं वहां बोल दूं कि आप इन्हें फ्री में पढ़ाइए और मैं आप सबको भी ये कहना चाहता हूं कि आप कितनी भी हाय-हाय कर लीजिए ऊपर वाले को देना होता है वो किसी भी रास्ते से बखश देता है। तो मैं उसी राह पे बट फिर वही सवाल पूछूंगा। डर नहीं लगता। इतना सरकार के खिलाफ बोलते हो। फिर कह रहे हो गाड़ी घोड़ा फ्लैट यह वो एक दिन तो सब सच्चाई के मार्ग से ही लिया है। उसमें कुछ भी ऐसा गलत नहीं है। तभी शायद आज बोल पा रहे हैं। आपको क्या लगता है सब गलत सब गलत वाले नहीं फंसते हैं ना? थोड़ा बहुत तो कहीं ना कहीं कोई ना कोई गलती होती है। और देखिए जब सारे मैं कह रहा हूं सब गलत वाले ही नहीं फंसते हैं। हां आप ये कह रहे हैं कि सही वाले भी फंस जाते हैं। बट फिर ऊपर वाला है मदद करने के लिए। वो देखेगा। बाकी अगर आप किसी के हितों के लिए थोड़ा बहुत नुकसान झेलना भी पड़े तो उसके लिए तैयार रहते हैं। और बाकी हम मोदी जी से भी ज्यादा फकीर हैं। बहुत दिन जिंदगी के ऐसे बचे नहीं जब हमें भी लगेगा और हम परमार्थ निकेतन में ऋषिकेश में मिलेंगे और गंगा निहारेंगे और खुद को पहचानेंगे। आगे के जीवन का लक्ष्य वही है। अगर कोई यह जानना चाहता है कि हमें आगे पॉलिटिक्स में आना है। करना क्या है? तो सुकून वही है जब संभा लेते हो तो आपको एहसास होता है कि हां क्योंकि उलझती हुई जिंदगी में सुकून खो जाता है। मैं जीवन को बहुत उलझाना नहीं चाहता। आज मेरे लिए भी बड़ी रास्ते आसान थे कि चुपचाप से बैठो एक कंपनी बनाओ टीचर्स लेके आओ। मैं समझ गया था कि मैं एजुकेशन के बिनेस नहीं कर सकता मैं। मैं फेलियर हूं। मैं एक टीचर को खराब से बात नहीं कर सकता। मैं एक टीचर पे ये प्रेशर क्रिएट नहीं कर सकता कि तुम कोर्स बेचो। मैं एक बच्चे से ये नहीं कह सकता। तेरे पास पैसे नहीं है। फिर भी लो। मैं ये झूठ बोल के नहीं दिखा सकता कि मैं सच में तुम्हारे हितों के बारे में सोच रहा हूं। मैं यह बर्थडे सेल नहीं चला सकता। मैं यह कि मेरे 3 मिलियन सब्सक्राइबर हुए हैं। मैं यह सेल नहीं चला सकता। मैं यह मानता हूं कि यह गलत है। आप इंपल्सिव बाइंग करा रहे हैं। आप जबरदस्ती कोर्स बेच रहे हैं। आप ये कह रहे हैं कि तीन दिन के लिए सेल लगी है। जल्दी ले लीजिए। आप बच्चे के दिमाग को इतना हाईजैक कर लें कि वो सोच भी नहीं पा रहा कि उसको सच में इस कोर्स की जरूरत है या नहीं और वो ले ले रहा है। तो एजुकेशन में इंपल्सिव बाइंग के खिलाफ हूं मैं। मुझे लगता है कि ये गलत हो रहा है। सेकंड लास्ट क्वेश्चन। इंडियन एजुकेशन सिस्टम में क्या बदलना चाहिए जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे? इंडियन एजुकेशन सिस्टम जैसे बेसिक एजुकेशन सिस्टम बहुत अच्छी होनी चाहिए। सरकारी स्कूल कंपटीशन दे पाएं। प्राइवेट स्कूल को यह होना चाहिए। प्राइवेट स्कूलों पर गवर्नमेंट की की लगाम होनी चाहिए कि वह अपनी मनमानी ना करें कि वह आज ड्रेस भी बेच रहे हैं। वह हर एक चीज का पैसा वसूल रहे हैं। उन्होंने भी कारोबार बना दिया है। तो इन सब चीजों पे मैं चाहता हूं कि सुधार होने चाहिए और एजुकेशन का सबका राइट है। सबको अच्छी एजुकेशन मिलेगी तो देश अपने आप आगे जाएगा। आपको बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आपने ठीक एजुकेशन दे दी कि तुम समोसा बेचो, तुम इंडस्ट्री लगाओ, तुम चाय का ठेला लगाओ। आपको बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आपने सही एजुकेशन मैं अभी ब्रिटेन गया था और मैंने कैप ड्राइवर से पूछा वहां पर कि इंडिया और इंग्लैंड में क्या अंतर है? वो हैदराबाद के थे। उन्होंने कहा कि सर हमारे यहां पर 90% बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। 10% बच्चे जो हैं वो केवल प्राइवेट में पढ़ते हैं। हमारे यहां पर अधिकतर लोग गवर्नमेंट हॉस्पिटल में इलाज करवाते हैं। जी। और यह दो चीजें हैं जिसकी वजह से अधिकतर बाकी देशों के जो छोटे लोग हैं वो यहां इंग्लैंड और आना पसंद करते हैं क्योंकि टैक्सेस ज्यादा है हमारे यहां पर लेकिन ये दो मूलभूत सुविधाएं कि एजुकेशन और हेल्थ ये हम उसे फ्री मानते हैं। होना चाहिए। वही तो हम कहां कर रहे हैं? ये हम तो वोट खरीद रहे हैं राशन देकर के। हम नहीं कह रहे कि हमने आपके शहर में एक अच्छा हॉस्पिटल बना दिया है। लोगों को रोजगार भी मिला है। लोगों का इलाज भी हो रहा है। हम नहीं दिखा रहे कि हमने अच्छे स्कूल बना दिए हैं। एक तरफ हम बात कर रहे हैं कि इकोनॉमिक डेवलपमेंट होगा। इकोनमिक डेवलपमेंट का तो मतलब ही यही है कि जो भी रिसोर्सेज भारत के हैं उनका इक्वली डिस्ट्रीब्यूशन होना चाहिए। ऐसा नहीं कि सिर्फ दिल्ली चमकनी चाहिए। या ऐसा नहीं सिर्फ यूपी चमकना चाहिए। सब जगह अच्छा विकास होना चाहिए। सब जगह अच्छे स्कूल होने चाहिए। जिस पे सरकार का फोकस नहीं है। मोदी जी अगर आज पीआर भी करते हैं तो वह पीआर ज्यादा अच्छी लगेगी। जहां वह कहेंगे कि आज मैं 15 राज्यों में अलग-अलग 15 हॉस्पिटल्स का उद्घाटन करूंगा। आप देखिए हमने वर्ल्ड क्लास हॉस्पिटल बनाए हैं। इन सब से देश आगे जाएगा। तो इन्हीं बातों पे दुख होने लगता है फिर कि ऐसा क्यों नहीं हो रहा? क्यों नहीं कर पा रही सरकार? आज इनके चुनावी भाषणों में भी मुद्दे नहीं दिख रहे। यानी आपने जनता को इतना बेवकूफ कैसे समझ लिया? इसी बात की लड़ाई है। मैं आपसे भी यह गुजारिश करूंगा कि हम सब लोग इस देश की जनता को जगाएं कि देश सही दिशा में नहीं जा रहा है। लास्ट क्वेश्चन आपके बच्चों के लिए कोई बच्चा तैयारी करने आ रहा है। किन पांच चीजों का ध्यान रखिए अगर उसे एग्जाम क्रैक करना है। अगर कोई बच्चा तैयारी करने आ रहा है तो अभी के माहौल के हिसाब से तो मैं कहूंगा कि आपको सारे एग्जाम्स को टारगेट करना पड़ेगा। ऑलमोस्ट सबका सिलेबस है और मोबाइल की दुनिया से दूर रहना पड़ेगा। हर चीज देखना जरूरी नहीं है। जिस एक शिक्षक का आपने कोर्स ले लिया उसको पढ़िए। एक ही चीज बार-बार देखने की जरूरत नहीं है। यहां सब अपने फायदे के लिए वीडियोस बना रहे हैं। सब अपने फायदे के लिए रील बना रहे हैं। मैं तो कहता हूं जिसको भी शामिल करना है कर लीजिएगा। बट आप भी अपना फायदा सोचिए। आप दूसरों के हितों में ही सहयोग मत कीजिए। आपका अपना हित भी सुरक्षित होना चाहिए। तो लोगों को लगता है आप हर किसी का नोटिफिकेशन देखने लग जाते हैं। अभिनय शर्मा ने नोटिफिकेशन पे वीडियो बनाया देखना है। किसी दूसरे ने बनाया देखना है। एक ही बात को बार-बार देखना। अपना समय सोशल मीडिया से जितना बचा पाएंगे आपकी सफलता उतनी जल्दी और सुनिश्चित होगी। और ये डरिए मत कि गलत हो रहा है। बहुत गलत मैसेज आज देश के युवाओं में जा रहा है कि सरकारी नौकरियों में बहुत भ्रष्टाचार है। हिम्मत रखिए। एक आदमी आपके लिए खड़ा है जो इन सब चीजों को दूर करेगा और बहुत जल्दी अगर बड़े-बड़े खुलासे भी करने पड़ेंगे तो वह सब भी करेंगे और हिला देंगे पूरे सिस्टम को। अब इसी पे आखिरी सवाल फिर मैं कर लेता हूं। कई सारे टीचर्स ने इनसे पहले भी दावा किया था कि हमारे पास बहुत सारे सबूत हैं। हमने तो खोले हैं सबूत और हमें लाए। जो ओवरएज वाला सबूत था हम लाए। मैं नाम नहीं लूंगा। बाद में लोग कहते हैं कि वो सबूतों के सवाल से बचने लगे वो टीचर्स और काफी फेमस टीचर्स हैं। हम आई एम नॉट कोटिंग एनीवन। फिर वो आप पर भी कहेंगे कि भाई आप भी यही कह रहे हो। इससे पहले भी बिहार में भी यही हुआ था बीपीएससी वाले में कि सबूत है सबूत है। सबूत है। बच्चों के जरिए फॉलोवर्स बढ़ जाते हैं टीचर्स के। व्यूअरशिप बढ़ जाती है। उससे पैसा आता है YouTube पे। खूब सारे वीडियोस बनते हैं। फिर जब सबूत देने की बारी आती है तो एक चुप्पी खामोशी। नहीं हमने तो करके दिखाया है। जो ओवरएज का सबूत था हम निकाल के लाए। हमने ऐसे-ऐसे बच्चों को ढूंढा जो ओवरएज थे। और उनको आश्वासन दिया कि आप परेशान मत होइए। आप बस एसएससी में भी आप लोगों ने दावा किया अभी। हां एसएससी में भी एसएससी की बता रहा हूं। एसएससी 204 में ही हमने यह कहा कि ओवरएज लोगों को लिया। वह सब सबूत हमने कोर्ट में पेश किए तभी तो हम रिजल्ट रिवाइज करा पाए। तो हम सही वक्त आने पर सब कुछ जारी करते हैं। और वीडियो के माध्यम से जारी करते हैं। ऑल द बेस्ट आपको आपके प्रोटेस्ट को जो सहयोग हमारे लायक रहेगा वो बताइएगा। हम लोग भी करेंगे और बहुत-बहुत धन्यवाद। और हम मैं बहुत आशावादी हूं और मैं कभी हिम्मत नहीं हारता हूं और मुझे अपने पेरेंट्स से भी बहुत सपोर्ट मिलता है। मेरे मम्मी पापा वैसे मुझे दिन में तीन-चार कॉल करते हैं लेकिन जब से इन चीजों में लग जाता हूं तो कॉल भी नहीं करते कि लड़का डिस्टर्ब होगा। कुछ जरूरी मीटिंग्स में बैठा होगा। देश हित की बात कर रहा है। तो मैं अपने पेरेंट्स को भी धन्यवाद देना चाहता हूं इसके थ्रू कि जो मेरे इन सब चीजों में भी सपोर्ट करते हैं। वह मुझे कभी नहीं कहते कि बेटा डरने की जरूरत है। क्योंकि उनको पता है कि मैं बहुत सच्चा हूं और मैंने जो काम किया सच्चे दिल से किया। तभी तो आज बैठे हैं ना आठ नौ आंदोलन कर चुके हैं और सफल बनाया है उनको। तो स्ट्रेटजी यही रहती है कि कुछ चीजें मिल जाए। फिर दोबारा कुछ चीजों के लिए आवाज उठाएंगे। तो सबको आवाज उठानी चाहिए। आप जहां भी हैं आप वहां भी आवाज उठा सकते हैं। गलत नहीं सहेंगे क्योंकि यह देश सबका है। लेस सोप की सिर्फ हंगामा खड़ा करना मकसद ना हो। जी। कोशिश हो कि सूरत बदलनी चाहिए। चाहिए। जी थैंक यू सो मच। थैंक यू। थैंक यू। थैंक यू वेरी मच।

50 Comments

  1. इस तरह के लोग पॉडकास्ट में आने चाहिए जिनको पूरा सुना जा सके

  2. Ye anchor sirf muddo ko bhatkana chahta hai isiliye modi supporter ho aisa vipaksh kahata hai puch rahe hai jab ki vipaksh aisa nhi kahata

  3. Mein ssc ki aspirant nhi hu lekin mujhe in sir ki ye bat bohot sahi lagi ki 3 days ki cell hai course lelo isame sach mein hame jis course ki jarurat nahi hoti use ham kharid lete hai aise meine unacademy ki csir net ki batch kharid liye thi

  4. शुभंकर मिश्रा को 70th BPSC के मुद्दे पर खानवा दोगला की सबूत पर चुप्पी वाली बात का इस पॉडकास्ट में उल्लेख करने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद। कभी वह दोगला आपके पॉडकास्ट में आए तो उस दोगला दोहरा चरित्र से यही सवाल जरूर पुछिएगा। उस हरामी ने आंदोलन को गुमराह और बदनाम किया। उस दोगला को ऐसे ही रेलते रहिए। केवल इमोशनल कहानी बनाके सबको चुतिया बनाता रहता है। उसके जैसा गिरगिट, दोगला और हरामी शायद ही कोई होगा। एक बार फिर मिश्रा जी को a lot of thanks🙏

  5. भाजपा सरकार और उसके नेता जन्मजात सरकारी नौकरी के विरोधी हैं। लोगों को समझ में आ रहा है।

  6. Mein bhi modi ji ko samjh nahi paa rahi hoon, shayad ye BJP ka aakhri term hai, BJP walon jago…. Warna congress k hatho bharat ko dena padega…😢😢😢

  7. Kitna v podcast kara lijiye sir but is sarkar ko koi effect nhi padega ab adat si ho gyi h aisi nikammi sarkar ki ….. ki ab kuch nhi hone wala aisi sarkar me by the way Abhinay sir ne to band baja si aisi sarkar ki… thank u sir apne hm logo ki ladai ladi.

  8. Koti Koti naman dandwat parnaam Abhinay sir g k charnan kamlo Mai
    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️
    Namaste sir🙏❤️

  9. Aisee hote h teacher Jo Sch baat hai vo rkhe ye nhi ki diplomatic answer de Yhi hote hai teacher aur jo bde bde teacher hai jo sarkar ki chatukarita krte h

  10. आपने वीडियो में यह कहा था फन होना मानसिक गुलाम होने के बराबर होता है तो क्या मान लिया जाए आप भी मानसिक गुलाम है बीजेपी के

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